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चकमा खा गए चाणक्य! चुनाव में शरद पवार की ऐसी दुर्गति इससे पहले कभी नहीं हुई

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को प्रचंड जीत मिली है। राज्य में एक बार फिर बीजेपी, सीएम एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के महायुति गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। महायुति गठबंधन के उम्मीदवार 230 सीटों पर आगे है, जबकि महाविकास अघाड़ी सिर्फ 54 सीटों पर सिमटती दिख रही है।

इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी 132 सीटों पर, शिवसेना शिंदे 57 सीटों पर और अजीत पवार की एनसीपी 41 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। चुनाव नतीजों से साफ है कि इस चुनाव में महाविकास अघाड़ी को करारी हार मिली है। अगर नतीजों को देखें तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना को जीतनी सीटें मिली हैं, महाविकास अघाड़ी को कुल मिलाकर भी उतनी सीटें नहीं मिली है। सीएम शिंदे की शिवसेना को जहां 57 सीटें मिली, वहीं महाविकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी एक साथ मिलकर भी सिर्फ 47 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी।

महाविकास अघाड़ी की इस बुरी हार से कथित चाणक्य शरद पवार की छवि को तगड़ा झटका लगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार को अपने सियासी करियर में ऐसी हार पहले कभी नहीं मिली थी। महाराष्ट्र और केंद्र की राजनीति में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार अपने सियासी गढ़ में ही मात खा गए हैं। चुनाव में उनकी ऐसी दुर्गति कभी नहीं हुई थी।

इस हार से शरद पवार को एक झटका यह भी लगा है कि अब उनसे ज्यादा सीटें जीतकर अजीत पवार ने ये साबित कर दिया है कि मतदाताओं के लिए उनकी पार्टी ही असली एनसीपी है। अजीत पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं, जबकि शरद पवार की एनसीपी किसी तरह 10 सीटें बचा पाई है।

इस चुनाव में 145 पर चुनाव लड़ने और 131 पर सफलता के साथ ही बीजेपी ने करीब 89 प्रतिशत की शानदार स्ट्राइक रेट दर्ज की है। इसी तरह शिंदे की शिवसेना की स्ट्राइक रेट करीब 60 प्रतिशत और अजीत पवार की एसनसीपी की स्ट्राइक रेट करीब 62 प्रतिशत है, जबकि 86 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाले शरद पवार की एनसीपी की स्ट्राइक रेट सिर्फ 11 के करीब है।

इस विधानसभा चुनाव ने शरद पवार की चाणक्य वाली गढ़ी गई छवि को चकनाचूर कर दिया है। शरद पवार के लिए झटके की बात यह भी है कि वे अपने पारंपरिक सियासी गढ़ में भी अपने उम्मीदवार को सफलता नहीं दिला पाए हैं। इस करारी हार ने उन्हें यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि वोटरों के लिए अब असली एनसीपी अजीत पवार ही हैं और अब वो कोई किंगमेकर नहीं रह गए हैं।

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