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जिन्हें जनता 80-80…90-90 बार नकार चुकी है, वो संसद में चर्चा नहीं होने देते- प्रधानमंत्री मोदी

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संसद का शीतकालीन सत्र आज, 25 नवंबर से शुरू हो गया है। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद परिसर में कहा कि जनता ने जिन्हें नकारा वो लोकतंत्र की भावना का अपमान करते हैं। विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘जनता ने जिनको 80-80… 90-90 बार लगातार नकार दिया है, वे ना संसद में चर्चा होने देते हैं, ना लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। ना ही वह लोगों की आकांक्षाओं का कोई महत्व समझते हैं। उनका उसके प्रति कोई दायित्व है ना वह समझ पाते हैं। और उसका परिणाम है कि वह जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते हैं और परिणामस्वरूप जनता को बार-बार उनको रिजेक्ट करना पड़ रहा है।’

संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा। सत्र से पहले अपने संबोधन में हाल के चुनावों में विपक्ष को मिली हार पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘यह शीतकालीन सत्र है और माहौल भी शीत ही रहेगा। 20224 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है।’

उन्होंने कहा कि ‘संसद का यह सत्र अनेक प्रकार से विशेष है और सबसे बड़ी बात है हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा। यह अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्ज्वल अवसर है और कल संविधान सदन में सब मिलकर के इस संविधान के 75 में वर्ष की उसके उत्सव की मिलकर के शुरुआत करेंगे। संविधान निर्माताओं ने संविधान निर्माण करते समय एक-एक बिंदु पर बहुत विस्तार से बहस की है और तब जाकर के ऐसा उत्तम दस्तावेज हमें प्राप्त हुआ है।’

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि ‘संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, वे संसद को भी मुट्ठी भर लोगों के हुड़दंगबाजी से कंट्रोल करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता। देश की जनता उनके सारे व्यवहारों को काउंट करती है और जब समय आता है तो सजा भी देती है। लेकिन सबसे ज्यादा पीड़ा की बात यह है कि जो नए सांसद होते हैं। नए विचार, नई ऊर्जा लेकर के आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में बोलने का उनको अवसर तक नहीं मिलता है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘लोकतंत्र की यह शर्त है कि हम जनता-जनार्दन की भावनाओं का आदर करें। उनकी आशा-अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए दिन-रात मेहनत करें। मैं बार-बार खासकर के विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा हूं कि सदन में सुचारू रूप से काम हो, लेकिन लगातार जिनको जनता ने नकार दिया है। वे अपने साथियों की बात को भी दबा देते हैं। उनकी भावनाओं का भी अनादर करते हैं। लोकतंत्र की भावनाओं का अनादर करते हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘हमारे नए साथियों को अवसर मिले। सभी दल में नए साथी हैं। उनके पास नए विचार हैं। भारत को आगे ले जाने के लिए नई-नई कल्पनाएं हैं। और आज विश्व भारत की तरफ बहुत आशा भरी नजर से देख रहा है।’ उन्होंने कहा कि ‘मैं आशा कर हूं यह सत्र बहुत ही परिणामकारी हो। संविधान के 75 में वर्ष की शान को बढ़ाने वाला हो। भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो। नए सांसदों को अवसर देने वाला हो। नए विचारों का स्वागत कर करने वाला हो।’

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