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कांग्रेस की खतरनाक साजिश का खुलासा, लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने रूस से मांगी मदद!

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कांग्रेस पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। इसके लिए चाहे कांग्रेस को भारतीयों का निजी डाटा चोरी करना हो, या फिर विदेशी एजेंसियों की मदद लेना, कांग्रेस हर हथकंडा अपना रही है। अब ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सोशल मीडिया विशेषज्ञ प्रोफेसर फिलिप एन होवार्ड ने खुलासा किया है कि रूस अब भारत में होने वाले आम चुनाव में दखल दे सकता है। आपको बता दें कि इसी वर्ष अप्रैल के महीने में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान ही कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में रूस की मदद मांगी है। जाहिर है कि इससे पहले अमेरिका में हुए चुनावों में रूस की तरफ से दखल देने के आरोप लगे थे और पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई थी।

दूसरे देशों के चुनाव में दखल देने के लिए बदनाम है रूस
न्यूज वेबसाइट इंडिया स्पीक डेली की खबर के मुताबिक रूस दूसरे देशों के चुनाव में दखल देने के लिए बदनाम है। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी दखल की जांच अभी चल रही है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंटरनेट स्टडीज के प्रोफेसर फिलिप एन होवार्ड ने भारत के लोकसभा चुनाव में रूसी हस्तक्षेप की आशंका का खुलासा अमेरिकी सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के सम्मेलन के दौरान किया। 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कथित रूसी दखल पर केंद्रित सोशल मीडिया पर विदेशी प्रभाव को लेकर सीनेट कमेटी ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था। इसी दौरान अमेरिकी सीनेटर सूसन कॉलिंस ने इस संदर्भ में होवार्ड से सवाल पूछा था। अपने जवाब में होवार्ड ने कहा कि रूस उन देशों के चुनाव में दखल देता रहा है जहां का मीडिया पेशेवर नहीं है। उन्होंने कहा कि चूंकि भारत का मीडिया पेशेवर नहीं है इसलिए रूस अपने मीडिया के माध्यम से भारत में होने वाले चुनाव में असर डाल सकता है। उन्होंने रूसी दखल की वजह से भारत में खतरनाक माहौल होने की भी आशंका जताई है।

सोनिया-पुतिन मुलाकात का ब्योरा क्यों नहीं दे रही कांग्रेस? 
उल्लेखनीय है कि भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की नेता सोनिया गांधी इसी साल अप्रैल में रूस के दौरे पर गईं थी, वैसे तो वह अपने पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सास इंदिरा गाधी की याद में आयोजति फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन करने गई थीं, लेकिन लगे हाथ रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से भी मिली थीं। तभी से यह चर्चा आम है कि सोनिया ने भारत में होने वाले आम चुनाव के लिए पुतिन से मदद मांगी है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तो ट्वीट कर मास्को में सोनिया गांधी और पुतिन के बीच हुई बातचीत के लिखित प्रतिलिपि जारी करने की मांग की थी।

सोनिया पर लग चुके हैं रूसी खुफिया एजेंसी केबीजी से रिश्तों के आरोप
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा ब्राजील के चुनावों में भी केबीजी जैसी रूसी खुफिया एजेंसियों की दिलचस्पी की बात सामने आई है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी के साथ रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में शक जताया जा रहा है कि केजीबी भारत में कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की कोशिश कर रही है। इससे पहले लाल बहादुर शास्त्री की मौत और उसके बाद इंदिरा गांधी की ताजपोशी के पीछे भी केजीबी का हाथ माना जाता है। आईबी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे मलय कृष्ण धर और कांग्रेस के सीनियर नेता नटवर सिंह ने भी सोनिया गांधी के रूस से करीबी रिश्तों का जिक्र अपनी किताबों में किया है। मोदी सरकार बनने के बाद दिसंबर 2014 में रूसी राष्ट्रपति पुतिन जब भारत आए थे, उस वक्त भी उनकी सोनिया गांधी के साथ विशेष मुलाकात हुई थी।

यह कोई पहला खुलासा नहीं है, इससे पहले भी ऐसी कई बातें सामने आ चुकी हैं, जिनसे ये साफ हो जाता है कि कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर 2019 का चुनाव जीतने की कोशिश में लगी है। इसके लिए चाहे कांग्रेस पार्टी को देश के नागरिकों की सुरक्षा और देश की सुरक्षा से ही समझौता क्यों न करना पड़े। डालते हैं उन वाकयों पर नजर जिनसे यह बात और पुख्ता होती है।


डाटा चोरी से बाज नहीं आ रही कांग्रेस, फेसबुक के बाद अब WhatsApp डाटा में लगाई सेंध!
कांग्रेस पार्टी 2019 के चुनाव में सत्ता पाने के लिए छटपटा रही है। सरकार में वापसी के लिए कांग्रेस पार्टी हर हथकंडा अपना रही है, चाहे वो गैरकानूनी ही क्यों न हो। कांग्रेस पार्टी का सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद है कि किसी तरह से सत्ता को हथियाया जा सके। अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए कांग्रेस पार्टी आम लोगों की निजता से खेलने से भी नहीं चूक रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस पार्टी फेसबुक डाटा की ही तरह अब भारतीय नागरिकों के WhatsApp डाटा की चोरी में लगी है।

एक न्यूज वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार सोनिया और राहुल गांधी का अखबार नेशनल हेराल्ड भारतीयों के WhatsApp का डाटा चोरी करके जर्मनी भेज रहा है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड ने जर्मनी की एक कंपनी से समझौता किया है, जो भारतीयों का डाटा सीधे तौर पर जर्मनी स्थित अपने सर्वर को भेज रहा है। जैसे ही आप नेशनल हेराल्ड की खबर को अपने व्हाट्सअप पर देखने के लिए सब्सक्राइब करेंगे, आपके फोन और आपके WhatsApp की सारी जानकारी जर्मनी की उस कंपनी के पास चली जाएगी, जो बाद में मनचाहे तरीके से उस डाटा का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगी। यानि कांग्रेस का अखबार चोरी छिपे भारतीयों के WhatsApp डाटा को चुरा रहा है। जाहिर है कि कांग्रेस पार्टी इस डाटा को 2019 के चुनाव में अपने हिसाब से इस्तेमाल करेगी।

कांग्रेसी अखबार नेशनल हेराल्ड के जरिए भारतीयों का डाटा चोरी करने का खेल बड़ी चालाकी के साथ खेला जा रहा है। नेशनल हेराल्ड में डेली न्यूज सब्सक्रिप्शन के लिए फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सअप का विकल्प उपलब्ध करा रखा है। यदि आप न्यूज व्हाट्सअप पर पाने के लिए इसे सब्सक्राइब करते हैं तो प्रतिदिन नेशनल हेराल्ड की न्यूज आपके WhatsApp पर आएगी। खबर छापने वाली इंडिया स्पीक्स डेली वेबसाइट ने जब इसे सब्सक्राइब किया तो पाया कि यह सीधे जर्मनी के एक नंबर से जोड़ रहा है। वह नंबर है- +4915792452499. यह जर्मनी का व्हाट्सअप नंबर है।

दरअसल नेशनल हेराल्ड ने whatsbroadcast नामक जर्मनी की मैसेंजर कंपनी की सेवाएं नेशनल हेराल्ड के लिए ली हैं। जर्मनी की यह कंपनी मार्केटिंग आटोमेशन सर्विस प्रोवाइड करती है। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड की ओर से सब्सक्राइवर को जर्मनी के नंबर से जोड़ देती है। नेशनल हेराल्ड को सब्सक्राइव करते ही आपके व्हाट्सअप और मोबाइल का सारा डेटा जर्मनी की एक थर्ड पार्टी कंपनी के पास चला जाता है। है। यह थर्ड पार्टी कंपनी और नेशनल हेराल्ड अब जैसे चाहे आपके सारे डाटा को उपयोग में ला सकता है। यह साफ-साफ धोखाधड़ी है। यह एक विदेशी कंपनी के हाथ में भारतीयों के डाटा को बेचने जैसा है। विशेषज्ञों ने भी इस पूरी प्रक्रिया को अनैतिक और गैरकानूनी बताया है।

https://www.whatsbroadcast.com/ की शाखा और सर्वर जर्मनी के अलावा आस्ट्रिया और स्वीट्रलैंड में भी है। जर्मनी में इसका मुख्यालय म्यूनिख में है। मैसेसिंग सर्विस प्रोवाइड करने वाली यह कंपनी 2015 में बनी है। इसके प्रबंध निदेशक- Franz Buchenberger and Max Tietz हैं। 

इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी ब्रिटिश एनालिटिका नाम की विदेशी कंपनी के जरिए करोड़ों भारतीयों का फेसबुक डाटा चुरा चुकी है। कांग्रेस ने इस डाटा का इस्तेमाल कई राज्यों के चुनावों में लोगों के बीच नफरत फैलाने और अपने पक्ष में वोटिंग के लिए इस्तेमाल किया था।

कांग्रेस ने चुराया 25 करोड़ भारतीयों का निजी डाटा
कांग्रेस पार्टी किसी भी कीमत पर 2019 का चुनाव जीतना चाहती है। सत्ता में आने के लिए तड़प रही कांग्रेस पार्टी गैरकानूनी हथकंडों का भी इस्तेमाल करने से नहीं चूक रही है। आपको याद होगा यूपीए के दस वर्षों के शासन काल में किस तरह जनता के पैसों की लूट मची थी। जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वाली कांग्रेस अब चुनाव जीतने के लिए लोगों का निजी डाटा यानी निजी जानकारी चुराने में लगी है। इसी वर्ष मार्च के महीने में खबरें आई थीं कि कांग्रेस के नेताओं ने इसके लिए एक ब्रिटिश कंपनी के साथ मिलकर 25 करोड़ से अधिक भारतीयों का डाटा चुराने की साजिश रची है, ताकि 2019 के चुनाव में सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें प्रभावित किया जा सके। कांग्रेस ने अपने निजी फायदे के लिए देश के करोड़ों लोगों की निजी सुरक्षा को ताक पर रख दिया है। आपको विस्तार से बताते हैं क्या थी कांग्रेस की साजिश और किस कंपनी से किया है कांग्रेस पार्टी ने गठजोड़।

कांग्रेस ने कैंब्रिज एनालिटिका से मिलाया था हाथ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कैंब्रिज एनालिटिका एक ब्रिटिश डाटा एनालिसिस कंपनी थी, इस कंपनी का काम बड़े स्तर पर लोगों का डाटा एकत्र कर अपने क्लाइंट को उसकी जानकारी देना और फायदा पहुंचाना था।हालांकि अब ये कंपनी बंद हो चुकी है। इस कंपनी पर 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के लिए सोशल साइट फेसबुक से 5-6 करोड़ अमेरिकी नागरिकों का डाटा चुराने का आरोप लगा था। इस खुलासे के बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया था। फेसबुक का शेयर भी 7 प्रतिशत नीचे गिर गया और उसे एक दिन में करीब 400 अरब रुपये का घाटा उठाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने इसी कंपनी के साथ 543 लोकसभा क्षेत्रों में फैले 25 करोड़ भारतीयों का डाटा चुराने का प्लान तैयार किया, ताकि 2019 के चुनाव में सोशल मीडिया पर उसी डाटा के हिसाब से अभियान चलाकर अधिक से अधिक फायदा उठाया जा सके। पिछले वर्ष अगस्त के महीने में ही कांग्रेस ने इस कंपनी के करार कर लिया था।

डाटा चोरी कर चुनाव जीतने का सपना
कांग्रेस पार्टी को लगता है कि डाटा एनालिसिस के जरिए वो भारतीय नागरिकों के बीच अपनी पैठ बना लेगी और 2019 के चुनाव में इसका फायदा मिलेगा। दरअसल कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी फेसबुक जैसी सोशल मीडिया साइट्स से उसके सदस्यों की निजी जानकारी चुराती है। फिर इस निजी जानकारी का क्षेत्र, लिंग, आय, शिक्षा आदि के आधार पर विश्लेषण किया जाता है। इसी विश्लेषण के आधार पर अपने क्लाइंट को उन व्यक्तियों के बारे में बताया जाता है, जिन्हें वो अपनी पार्टी की तरफ आकर्षित कर सकते हैं। भारत में फेसबुक के करोड़ों यूजर हैं और कांग्रेस पार्टी को लगता है कि डाटा मिलने के बाद उसकी राह आसान हो जाएगी और वो सोशल मीडिया पर लक्ष्यपरक प्रचार अभियान चला पाएगी।

कांग्रेस ने करोड़ों भारतीयों को मुश्किल में डाला
कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं को लोगों के सरोकार से कोई मतलब नहीं रहा है। पहले भी गरीबों के हितों को ताक पर रख कर इसके नेता अपनी तिजोरी भरते रहे हैं। इस बार तो हद हो गई, जब कांग्रेस पार्टी ने अपने फायदे के लिए 25 करोड़ से अधिक भारतियों की सुरक्षा और निजी पहचान को ताक पर रख दिया। बताया गया कि इसके लिए राहुल गांधी 600 करोड़ रुपये खर्च किए।

करोड़ों भारतीयों की निजी जानकारी चुराने में लगी है।

सौजन्य

आपको बता दें कि गैरकानूनी तरीके से लोगों का निजी डाटा चुराने के आरोप में कैंब्रिज एनालिटिका को अमेरिकी में फेसबुक ने बैन कर दिया गया था और बाद में इस कंपनी को ही बंद कर दिया गया। अब कांग्रेस पार्टी ने जर्मनी की कंपनी से हाथ मिलाकर भारतीयों का वाट्सएप डाटा चोरी करने की साजिश रची है।

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