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कन्हैया कुमार के कारण बिहार में आरजेडी-कांग्रेस का गठबंधन टूटने की कगार पर, ‘लंगड़ी’ कांग्रेस तलाशेगी बैसाखी

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उप चुनाव में दोनों पार्टियां आमने-सामने
बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का डेढ़ दशक से चला आ रहा गठबंधन टूटने के कगार पर है। दोनों दलों ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीट से अलग-अलग उम्मीदवार उतारे हैं। यहां विधानसभा का उपचुनाव 30 अक्टूबर को है। दोनों दलों के बीच लड़ाई इस बात को लेकर शुरू हुई कि कुशेश्वरस्थान सीट कांग्रेस चाहती थी। लेकिन आरजेडी ने इसपर भी अपने उम्मीदवार को सिंबल दे दिया। अब दोनों दल आमने-सामने हैं और एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं।

लालू को कन्हैया का कांग्रेस में आना नहीं भाया
दरअसल, यह ऊपर से दो विधानसभा सीटों की लड़ाई भर नजर आती है। हकीकत में अलग होने की कहानी कुछ और ही है। राजनीतिक विश्लेषकों का अलग-अलग नजरिया है. कुछ जानकार बताते हैं कि अलग होने के कई कारण हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण है, सीपीआई नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का कांग्रेस में आना है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को कन्हैया कुमार का कांग्रेस में आना नागवार गुजरा है।

आरजेडी का बिगड़ सकता है माई समीकरण
यादव को उनके रणनीतिकारों ने सलाह दी है कन्हैया के कांग्रेस में आने से उनका माई समीकरण अब बिखर जाएगा. आरजेडी के माई (Muslim+Yadav) समीकरण में कांग्रेस पार्टी कन्हैया कुमार के जरिए सेंध लगाने की कोशिश कर सकती है। साथ ही कन्हैया के आने से तेजस्वी यादव की भविष्य की राजनीति प्रभावित हो सकती है। क्योंकि, मुस्लिमों में कन्हैया कुमार की कुछ लोकप्रियता है और खुद वह भूमिहार वर्ग से आते हैं। जो किसी जमाने में काग्रेस पार्टी का वोटबैंक रह चुका है। कन्हैया कुमार के जरिए कांग्रेस भूमिहार और ब्राह्मण वोट में सेंध लगा कर अपने खिसक चुके जनाधार को फिर के हासिल करने की कोशिश करेगी। हालांकि, उसे सफलता मिलेगी, इसमें संदेह है।आरजेडी बनाना चाहती है कांग्रेस पर दबाव
आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने दावा करते हैं कि अलग होने पर नुकसान हमेशा कांग्रेस को हुआ है। कांग्रेस के हमसे अलग होने के बाद नौबत यहां तक आ गई कि कांग्रेस पार्टी 4 सीटों तक सिमट गई। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि आरजेडी और कांग्रेस की राह बिल्कुल अलग हो चुकी है। इसके लिए साल 2024 के लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा। लोकसभा चुनाव से पहले आरजेडी कांग्रेस पर दवाब बनाना चाह रही है। आरजेडी बिहार विधानसभा के दो सीटों के उपचुनाव जीत कर यह संकेत भी देना चाहती है कि वह अब अपनी शर्तों पर ही कांग्रेस का साथ देगी, न कि कांग्रेस की शर्तों पर गठबंधन करेगी।

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