अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के मामले में तीन एजेंसियां- सीबीआई, ईडी और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो जांच-पड़ताल कर रही हैं। इस जांच में हर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। लेकिन मीडिया का एक धड़ा ऐसा है, जो रिया चक्रवर्ती के बचाव में खुलकर सामने आ चुका है और उसकी छवि को लेकर काफी फिक्रमंद दिखाई दे रहा है। इसमें वामपंथी, एजेंडा और फेक पत्रकारिता की मिसाल बन चुका प्रोपेगंडा न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ भी शामिल है।
बिना सबूत रिया की छवि खराब करने का लगाया आरोप
‘द वायर’ ने ‘मीडिया के गुंडों को उनकी जगह दिखाने का वक़्त आ गया है‘ शीर्षक से एक संपादकीय प्रकाशित किया है, जिसमें कुछ टीवी चैनलों पर रिया की छवि को बिना सबूत के खराब करने का आरोप लगाया गया है।संपादकीय में जिस तरह दूसरे मीडिया संस्थानों पर निशाना साधा गया है और भाषा शैली का प्रयोग किया गया है, उससे ‘द वायर’ प्रेस कॉन्सिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और अदलात की भूमिका में नजर आ रहा है। लगता है मीडिया के सारे मानदंडों और नैतिकता की ठेकेदारी इस न्यूज पोर्टल ने ले रखी है।
‘द वायर’ को सुशांत केस की जांच से परेशानी
‘द वायर’ को सुशांत केस की सीबीआई से जांच की लगातार मांग और नए-नए खुलासे से भी परेशानी हो रही है। संपादकीय में लिखा गया है, “आज देश में कोविड से जान गंवाते हजारों भारतीयों, भारत-चीन के बीच अनसुलझे सीमाई गतिरोध, बदहाली के रास्ते पर बढ़ रही अर्थव्यवस्था, महामारी के बीच इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स की प्रवेश परीक्षा देने को मजबूर लाखों छात्रों के मुद्दों के बीच ‘रिया’ ही वो खबर हैं, जिसके बारे में बड़े मीडिया संस्थान बात करना चाहते हैं।” इस बात से लगता है कि ‘द वायर’ सुशांत की संदिग्ध मौत को आत्महत्या मानकर हल्के में रहा है और इस मामले से ध्यान भटकाना चाहता है।
जांच की मांग करने वाले बने जल्लाद, रिया बनी जमीनी व्यक्ति
‘द वायर’ ने सुशांत के संदिग्ध मौत की जांच की मांग करने वाले चैनलों और मीडिया संस्थानों को जल्लाद से तुलना की है। संपादकीय में लिखा गया है, “रोज रात को न्यूज़ चैनलों के प्राइम टाइम पर, जहां एंकर जज, जूरी, जल्लाद सारी भूमिकाएं निभाता है, वहां शिष्टाचार की तो क्या बात की जाए, पत्रकारिता के हर सिद्धांत के परे जाकर रिया का दानवीकरण चल रहा है। कुछ एकाध चैनलों को छोड़ दें, तो किसी ने भी रिया चक्रवर्ती को सुनने की जरूरत नहीं समझी। जो इंटरव्यू उन्होंने दिए, उनमें वे एक जमीनी व्यक्ति की तरह नजर आई हैं, जिसमें उन्होंने अपनी बात को संयम से दृढ़ता के साथ रखा है।”
मीडिया पर लगाया साजिश करने का आरोप
जिस तरह सुशांत केस में मुंबई पुलिस ने जांच शुरू की उससे सोशल मीडिया में सवाल उठने लगे। इसके बाद कई चैनलों ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए और इस मामले में लिपापोती करने का आरोप लगाया। जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। लेकिन ‘द वायर’ को इसमें साजिश बू आ रही है। उसने लिखा है,“बाकी के टीवी मीडिया उनके खिलाफ उन्मादी प्रसारण जारी रखे हुए हैं। टीवी पर जो हो रहा है, उसके लिए षड्यंत्र शायद एक गलत शब्द हो सकता है, लेकिन मामले की कवरेज और टोन इसके सुनियोजित होने की ओर इशारा करती है।”
अनाड़ी जांचकर्ता और मूर्ख मीडिया मिलकर काम कर रहे हैं-‘द वायर’
‘द वायर’ ने कभी मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल नहीं उठाया। लगता है इसे मुंबई पुलिस की जांच और रिया चक्रवर्ती के बयान पर पूरा भरोसा है। लेकिन इसे सीबीआई, ईडी और नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की जांच आधी-अधूरी लगती है और जांचकर्ता भी अनाड़ी लगते हैं। सापदकीय में लिखा, “आधिकारिक जांच एजेंसियों के आधे-अधूरे ‘सबूतों’ से निकली जानकारियां आरोप लगा रहे न्यूज़ चैनलों पर पहुंचती हैं, जहां ये एक विशेष नैरेटिव को बनाए रखने की कोशिश करती दिखती हैं। अनाड़ी जांचकर्ता और मूर्ख मीडिया किस हद तक मिलकर काम कर रहे हैं।”
चैनलों पर लगाया रिया का मीडिया लिंचिंग का आरोप
‘द वायर’ ने लिखा, “हम कुछ चैनलों पर हंस सकते हैं, उनका मजाक उड़ा सकते हैं, लेकिन तथ्य यही है कि उनकी शोषणकारी और गैर-जिम्मेदार पत्रकारिता लोगों की जिंदगियां तबाह कर रही है। रिया इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए मजबूत दिखाई दे रही हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि रोज़ाना की यह मीडिया लिंचिंग उन्हें और उनके परिवार को प्रभावित नहीं कर सकती।” इस बात से लगता है कि ‘द वायर’ को एक व्यक्ति की संदिग्ध मौत और उसके परिवार को इंसाफ की परवाह नहीं है। उसकी चिंता रिया और उसके परिवार को बचाने को लेकर ज्यादा है, जिसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने एफआईआर दर्ज करायी है।
बिहार पुलिस के साथ हुए बर्ताव पर मौन रहा ‘द वायर’
सुशांत सिंह राजपूत मामले में जांच के लिए पहुंची बिहार पुलिस के साथ बेहद भद्दा बर्ताव किया गया। पुलिस की टीम मुंबई में घूम-घूम कर इस मामले से जुड़े सबूत जमा कर रही थी। मुंबई पुलिस के लोग बिहार पुलिस के अधिकारियों को कथित तौर पर धक्का देकर पुलिस वैन में ले गए। बिहार पुलिस के साथ कैदियों जैसा सलूक किया गया। बीएमसी ने बिहार के आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को मुंबई आने के तुरंत बाद 14 दिनों के लिए क्वारंटीन कर दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाद उन्हें मुक्त किया गया। इस मामले में ‘द वायर’ को निष्पक्ष पत्रकारिता का धर्म याद नहीं आया। इससे लगता है कि पत्रकारिता के सारे मानदंड दूसरे मीडिया संस्थानों के लिए है, लेकिन ‘द वायर’ इन मानदंडों से पूरी तरह आजाद है।
‘द वायर’ फेक न्यूज फैक्ट्री में तब्दील हो चुका है। अइए देखते हैं इस पोर्टल ने कब-कब झूठी खबरें फैलाई और पत्रकारिता के मनदंड और नैतिकता को तार-तार किया
प्रोपेगंडा पोर्टल ‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने एक लिंक शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है।
Punjab: Muslims Families Hide in Riverbed After Being Driven From Hoshiarpur Villages https://t.co/Pi1SC9y0CV via @thewire_in
— Siddharth (@svaradarajan) April 8, 2020
इस फेक न्यूज पर होशियारपुर पुलिस ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा कि वे लोग ठीक हैं, फेक न्यूज न फैलाएं।
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फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”
हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी माँगी।
कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है।
अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें। pic.twitter.com/1xPWWQVxGx
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।
झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन माँगना पड़ेगा फिर। https://t.co/2rEJmToLIh
— Mrityunjay Kumar (@MrityunjayUP) April 1, 2020
बता दें कि तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।
दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।
कश्मीर को लेकर फैलायी झूठी खबर
अगस्त 2019 में ‘द वायर’ ने कश्मीर पर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की,जिसकी पोल श्रीनगर के डीसी शाहिद चौधरी ने खोली थी। ‘द वायर’ ने कश्मीर को लेकर ‘कश्मीर रनिंग शॉर्ट ऑफ लाइफ सेविंग ड्रग्स एज क्लैम्पडाउन कांटिन्यूज’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कश्मीर में जीवन रक्षक दवाओं की कमी बताई गई थी। इसमें कहा गया था कि श्रीनगर के दवा की दुकानों में दवाइयों की आपूर्ति कम कर दी गई है,जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही है।
श्रीनगर के मजिस्ट्रेट आईएएस अधिकारी शाहिद चौधरी ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने लेख के लिंक को शेयर करते हुए ट्वीट कर बताया कि सभी की चिंता का ख्याल रखा जा रहा है। एक दिन के लिए भी दवाइयों की कमी नहीं हुई है। आपूर्ति में कोई व्यावधान नहीं है। यदि कोई व्यक्तिगत मामलों में भी मदद चाहता है, उसके लिए भी प्रशासन तैयार है।
All concerns and worries are deeply appreciated but we were not low on medical stocks even for a single day. No interruption in supplies. Still open to help individual cases, if any.
https://t.co/MZDlX8bDNC— Shahid Choudhary (@listenshahid) August 23, 2019
सिर्फ आईएएस चौधरी ही नहीं, बल्कि जम्मू के आईपीएस प्रणव महाजन ने भी इस पोर्टल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस नाजुक समय में ऐसे पोर्टल्स को परिपक्वता दिखानी चाहिए। उन्होंने सबसे पहले जमीन पर मौजूद शाहिद चौधरी जैसे अधिकारियों से बात करनी चाहिए, फिर कोई रिपोर्ट करनी चाहिए।
कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ का पर्दाफाश
‘द वायर’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठी खबरें फैलाना अपना अधिकार समझता है। ‘द वायर’ ने You Tube पर एक वीडियो अपलोड किया। जिसमें कथित वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता, उर्मिलेश और प्रेम शंकर झा यह डिस्कशन करते दिख रहे हैं कि 5 अगस्त, 2019 के बाद एक भी कश्मीरी अखबार छप नहीं रहा है। यह ‘आपातकाल’ से भी बुरा दौर है, जिसमें अखबार तक नहीं छप रहे हैं। उनके इस प्रोपैगंडा को दूरदर्शन के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने डिबेट शो ‘दो टूक’ में एक्सपोज करके रख दिया। उन्होंने इन तथाकथित कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ को बेनकाब करते हुए अपने डिबेट शो में इनके मुंह पर सबूत दे मारे।
देखिये #DoTook में कैसे बेनकाब हुआ @thewire_in का झूठ – @AartiTikoo @ConnectJunaidd @iamkash_kr @rainarajesh @e_postmortem @hussain_imtiyaz #KashmirIssue #Kashmiri #कश्मीर pic.twitter.com/eFd0dxwmf9
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 11, 2019
आइए आपको द वायर की कुछ और खबरों के उदाहरण से बताते हैं कि सिद्धार्थ वरदराजन की वैकल्पिक पत्रकारिता आखिर कैसी है-
विष वमन की पत्रकारिता-1- 1 फरवरी को द वायर ने वेबसाइट पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन करने वाली एक क्लिप है। इस वीडियो को दिखाने के पीछे सिद्धार्थ वरदराजन की मंशा यही थी कि मोदी का राजनीतिक विरोध किया जाए। ‘द वायर’ की इस अमर्यादित और तर्कहीन वीडियो क्लिप की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-2- द वायर की प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन की रिपोर्टिंग का यह उदाहरण बेहद ही शर्मनाक है। ‘द वायर’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के विश्व आर्थिक मंच पर दिए गए भाषण की तर्कहीन निंदा की। दूसरी तरफ विश्व के सभी समाचार पत्रों ने इस भाषण में भारत की वैश्विकरण और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता की सराहना की थी। ‘द वायर’ की वह शर्मनाक रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-3- ‘द वायर’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें आंकड़ों को तोड़ा मरोड़ा गया और उसे सही साबित करने के लिए उन विशेषज्ञों के कथनों को आधार बनाया जो राजनीतिक रुप से प्रधानमंत्री मोदी के धुर विरोधी हैं। इस रिपोर्ट में सच्चाई को छुपाते हुए विश्लेषण किया गया। इस रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया कि आजादी के बाद से चली आ रही किसानों की समस्याओं के लिए सबसे लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की लचर नीतियां और क्रियान्वयन जिम्मेदार हैं। इस समस्या को ऐसे पेश किया गया जैसे देश के किसानों की समस्या पिछले तीन-चार सालों में ही पैदा हुई है। इस तथ्य को पूरी तरह से नकारा गया कि किस तरह किसानों की समस्या के मूल कारणों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कदम उठाए हैं, जिसे कांग्रेस की सरकारों को पहले ही लागू कर देना चाहिए था। आप भी द वायर की इस रिपोर्ट को देखिए-
विष वमन की पत्रकारिता-4- जब प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए 2018 के बजट में कई लाभकारी योजनाएं लागू करने की घोषणा की तो ‘द वायर’ ने लिखना शुरू कर दिया कि इन योजनाओं को सरकार लागू नहीं कर पाएगी। ऐसा कहने के लिए कोई पक्के सबूत सिद्दार्थ के पास नहीं थे, सिर्फ और सिर्फ काल्पनिक शंकाओं के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट थी। तोड़ मरोड़ कर आंकडों के आधार पर विष वमन करने वाली इस रिपोर्ट को देखिए-
विष वमन की पत्रकारिता-5- ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी के 2018 के बजट पर एक लेख प्रकाशित किया, इसमें सरकार को व्यापार विरोधी बताते हुए कहा गया कि 2018 के बजट को किसानों और गरीबों को ध्यान में रखकर बनाया गया। इस लेख में इस तथ्य को कोई तवज्जो नहीं दी गई कि प्रधानमंत्री मोदी हर बजट के जरिए अर्थव्यवस्था की मूल समस्याओं का समाधान किस तरह से करते आ रहे हैं। ‘द वायर’ की उस रिपोर्ट को देखिए, जिसमें बजट का कैसे एकपक्षीय विरोध किया गया-
विष वमन की पत्रकारिता-6 -4 फरवरी, 2018 को ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों के लिए 2018 के बजट में घोषित की गई आयुष्मान भारत योजना पर एक लेख प्रकाशित किया। लेख ने 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी 50 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपये की मुफ्त स्वास्थ्य योजना पर सवाल उठाते हुए इसे लोकलुभावन घोषित कर दिया। वेबसाइट ने यह भी बताने का प्रयास किया कि इस योजना को सरकार लागू नहीं कर सकती है क्योंकि उसके पास इसे लागू करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। लेकिन रिपोर्ट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया कि सरकार ने शेयरों की खरीद फरोख्त से होने वाली आमदनी पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाकर इस योजना को लागू करने की सारी तैयारी पहले से ही कर रखी है। इस लेख में यह भी ध्यान नहीं दिया कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों के अंदर गरीबों के लिए शौचालयों, मुफ्त गैस कनेक्शन, जन धन खाते, सड़कें, घर, बिजली आदि की योजनाओं को बहुत मजबूती से लागू कर दिया है। विष वमन करती हुई द वायर की रिपोर्ट-
विष वमन की पत्रकारिता-7- 1 फरवरी, 2018 को राजस्थान उपचुनावों में आए परिणामों को लेकर जिस तरह से एकपक्षीय रिपोर्टिंग ‘द वायर’ ने की, उससे यह समझना कठिन नहीं है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने इन परिणामों को तूल देकर कर राजनीतिक गोलबंदी करने का काम किया। वेबसाइट की हर एक रिपोर्ट में सीधा निशाना प्रधानमंत्री मोदी को बनाने का काम किया। राजस्थान के उपचुनावों पर की गई द वायर की एकपक्षीय और कुतर्क से भरी रिपोर्टस को देखिए-
‘द वायर’ एक ऐसा पोर्टल है, जो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टियों के ‘माउथपीस’ की तरह काम करता है। पत्रकारिता की आड़ में यह पोर्टल अनर्गल मुद्दों को आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की प्रदेश सरकारों को निशाना बनाता है, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। यह मोदी विरोध के एजेंडों पर काम करते हुए, देश के खिलाफ भी काम करने से बाज नहीं आता है।