ट्रेन यात्रियों की सबसे बड़ी शिकायत कन्फर्म टिकट को लेकर होती है। ट्रेन यात्रियों की संख्या और कन्फर्म टिकट की उपलब्धता में असंतुलन होने की वजह से यात्रियों को वेटिंग टिकट जारी किया जाता है। इससे यात्रियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन मोदी सरकार ने यात्रियों को इस समस्या से मुक्ति दिलाने का फैसला कर लिया है। रेल मंत्रालय रेलवे के ढांचागत सुधार के साथ ही आधुनिकीकरण पर तेजी से काम कर रहा है। भारतीय रेल अगले तीन-चार साल में यात्री ट्रेनों और माल गाड़ियों को मांग के अनुसार चलाने में सक्षम हो जाएगी।
वेटिंग लिस्ट खत्म होने से सफर होगा आसान
रेल बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने बताया है कि 2025 तक रेलवे की यात्री व माल ढोने की क्षमता दोगुनी होगी और वह यात्री ट्रेन व माल गाड़ियों को मांग के अनुसार चला सकेगा। इसके साथ 2024 तक निजी क्षेत्र की ट्रेन भी होंगी। इससे वेटिंग लिस्ट खत्म हो सकेंगे और सफर आसान होगा।
टिकट के कन्फर्म होने का इंतजार होगा खत्म
रेल यात्रियों को दिल्ली-मुंबई रूट पर सबसे पहले कन्फर्म टिकट मिलेगी। इसको लेकर रेलवे ने पूरी तैयारी कर ली है। इसके बाद दिल्ली-कोलकाता रूट पर ट्रेन टिकट के कन्फर्म होने का इंतजार नहीं करना होगा। क्योंकि रेलवे इस रूट पर चलने वाली मालगाड़ियों के लिए अलग से ट्रैक बना रही है। अगले 2 साल में इसके पूरा होने की उम्मीद है। लिहाजा इस रूट पर आसानी से ट्रेन टिकट मिल सकेगी।
ट्रेनों की स्पीड बढ़ने से समय की बचत
इसके साथ ही रेलवे ने अपने उच्च घनत्व नेटवर्क के सात सेक्टरों में ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने का भी प्लान तैयार किया है। इसके अनुसार 2021 तक 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेन चलेगी और 2025 तक इनकी गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा की जा सकेगी। माल गाड़ियों की गति 110 किलोमीटर प्रति घंटा की जाएगी। अगले 9 महीने के अंदर दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा के ट्रैक पर चलने वाली सभी ट्रेनें 130 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ने लगेंगी। पूरे ट्रैक पर एक ही स्पीड होने के कारण यात्री पहले से कम समय में अपनी मंजिल तक पहुंच सकेंगे।
रेलवे नेटवर्क से जुड़ेंगी पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानियां
रेल बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि साल 2023 तक उत्तर पूर्वी राज्यों की सभी राजधानियों के रेलवे नेटवर्क से जुड़ने की उम्मीद है। अभी सिक्किम मिजोरम नागालैंड मेघालय की राजधानी रेल नेटवर्क से नहीं जुडी हैं। दिसंबर 2022 तक कटरा से बनिहाल तक अंतिम स्ट्रैच भी पूरा हो जायेगा।
2023 तक सभी मार्गों का होगा विद्युतीकरण
रेलवे ने 40,000 से अधिक व्यस्त मार्गों में से 63% का विद्युतीकरण पूरा कर लिया है, जिसमें 2014-20 के दौरान 18,605 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण कार्य किया गया है। इससे पहले, 2009-14 की अवधि के दौरान केवल 3,835 किमी मार्ग का विद्युतीकरण पूरा हुआ था। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2020-21 के लिए 7000 किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण का लक्ष्य तय किया है। व्यस्त नेटवर्क के सभी मार्गों के दिसंबर 2023 तक विद्युतीकरण करने की योजना बनाई गई है।
रेलवे 2030 तक बन जाएगा ग्रीन
भारतीय रेलवे सन 2030 तक पूरी तरह से ग्रीन रेलवे में बदल जाएगा। रेल मंत्रालय ने 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह हरित ऊर्जा से संचालित करने का लक्ष्य निर्धारित करने के साथ, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में कई बड़ी पहल की है। रेलवे विद्युतीकरण, लोकोमोटिव और ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता में सुधार के साथ स्थाई उपकरणों और स्टेशनों के लिए ग्रीन सार्टिफिकेट हासिल करने, डिब्बों में बॉयो टॉयलेट बनाए जाने और अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिए नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन को प्राप्त करना इस रणनीति का हिस्सा है।
मोदी सरकार ने रेलवे के विकास के लिए कई कदम उठाए और सुरक्षित सफर के लिए कई उपाय किए हैं। डालते हैं एक नजर-
मोदीराज में रेलवे की बड़ी उपलब्धि, 9 महीने से भी कम समय में बना डाले 300 इंजन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र के नेतृत्व में रेलवे की इतनी प्रगति हुई है, जितनी आजादी के बाद भी नहीं हुई। चित्तरंजन लोकोमोटिव कारखाने (सीएलडब्ल्यू) ने 9 महीने से भी कम समय में 300 रेलइंजन बना कर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। सीएलडब्ल्यू ने वित्त वर्ष 2019-20 के शुरुआती 9 महीनों (216 कार्य दिवसों) से कम समय में 300 वां लोकोमोटिव बना कर तैयार कर दिया। इसके पहले सीएलडब्ल्यू 2018-19 में 402 लोकोमोटिव का उत्पादन करके दुनिया का सबसे बड़ा लोकोमोटिव निर्माता बन चुका है।
9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों का शुभारंभ
भारतीय रेलवे ने हाल ही में प्रमुख शहरों के आसपास के छोटे कस्बों को कनेक्टिविटी या रेल संपर्क सुलभ कराने के लिए 9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों का शुभारंभ किया। रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस व इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के साथ मिलकर दिल्ली-शामली यात्री ट्रेन का शुभारंभ कर नई दिल्ली से इन सेवाओं की शुरुआत की। अन्य ट्रेनों को उन टर्मिनल स्टेशनों से संबंधित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए झंडी दिखाकर रवाना किया गया जहां इन रेलगाडि़यों का शुभारंभ किया जाना है।
आठ राज्यों में इन 9 ‘सेवा सर्विस’ ट्रेनों में से 4 ट्रेनें प्रतिदिन और अन्य 5 ट्रेनें सप्ताह में 6 दिन चलाई जाएंगी।
● वडनगर – महेसाणा डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – गुजरात
● असरवा – हिम्मतनगर डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – गुजरात
● करूर – सलेम डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – तमिलनाडु
● कोयम्बटूर – पोलाची पैसेंजर ट्रेन (सप्ताह में 6 दिन) – तमिलनाडु
● कोयम्बटूर – पलानी पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन) – तमिलनाडु
● यशवंतपुर – तुमकुर डेमू (सप्ताह में 6 दिन) – कर्नाटक
● मर्कोंगसेलेक – डिब्रूगढ़ पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन) – असम
● भुवनेश्वर – नयागढ़ एक्सप्रेस (प्रतिदिन) – असम
● दिल्ली – शामली पैसेंजर ट्रेन (प्रतिदिन)
ये ट्रेनें ‘हब एंड स्पोक’ मॉडल के तहत चलाई जाएंगी जिससे यात्रियों को इन रेलगाडि़यों का उपयोग कर ‘हब’ तक पहुंचने और फिर अन्य प्रमुख स्टेशनों के लिए आगे की यात्रा करने में सुविधा होगी। भारतीय रेलवे ने छोटे शहरों एवं कस्बों के यात्रियों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए इसी मॉडल की तर्ज पर कई और रेलगाडि़यां चलाने की योजना बनाई है। इन उपायों से भारतीय रेलवे की कमाई भी बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में मदद मिलेगी।
6,000 करोड़ रुपये से बनने वालीं तीन नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के आधुनिकीकरण, ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने, प्लेटफॉर्म पर यात्री सुविधाओं को दुरुस्त करने के काम में युद्धस्तर पर लगी है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेलवे के कायाकल्प की जो मुहिम शुरू हुई थी, वो दूसरे कार्यकाल में भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
मोदी सरकार ने दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर इलाहाबाद और मुगलसराय के बीच ट्रेनों के आवागमन में होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए 2,649 करोड़ रुपये की लागत से एक तीसरी रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी दी। रेल मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक सीसीईए की बैठक में इलाहाबाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय) स्टेशन के बीच अनुमानित 2,649.44 करोड़ रुपये की लागत से एक तीसरी रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी दी गई। रेलमंत्री ने बताया कि इलाहाबाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशनों के बीच रेलमार्ग की क्षमता 159 फीसदी है। इन दोनों रेलवे स्टेशनों के बीच 150 किलोमीटर लंबा यह रेलमार्ग वर्ष 2023-24 तक पूरा होगा। यह काम उत्तर रेलवे निर्माण संगठन द्वारा पूरा किया जाएगा। रेलमंत्री के मुताबिक इस तीसरे रेलमार्ग से रेल यातायात की कठिनाई दूर होगी। जाहिर है कि इस रेलखंड पर यात्री व मालगाड़ियों की संख्या इसकी क्षमता से अधिक है, जिस कारण भारी भीड़भाड़ बनी रहती है और ट्रेनें लेट हो जाती हैं।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में सहजनवा और दोहरीघाट के बीच 81.17 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन के निर्माण को मंजूरी भी दी गई। इस परियोजना के निर्माण पर कुल 1319.75 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।
न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी रेल लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति की बैठक में ही असम में उत्तर-पूर्व फ्रंटियर रेल की न्यू बोंगाईगांव तथा अगथोरी वाया रंगिया (142.97 किलोमीटर) रेल लाइन के दोहरीकरण की मंजूरी दे दी गई। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2042.51 करोड़ रुपये है। परियोजना वर्ष 2022-23 तक पूरी होगी। इसे उत्तर-पूर्व फ्रंटियर रेल के निर्माण संगठन द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा। जाहिर है कि न्यू बोंगाईगांव तथा अगथोरी वाया रंगिया के बीच लाइन क्षमता उपयोग 100 प्रतिशत से अधिक है। इस सेक्शन पर यातायात और बढ़ेगा क्योंकि रंगिया-मरगोंगसेलेक बड़ी लाइन 2015-16 में शुरू की गई है और बोगीबिल पुल नई लाइन हाल में चालू की गई है। वर्तमान नेटवर्क की क्षमता बाधाओं को दूर करने तथा बढ़ते ढुलाई और यात्री यातायात से निपटने के लिए न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी वाया रंगिया रेल लाइन का दोहरीकरण आवश्यक है। दोहरीकरण से न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी वाया रंगिया रेल लाइन का समग्र परिचालन प्रदर्शन में सुधार होगा और काफी हद तक इस सेक्शन में भीड़भाड़ में कमी आएगी।
जल्द सभी पैसेंजर ट्रेनें होंगी हाईस्पीड, आधे समय में पूरा होगा सफर
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में इतना अधिक काम हो रहा है, जो पहले की सरकारों में कभी नहीं हुआ। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेलवे के आधुनिकीकरण का जो कार्य शुरू किया गया था, उसका फायदा अब यात्रियों को मिलने वाला है। बताया जा रहा है कि रेलवे अब स्थिति में आ रही है कि जल्द ही सभी यात्री ट्रेनें हाईस्पीड कर दी जाएंगी और इससे सफर का समय भी लगभग आधा रह जाएगा।
बीते वर्षों में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर बड़े जोर-शोर से काम चल रहा है। इसकी शुरुआत इसी साल हो जाएगी। हालांकि इसे पूरी तरह से बनने में अभी कुछ और वक्त लगेगा। लेकिन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने से दिल्ली-मुंबई के बीच जो कंटेनर अब 15 दिनों में पहुंचता है, उसे अब सिर्फ 24 घंटे ही लगेंगे। इसके बनने से यात्री गाड़ियों की रफ्तार भी दोगुनी से अधिक हो जाएगी। इतना ही नहीं रेलवे ट्रैकों के विद्युतीकरण का काम भी युद्धस्तर पर चल रहा है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने वर्ष 2015-16 में रेलवे में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल में 8.56 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना कर जो प्राथमिकताएं तय कीं थीं उन्हीं का असर है कि आज रेलवे का इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ है।
मोदी सरकार ने रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा पर विशेष ध्यान दिया है। इसी वजह है कि रेल दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित कमी आई है। इस दौरान ट्रेनों के टकराने के मामले शून्य हो गए और रेलगाड़ियों के बेपटरी होने की घटनाओं में कमी आई है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ही रेलवे के माल ढुलाई राजस्व में 5.33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई ही।
रेलवे में आधुनिकीकरण के साथ सुरक्षा को प्राथमिकता
भारतीय रेल देश के विभिन्न हिस्सों को आपस में जोड़ती है और रोजाना करोड़ों की संख्या में यात्री ट्रेनों में सफर करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार रेलवे के सफर को सुरक्षित और आरमदायक बनाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसका प्रमाण मोदी सरकार की मौजूदा और भावी योजनाओं से मिलता है, जिसके बारे में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक सवाल के जवाब में संसद में बताया। रेल मंत्री के मुताबिक जापान से 24 बुलेट ट्रेनें खरीदी जाएंगी, वहीं सुरक्षा के मद्देनजर लंबी दूरी की ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और आरपीएफ में 9 हजार भर्तियां होंगी।
मेक इन इंडिया के तहत 6 बुलेट ट्रेनें भारत में होंगी असेंबल
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और जापानी कंपनी के बीच हुए एमओयू के अनुसार मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीदी जाने वाली 24 रेलगाड़ियों में से छह को भारत में असेंबल करने की योजना है। गोयल ने बताया कि इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से 81 फीसदी राशि की फंडिंग जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जीका) के जरिए किया जाएगा। इस काम को 2023 में पूरा करने का लक्ष्य है।
लंबी दूरी की ट्रेनों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
रेलमंत्री गोयल ने बताया कि सरकार का लंबी दूरी की सभी ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है। प्रीमियम, मेल, एक्सप्रेस और उपनगरीय रेल गाड़ियों के सभी सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कदम उठाए गए हैं। पहले चरण के दौरान इन गाड़ियों के 7020 सवारी डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना है।
वाई-फाई से जुड़े देश के 1500 रेलवे स्टेशन
प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत सभी रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाई-फाई सुविधा देने की परियोजना जनवरी 2016 में पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल स्टेशन से शुरू की गई थी। इसी के तहत देश के 1500 रेलवे स्टेशनों पर वाई-पाई की सुविधा दी जा चुकी है।
RailWire Wi-Fi by RailTel is now Live at 1500 Railway Stations across the country. Sahibabad Railway station of Northern Railway becomes the 1500th Station to be live with RailWire Wi-Fi. 500 stations Wi-Fi made live in mere 7 days time. #DigitalIndia #Digitalrail pic.twitter.com/o72DQFL2VO
— RailTel (@RailTel) April 5, 2019
दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री बनाने की पहल
पिछले साल 16 दिसंबर को पीएम मोदी ने यूपी के रायबरेली रेल कोच फैक्ट्री से बनकर निकले 900वें रेल डिब्बे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि, “मुझे गर्व हो रहा है कि आने वाले समय में रायबरेली रेल कोच के निर्माण में एक ग्लोबल हब बनने वाला है।” उन्होंने कहा कि 2014 तक यहां 3 प्रतिशत मशीनें ही काम कर रही थी, जिस स्थिति को उनकी सरकार ने बदल दिया। उनके सरकार में आने के बाद 3 महीने के भीतर ही यहां से पहला कोच बनकर निकला। भाजपा सरकार के प्रयास से अब सारी मशीनें पूर्ण क्षमता से काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब जो काम हो रहा है, वह इसे भारत की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी रेल कोच फैक्ट्री बना देगा। बहुत जल्द ही इस फैक्ट्री में देशभर के लिए मेट्रो के डिब्बे, सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के डिब्बे बनेंगे। जबकि, 2010 में फैक्ट्री बनने के बाद से 2014 तक यहां पर सिर्फ कपूरथला से रेल डिब्बे लाकर पेंटिंग और पेंच कसने का ही काम होता था।
अब रविवार के दिन होगा मेगा ट्रैफिक ब्लॉक
रेल मंत्रालय के मुताबिक ट्रेनें लेट होने की मुख्य वजह कई जगहों पर सिग्नल व्यवस्था, ट्रैक सुधार, विद्युतीकरण आदि का कार्य है। अब रविवार के दिन ही मेगा ट्रैफिक ब्लॉक कर छुट्टी वाले दिन ही यह सारे कार्य किए जाएंगे, और जिन जगहों पर ज्यादा समस्या है, जैसे इलाहाबाद और मुगलसराय के बीच, वहां पर एलिवेटेड ट्रैक, बाईपास रेल ट्रैक बनाकर ट्रेनों को राइट टाइम चलाया जाएगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अगर ट्रेन देरी से संचालित होती है तो रेलवे यात्रियों को मुफ्त में खाना व पानी देगा। दरअसल रेलवे ने निर्माणकार्य को ध्यान में रख प्रतिदिन दो-तीन घंटे व रविवार को मेगा ट्रैफिक ब्लॉक लेने का निर्णय लिया है।
इस दौरान अगर ट्रेन किसी भी स्टेशन पर रुकती है तो खाने के समय में यात्रियों को मुफ्त खाना दिया जाएगा। आईआरसीटीसी को अपनी तरफ से यात्रियों के लिए लंच और पीने के पानी की व्यवस्था करेगा, इतना ही नहीं अनारक्षित श्रेणी वाले यात्रियों को खाना देने पर रेल मंत्रालय विचार करेगा।
रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंड बाई रखे जाएंगे
यात्रियों को अब ट्रेनों की रवानगी के लिए आने वाली ट्रेन का इंतजार नहीं करना होगा। रेलवे मंत्रालय के अनुसार अब रेल टर्मिनल पर अतिरिक्त कोच स्टैंडबाई रखे जाएंगे, ताकि ट्रेन को समय से रवाना किया जा सके। अभी तक होता यह कि आने वाली ट्रेन को ही वापस रवाना किया जाता है, और रवाना होने से पहले ट्रेन की साफ-सफाई आदि में 6 घंटे का वक्त लगता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा कोच निर्माण कर इस समस्या से समाधान ढूंढा जाएगा। इसके लिए रेलवे 700 से 800 नए कोच र्निमित करने के बारे में योजना बना रहा है। ये कोच उस वक्त कामगार साबित होगें जब आने वाली ट्रेन रास्ते में लेट हो रही हो।
अनारक्षित टिकट के लिए मोबाइल ऐप लांच
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देश डिजिटलीकरण की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे ने पिछले एक नवम्बर से पूरे देश में यूटीएस मोबाइल ऐप की शुरुआत की, जिसके जरिए अब अनारक्षित टिकटों को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। रेलवे में आरक्षित टिकटों की ऑनलाइन बिक्री तो काफी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन अनारक्षित टिकटों के लिए आज भी स्टेशन पर रेलवे विंडो पर लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। यात्रियों को इसी परेशानी से निजात दिलाने के लिए मोदी सरकार ने एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप के माध्यम से आसानी से अनारक्षित टिकट बुक किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस टिकट के प्रिंट की जरूरत नहीं है, टीटी को मोबाइल पर ही टिकट दिखाया जा सकता है। मोबाइल आधारित एप्लिकेशन ‘अटसनमोबाइल’ को रेल सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने विकसित किया है।
रेल मंत्रालय के मुताबिक ‘अटसनमोबाइल’ एप में सावधिक (सीजन) और प्लेटफॉर्म टिकटों के नवीनीकरण, आर-वॉलेट की बकाया राशि की जांच और लोड करने तथा यूजर प्रोफाइल मैनेजमेंट और बुकिंग हिस्ट्री की भी सुविधा है। रेल यात्री इस एप को गूगल प्ले स्टोर या विंडोज स्टोर से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। इस एप में यात्री सबसे पहले अपना मोबाइल नंबर, नाम, शहर, रेल की डिफ़ॉल्ट बुकिंग, श्रेणी, टिकट का प्रकार, यात्रियों की संख्या और बार-बार यात्रा करने के मार्गों का विवरण देकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकरण कराने पर यात्री का जीरो बैलेंस का रेल वॉलेट (आर-वॉलेट) स्वत: ही बन जाएगा। आर-वॉलेट बनाने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। आर-वॉलेट को किसी भी यूटीएस काउंटर पर या वेबसाइट पर उपलब्ध विकल्प के माध्यम से रीचार्ज किया जा सकता है। इस एप में अग्रिम टिकट बुकिंग की अनुमति नहीं है। यानि हमेशा वर्तमान तिथि में ही यात्रा की जाएगी।
रेल यात्रियों के लिए रेल मदद और मेन्यू ऑन रेल एप
रेल यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने दो मोबाइल एप ‘रेल मदद’ और ‘मेन्यू ऑन रेल’ को लॉन्च किया। ‘मेन्यू ऑन रेल’ द्वारा सफर के दौरान यात्री खाने-पीने की चीजों के बारे में सभी जानकारी ले सकेंगे, वहीं, ‘रेल मदद’ मोबाइल ऐप से रेल संबंधी किसी भी शिकायत को दर्ज कराया जा सकेगा। रेलवे ने पिछले महीने इन दोनों एप को लॉन्च करने की घोषणा की थी। ‘मेन्यू ऑन रेल’ एप की मदद से यात्री यह जान पाएंगे कि ट्रेन में खाने के लिए क्या-क्या उपलब्ध है। सामान के साथ-साथ उनकी कीमत भी बताई जाएगी। एप का इस्तेमाल करते हुए यात्री को पहले यह सिलेक्ट करना होगा कि वह किस ट्रेन में सफर कर रहा है, जैसे राजधानी, शताब्दी, दूरंतो, गतिमान या फिर तेजस। इसके हिसाब से उपलब्ध खाना दिखाया जाएगा।
Union Minister Piyush Goyal and MoS Railways Manoj Sinha launched two mobile applications – ‘Rail MADAD’ and ‘Menu on Rails’ in #Delhi pic.twitter.com/xq6iKOyb5x
— ANI (@ANI) 11 June 2018
भारतीय रेलवे ने डिजिटल पहलों और पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। ई-रिवर्स नीलामी नीति शुरू की जा रही है जिससे लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन में सरल अनुमोदन प्रक्रियाओं की बदौलत संबंधित प्रक्रिया में लगने वाली समयसीमा 30 माह से घटाकर 6 माह हो गई है।
पूर्वोत्तर की लाइफलाइन बोगीबील पुल राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर, 2018 को वाजपेयी जी के जन्मदिन पर असम में बोगीबील पुल को राष्ट्र को समर्पित किया। ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह देश का सबसे लंबा रेल सह सड़क पुल है। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इसका शिलान्यास किया था। इस पुल को वैसे तो 6 साल में बनकर तैयार होना था, लेकिन इसे पूरा होने में 16 साल का लंबा वक्त लग गया। यूपीए सरकार के दौरान पुल का काम एक तरह से रुका रहा और 12 साल में सिर्फ 58% काम किया पूरा किया गया। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार आने के बाद ब्रिज का निर्माण युद्धस्तर पर शुरू हुआ और 2018 में बनकर तैयार हो गया। बोगीबील रेल-रोड पुल से असम समेत पूर्वोत्तर में विकास के नए रास्ते खुले हैं। असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर बनाया गया यह पुल असम के धीमाजी जिले को डिब्रूगढ़ से जोड़ता है। पुल के निर्माण में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई।
देश का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय
13 लाख से भी अधिक सदस्यों वाले रेल परिवार को सशक्त बनाने और उनका कौशल बढ़ाने के महत्व को ध्यान में रखते हुए निचले स्तर पर अधिकारों को सौंपने या हस्तांतरण करने सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय खुला है। कर्मचारी सशक्तिकरण से लेकर कौशल बढ़ाने के नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रेलवे अपने कार्यबल में एक नई ऊर्जा भर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेलवे जीवन रेखा बन जाए और जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे सके और 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।
एसएमएस से मिलती है ट्रेनों के देरी से आने की सूचना – ट्रेन आने में देरी होने पर रेल यात्रियों को एसएमएस के जरिये इसकी सूचना देने की शुरुआत 3 नवंबर, 2017 से हुई। अब तक यह व्यवस्था सभी राजधानी, शताब्दी, तेजस, गतिमान ट्रेनों के अलावा जनशताब्दी, दुरंतो और गरीब रथ ट्रेनों के लिए भी शुरू हो गई है। यह सेवा अब तक 250 ट्रेनों के लिए उपलब्ध है।
आरक्षित सीट के लिए विकल्प व कोटे की सुविधा – सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को आरक्षित सीट उपलब्ध कराने के लिए अल्टनेट ट्रेन को विकल्प के तौर पर व्यवस्थित करने की प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2017 से शुरू की थी। वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एसी 3 क्लास में दो बर्थ और स्लीपर में 4 बर्थ की व्यवस्था की गई है।
497 रेलवे स्टेशनों पर ऑनलाइन रिटायरिंग रूम बुकिंग – रिटायरिंग रूम और शयनगृह में उपलब्ध आवास का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के के लिए रात्रि बुकिंग को छोड़कर रिटायरिंग रूम की बुकिंग के साथ-साथ शयनगृह की बुकिंग के लिए निर्देश जारी किए गए जहां बुकिंग को रात्रि 9 बजे से सुबह 9 बजे तक अनिवार्य रूप से पूरा किया जाएगा। यह सेवा अभी मुंबई, अहमदाबाद, वड़ोदरा और सुरत रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध है।
रेलवे में नई खानपान नीति – नई खानपान नीति के तहत सभी श्रेणी के स्टेशनों पर प्रत्येक श्रेणी के छोटे खानपान इकाइयों के आवंटन में महिलाओं के लिए 33% का कोटा दिया गया है। पीएसयू आईआरसीटीसी की ई-कैटरिंग सेवा के जरिए स्थानीय व्यंजन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूह को तैयार किया गया।
स्टेशनों पर बेहतर लाइट के लिए एलईडी – बेहतर प्रकाश और यात्री सुरक्षा के लिए मार्च 2018 तक सभी स्टेशनों पर 100% प्रतिशत एलईडी प्रकाश व्यवस्था की शुरुआत की गई। अब तक 3,500 से अधिक स्टेशनों पर एलईडी लाइट का काम पूरा हो चुका है।
रेलवे प्लेटफार्म पर चार्जिंग प्वाइंट – सभी रेलवे प्लेटफार्मों पर मोबाइल और लैपटॉप के लिए चार्जिंग प्वाइंट की व्यवस्था की जा रही है।
कीट से मुक्ति के लिए मशीन – यात्रियों को क्रीड़े से मुक्त रखने के लिए रेलवे स्टेशनों पर कीट पकड़ने वाले मशीनों की व्यवस्था की जा रही है।
टिकट बुकिंग के लिए नया मोबाइल एप – आईआरसीटीसी रेल कनेक्ट ने एक नया मोबाइल एप लॉन्च किया। आधार से जुड़े यूजर आईडी को एक महीने में 12 ई-टिकट बुक करने की अनुमति दी गई, जबकि गैर आधार यूजर आईडी के लिए 6 टिकट बुक करने का प्रावधान है।
रेल सुरक्षा नया मोबाइल एप – यात्रियों की सुविधा के लिए नया इंटीग्रेटेड मोबाइल एप ‘रेल सुरक्षा’ को लांच किया गया। इसके माध्यम से रेल ई-टिकट बुकिंग, अनारक्षित टिकट, शिकायत प्रबंधन, क्लीन कोच, यात्री पूछताछ आदि की व्यवस्था की गई है।
भीम और यूपीआई से काउंटर पर भुगतान – टिकट के भुगतान के लिए आरक्षण काउंटर पर यूपीआई / बीएचआईएम ऐप का उपयोग कर सकते हैं। ई-टिकटिंग वेबसाइट के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट स्वर्ण – 14 राजधानी और 15 शताब्दी ट्रेनों की “परियोजना स्वर्ण” के तहत यात्री सुविधा में सुधार करने के लिए पहचान की गई। इसके तहत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ‘कर्मचारी व्यवहार’ को एक महत्वपूर्ण पैरामीटर के रूप में पहचाना गया था। इन प्रमुख ट्रेनों के अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को खानपान, प्रबंधन और सफाई जैसे विभिन्न पहलुओं में प्रशिक्षित किया गया था।