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ऑपरेशन सिंदूर और आर्टिकल 370 पर कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के रुख से अलग-थलग पड़े Rahul Gandhi, फिर दो खेमों में बंटी कांग्रेस

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अजब-गजब करतूतों के चलते पहले ही कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी से किनारा कर चुके हैं। इसके चलते कांग्रेस देश के हर राज्य में लगातार कमजोर होती चली जा रही है। लेकिन इसके बावजूद राहुल गांधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। एक ओर ऑपरेशन सिंदूर की ऐतिहासिक और शानदार सफलता की दुंदभि देशवासियों में ही नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी जोर-शोर से बज रही है। दूसरी ओर राहुल गांधी अपने एक एजेंडा और झूठे नैरेटिव के साथ भारत को बदनाम करने के मिशन पर चल रहे हैं। हालात ये हैं कि राहुल गांधी अपनी इस सोच के चलते अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। पार्टी के कई कद्दावर नेताओं सांसद शशि थरूर, पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने खुलकर विरोध का झंडा उठा लिया है। ये नेता राहुल गांधी की मनगढ़ंत पार्टी लाइन से अलग हटकर ना सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने यह कहकर राहुल गांधी को बौना साबित कर दिया है कि देशहित सबसे बड़ा है।

ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी की रणनीति पर उठ रहे सवाल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर, मनीष तिवारी और सलमान खुर्शीद ने कांग्रेस लाइन से अलग रुख अपनाया हुआ है। इसलिए राहुल गांधी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं और पार्टी में असहमति बढ़ रही है। दरअसल, पहलगाम हमले के बाद दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत ने अलग-अलग देशों में अपने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। क्योंकि वे राहुल गांधी की खींची लकीर पर आंखें मूंदकर चलने के बजाए देशहित में कदम बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी डेलीगेशन में शामिल हैं। उन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द करने का समर्थन किया है। उनके इस बयान से कांग्रेस मुश्किल में आ गई है। वरिष्ठ नेताओं ने खुर्शीद की टिप्पणी पर कोई जवाब नहीं दिया है। लेकिन जब से सरकार ने 51 सदस्यों वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजा है, तब से पार्टी के भीतर बेचैनी बढ़ रही है।

पार्टी लाइन से अलग जाकर थरूर ने बढाया राहुल का ब्लड प्रेशर
सबसे पहले विवाद तो कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर उठा। राहुल गांधी की असहमति के चलते इतने वरिष्ठ और बुद्धिजीवी सांसद का नाम कांग्रेस ने डेलीगेशन के लिए नहीं भेजा। लेकिन मोदी सरकार ने उनकी खासियतों को नवाजते हुए उन्हें एक डेलीगेशन का नेतृत्व ही सौंप दिया। इसके बाद शशि थरूर ने बयान दिया था कि भारत ने मोदी सरकार के दौरान पहली बार LoC पार करके सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। थरूर ने एकदम सच बात कही, जो उनकी पार्टी के नेताओं को कड़वी लग गई। खुर्शीद के हालिया बयान और थरूर की पहले की टिप्पणी ने कांग्रेस पार्टी के भीतर खलबली मचा दी है। बता दें कि कांग्रेस ने पहले अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया था। बाद में पार्टी ने अपना रुख बदला और अब इस मुद्दे पर चुप है। कांग्रेस में शशि थरूर की तरह पार्टी लाइन से अलग मत रखने वालों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है।

 

राहुल के नेतृत्व पर एक खेमे का अविश्वास खुलकर सामने आया
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस के स्टैंड से उसकी ही पार्टी के कई नेता इत्तेफाक नहीं रखते। कांग्रेस, सरकार पर हमलावर है। राहुल गांधी बार-बार सरकार से अनावश्यक सवाल पूछ रहे हैं कि हमारे कितने फाइटर जेट को नुकसान हुआ। दरअसल, वे पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। उन्हें पूछना तो यह चाहिए कि हमारी वायुसेना ने पाकिस्तान को किस तरह तहस-नहस कर दिया? लेकिन राहुल गांधी द्वारा अनाप-शनाप तरीके से ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना किसी के भी गले नहीं उतर रही है। जी हां, कांग्रेस के कई नेता ऑपरेशन सिंदूर से गदगद हैं। वे इसके लिए खुलकर मोदी सरकार की तारीफ कर रहे हैं। ऐसे में शशि थरूर के बाद अब मनीष तिवारी और सलमान खुर्शीद के स्टैंड राहुल गांधी को की टेंशन बढ़ाने वाले हैं। दरअसल, कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर हलचल मची है। ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस दो खेमों में बंट चुकी है। एक खेमा सरकार से सवाल कर रहा है या चुप्पी साधे हुए है। दूसरी ओर कांग्रेस के कई नेता हैं जो सरकार के एक्शन से खुश नजर आ रहे हैं। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर जिस तरह से कांग्रेस नेता शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने पार्टी लाइन से अलग बयान दिए हैं, उससे साफ होता जा रहा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर एक खेमे का अविश्वास या असहमति अब खुलकर सामने आ रही है।

मनीष तिवारी ने डेलिगेशन में शामिल होने के फैसले को जस्टिफाई किया
ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी की रणनीति पूरी तरह से सवालों के घेरे में है। विपक्षी गठबंधन में जहां अन्य दल चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं कांग्रेस ने हमलावर रुख अपनाया है। इसे लेकर कांग्रेस की आलोचना भी हो रही है। ऐसे में शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी जैसे सीनियर नेता पार्टी की पार्टी लाइन से अलग नजर आए। शशि थरूर विरोध के बाद भी ऑपरेशन सिंदूर डेलिगेशन का हिस्सा बने। उन्होंने इसे राष्ट्रीय हित का मसला बताया। ठीक उनकी राह पर मनीष तिवारी ने भी ऑल पार्टी डेलिगेशन में खुद को शामिल करने के फैसले को जस्टिफाई किया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर वाले डेलिगेशन शामिल होने के अपने फैसले को राष्ट्र की पुकार बताया। यहां बताना जरूरी है कि कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों सांसदों को डेलिगेशन में शामिल होने से रोकने की कोशिश की थी। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चार वैकल्पिक नाम सुझाए थे, जिनमें शशि थरूर और मनीष तिवारी का नाम नहीं था। शशि थरूर और मनीष तिवारी की तरह सलमान खुर्शीद भी डिलेगेशन में शामिल हैं।

आर्टिकल 370 को खत्म करने के कदम कश्मीर में खुशहाली आई-खुर्शीद
सलमान खुर्शीद उन 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक का हिस्सा हैं जो अभी अलग-अलग देशों का दौरा कर रहे हैं। डेलीगेशन में इंडोनेशिया गए सलमान खुर्शीद ने थिंक टैंक और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आई समृद्धि को खत्म करना चाहता है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में लंबे समय से एक बड़ी समस्या थी। इसका ज्यादातर असर संविधान के अनुच्छेद 370 में दिखता था। इससे ऐसा लगता था कि यह देश के बाकी हिस्सों से अलग है। आखिरकार मोदी सरकार ने इसे खत्म कर दिया गया, क्योंकि बहुत समय बीत चुका था।’ खुर्शीद ने आगे कहा, ‘इसके बाद, 65 प्रतिशत भागीदारी के साथ चुनाव हुआ। आज कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार है।’ कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का विरोध किया था। आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए विदेश भेजे गए डेलिगेशन में सलमान खुर्शीद ने भी पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाया। अगस्त 2019 में मोदी सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 को खत्म करने के ऐतिहासिक कदम की सराहना करते हुए खुर्शीद ने कहा कि इस कदम के बाद कश्मीर में खुशहाली आई है।

राहुल गांधी के रवैये और अस्पष्ट रणनीति से कांग्रेस नेता असहज
राहुल गांधी के रवैये, अस्पष्ट रणनीति और विवादास्पद बयानबाजी के चलते कांग्रेस में नेता ही असहज महसूस करने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस उमर अब्दुल्ला सरकार के साथ है। उमर अब्दुल्ला आर्टिकल 370 के खात्मे के खिलाफ हैं। राहुल गांधी को समझ में नहीं आ रहा है कि वे उमर अब्दुल्ला का समर्थन करें या राष्ट्रहित में आर्टिकल 370 का समर्थन करें? जैसा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद कर रहे हैं। इसी तरह राहुल गांधी ने पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने वाले सर्वदलीय डेलीगेशन में अपनी पार्टी के नेता तो भेजे हैं। लेकिन जिस ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को दुनियाभर के सामने बेनकाब कर दिया है, उसके बारे में वे खुद ऊल-जुलूल बयानबाजी करने में लगे हैं। इस तरह शशि थरूर, मनीष तिवारी और सलमान खुर्शीद के स्टैंड से कांग्रेस के कई नेता असहज हो रहे हैं। फिलहाल ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी अपने बयानों और स्टैंड को लेकर आलोचना पर ट्रोल हो रहे हैं। वह शशि थरूर को पाक को बेनकाब करने वाले डेलिगेशन में नहीं जाने देना चाहते थे। इसे लेकर भी उनकी आलोचना हुई। भाजपा ने भी उन्हें घेरा। अब तो पार्टी के भीतर से भी आवाजें उठने लगी हैं। कांग्रेस में जिस तरह से खुलकर कई नेता बारी-बारी से ऑपरेशन सिंदूर और सरकार के कुछ फैसलों की तारीफ कर रहे हैं, इससे कांग्रेस और राहुल गांधी बैकफुट पर हैं।

मिली कूटनीतिक जीत, थरूर की नाराजगी के बाद कोलंबिया ने बदले सुर
ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंक के चेहरे को बेनकाब करने के लिए शशि थरूर के नेतृत्व में जो डेलिगेशन कोलंबिया गया। उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। बता दें भारत की ओर से पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए किए गए हमलों के बाद से कोलंबिया ने पाकिस्तान के प्रति संवेदना जताई थी, लेकिन जब डेलिगेशन ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई तो इसके सुर बदले हुए नजर आए और आधिकारिक तौर पर अपना बयान वापस ले लिया है। इस मामले पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा था कि हम कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से निराश हैं। वहीं, डेलीगेशन से मुलाकात के बाद कोलंबिया की उप विदेश मंत्री योलांडा विलाविसेनियो ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि आज हमें जो स्पष्टीकरण मिला है। कश्मीर में जो कुछ हुआ उसके बारे में अब हमारे पास जो जानकारी है, उसके बेस पर हम बातचीत जारी रखेंगे। इस दौरान शशि थरूर ने आगे कहा कि हमें अभी भी महात्मा गांधी की जमीन पर गर्व है। कोलंबिया के बयान वापस लेने के बाद ये संदेश गया है कि ये भारत की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है।

 

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