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केजरीवाल और भगवंत मान चुनाव प्रचार के दौरान झूठे वादे करने में व्यस्त, पंजाब पुलिस कृषि मजदूरों पर लाठी बरसाने में व्यस्त

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने-अपने राज्य की जनता को छोड़ दूसरे राज्य में चुनाव प्रचार में व्यस्त है। लोगों को सपने दिखाने और झूठे वादे करने के अलावा उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। दिल्ली और पंजाब की जनता सड़कों पर हैं,लेकिन उनको सुनने वाला कोई नहीं है। जनता जब अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रही है, तो उसे पुलिस की लाठियां मिल रही हैं। संगरूर में मुख्यमंत्री भगवंत मान के आवास की ओर कूच कर रहे मजदूर संगठन के सदस्यों पर पंजाब पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मजदूर संगठनों ने आप सरकार पर वायदा खिलाफी करने का आरोप लगाया है।  

सांझा मजदूर मोर्चा पर लाठीचार्ज, कई मजदूर घायल

पंजाब की आठ मजदूर यूनियनों का संयुक्त मंच सांझा मजदूर मोर्चा ने बुधवार (30 नवंबर, 2022) को संगरूर में ड्रीमलैंड कॉलोनी स्थित मुख्यमंत्री भगवंत मान के किराए के मकान के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। मजदूर संगठनों के सदस्य अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के आवास की ओर जा रहे थे। इस दौरान विरोध प्रदर्शन कर रहे मजदूरों और ट्रेड यूनियनों के सदस्यों की पुलिस से झड़प हुई। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस ने प्रदर्शन करने पहुंचे मजदूरों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसमें कई मजदूर घायल हो गए। जिन्हें संगरूर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती

संगरूर में प्रदर्शन कर रहे मजदूर संगठनों की दो प्रमुख मांगें हैं। इनमें उन्हें रहने-मकान बनाने के लिए प्लॉट देने और पक्के रोजगार की मांग शामिल है। मजदूर संगठनों का कहना है कि उन्हें मनरेगा और खेतों में काम करने पर रोज दिहाड़ी नहीं मिलती। प्रदर्शनकारी न्यूनतम दैनिक मजदूरी बढ़ाकर 700 रुपये करने और मनरेगा के तहत कृषि मजदूरों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी में वृद्धि की मांग कर रहे थे। पहले से घोषित विरोध प्रदर्शन की शुरुआत बुधवार सुबह हुई थी। पटियाला बाईपास पर जमा हुए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के रोकने पर मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग किया।

पंचायतों को मनरेगा का फंड भी नहीं दे रही पंजाब सरकार

इससे पहले इन कृषि मजदूरों ने अक्टूबर में 19 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया था। सरकार द्वारा लिखित रूप में उनकी मांगों को स्वीकार करने के बाद मजदूर किसान आंदोलन वापस लेने पर सहमत हुए थे। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, अपनी मांगों को लेकर वह पंजाब की AAP सरकार से कई दौर की मीटिंग्स कर चुके हैं, लेकिन सरकार जानबूझकर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। पंजाब सरकार पंचायतों को मनरेगा का फंड भी नहीं दे रही। ऐसे में उनके लिए अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। पंजाब में आज भी मजदूरों की दिहाड़ी ढाई सौ रुपए है। सरकार दिहाड़ी बढ़ाने, प्लॉट देने और कर्ज माफ करने का वादा करके अब मुकर रही है।

सरकार से मिला सिर्फ आश्वासन, लिखित में कुछ नहीं दिया

सांझा मजदूर मोर्चा में शामिल पंजाब खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष जोरा सिंह नसराली ने कहा, “हमारी सीएम भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कई उच्च अधिकारियों के साथ पहले बैठकें हुई थीं। सीएम मान के साथ हमारी आखिरी बैठक 3 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया था। और उसके बाद मुलाकात की कोई तारीख घोषित नहीं की गई। अधिकारियों ने हमें आश्वासन दिया लेकिन लिखित में कुछ नहीं दिया। इसलिए, हमारे पास सीएम के घर के बाहर विरोध करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था।”

मजदूरों को पिटता छोड़ भगवंत मान प्रचार करने गुजरात पहुंचे

मजदूर सगंठन के सदस्य मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर पहुंच कर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस उन पर लाठियां बरसा रही थी। उधर भगवंत मान घर छोड़कर गुजरात में चुनाव प्रचार करने में व्यस्त है। पंजाब के 25 हजार घरों का बिजली बिल लेकर गुजरात में घूम-घूम कर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। मान लोगों से दावा कर रहे हैं कि दर्ज पते और नाम की जांच कर सकते हैं। अब तक पंजाब में लगभग 75 लाख बिजली के मीटर लगे हैं और इनमें से 61 लाख घरों का महीने का बिजली बिल शून्य आया है।

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