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हॉलीवुड और साउथ की फिल्में हिंदू संस्कृति से ले रही प्रेरणा, मशहूर निर्देशक जेम्स कैमरून की अवतार 2.0 में हिंदू मान्यताओं का बखान, बॉलीवुड की फिल्मों में हिंदू संस्कृति का ही अपमान

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देश में एक ओर सेकुलरवाद के नाम पर मुंबइया बॉलीवुड में हमारी सनातन और हिंदू धार्मिक मान्यताओं का निरादर होता है, तो दूसरी ओर दक्षिण भारतीय फिल्मों के कई निर्माता-निर्देशक और कलाकार सनातन हिंदू परंपराओं का सम्मान कर रहे हैं। यही वजह है कि दक्षिण की फिल्में अब उत्तर भारत में भी धूम मचा रही हैं। दक्षिण के साथ ही अब भारत के हिंदू जनमानस की विराट सनातन परंपराओं और पौराणिक कथाओं का मुरीद हॉलीवुड भी हो गया है। टाइटैनिक, टर्मिनेटर और अवतार जैसी सुपर ब्लॉक बस्टर फिल्मों के मशहूर निर्देशक जेम्स कैमरून कहते हैं, ‘हिंदुओं का पूरा देव समूह बहुत ही समृद्ध और जीवंत है। मुझे इनकी पौराणिक कथाएं, मेरा मतलब है कि इनके बारे में सब कुछ बहुत ही ज्यादा पसंद है। यही वजह है कि अवतार सीरीज की फिल्मों को बनाने के लिए जरूरी प्रेरणा और अवधारणा में हिंदू माइथोलॉजी की भी अहम भूमिका है।आज पीएम मोदी युग में दर्शक अपने धर्म और संस्कृति को लेकर बेहद जागरूक हुए
दरअसल, वामपंथियों के साथ ही तथाकथित बुद्धिजीवी कहे जाने वाले बॉलीवुड ने ही हमारी धार्मिक मान्यताओं का सबसे ज्यादा निरादर किया है। वह चाहे फिल्म पीके हो या डाक्युमेंट्री फिल्म काली, शमशेरा से लेकर आमिर खान की पिछली मूवी लाल सिंह चढ्डा तक हिंदू समुदाय के सनातन प्रतीकों को जबरदस्ती गलत अर्थों में दिखाया गया। भारत का बहुसंख्यक समाज आज पीएम नरेन्द्र मोदी युग में अपने धर्म और संस्कृति को लेकर जिस तरह की जागरूक भूमिका में है, वैसी पहले कभी दिखी नहीं। पीएम खुद सनातन मूल्यों और प्राचीनतम मंदिरों के जीर्णोद्धार में लगे हैं। इसलिए आज बहुसंख्यक वर्ग अपने मूल्यों को लेकर संवेदनशील है, तो उस पर अंगुली उठाने वालों के लिए आक्रामक भी। हिंदू समाज अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर गौरवान्वित है, तो जानबूझकर इसका विद्रूप चेहरा दिखाने, धर्म और आराध्यों का अपमान करने वालों के खिलाफ बेहद सजग और सक्रिय भी है।सनातन का अपमान करने वाली हिंदू विरोधी फिल्मों को फ्लॉप कराकर मुंहतोड़ जवाब दिया
अब हिंदू समुदाय मौन न रहकर सनातन धर्म का अपमान करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। बॉलीवुड की फ्लॉप होती हिंदू विरोधी फिल्में इसका प्रमाण हैं। यही वजह है कि हिंदू आस्था और मूल्यों का पुनरोत्थान करने वाली दक्षिण की फिल्में अब उत्तर भारत में भी धूम मचा रही हैं, जबकि आस्था पर हमला करने वाली बॉलीवुड की फिल्में हिंदी बेल्ट में ही ठीक से बिजनेस नहीं कर पा रही हैं। आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चढ्डा का हश्र देखकर पिछले दिनों फिल्मकार साजिद नाडियाडवाला को भी अक्ल आ गई। हिंदुओं का विरोध के चलते उन्होंने रिलीज से पहले ही अपनी फिल्म ‘सत्यनारायण की कथा’ का शीर्षक बदल दिया। हिंदू जनमानस के जागने के बाद बॉलीवुड के तथाकथित बुद्धिजीवियों को समझ में आने लगा है कि फिल्म मेकिंग का मतलब समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी निभाना भी है। जनमानस ने यह साबित कर दिखाया है कि आस्था के प्रतीकों का अपमान अब किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जाएगा। हिंदू संस्कृति और धार्मिक आस्था-परंपरा दिखाने वाली साउथ की फिल्मों की लंबी फेहरिस्त
साउथ की ऐसी फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है, जिनमें हिंदू संस्कृति, धार्मिक आस्था-परंपरा और पौराणिक इतिहास हो बेहद खूबसूरती से दिखाया गया है। शानदार स्क्रिप्ट, अत्याधुनिक तकनीक, पौराणिकता और बेहतर अभिनय के चलते ही बाहुबली से लेकर जय लव कुश, आरआरआर, मां दुर्गा, भक्ति की शक्ति और सीता रामम तक ऐसी कई फिल्में हैं, जिन्होंने पूरे भारतवर्ष के दर्शकों को आकर्षित किया है। ऐसा भी नहीं है कि बॉलीवुड में कभी धार्मिक फिल्में नहीं बनी। जब-जब बनी उन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार मिला। शोले के साथ रिलीज हुई जय संतोषी मां ने उस समय रिकॉर्ड बिजनेस किया था। साउथ के साथ ही दुनिया के जाने-माने निर्देशक जेम्स कैमरून भारत के हिंदुत्व से बेहद प्रभावित हैं। कई ब्लॉक-बस्टर फिल्में दे चुके कैमरून अब तेरह साल पहले आई फिल्म अवतार का पार्ट-2 लेकर आ रहे हैं। ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ नाम की इस फिल्म के निर्देशक कैमरून के करीबियों का मानना है कि उनकी ‘अवतार’ फिल्म सीरीज भारत के हिंदू धर्म से काफी प्रभावित है।अवतार सीरीज का नाम भी हिंदुओं में पुनर्जन्म की अवधारणा को प्रसारित करेगा
इस फिल्म सीरीज का नाम अवतार भी हिंदुओं में पुनर्जन्म की अवधारणा को ही दुनिया में प्रचारित-प्रसारित करता है। जेम्स कैमरून कहते हैं, ‘हिंदुओं का पूरा देव समूह बहुत ही समृद्ध और जीवंत है। मुझे इनकी पौराणिक कथाए, मेरा मतलब है कि सब कुछ बहुत ही ज्यादा पसंद है।’ फिल्म ‘टाइटैनिक’ में तकनीक के अनोखे प्रयोगों से बड़े परदे पर जो कुछ वह रचने में कामयाब रहे, उसे जेम्स ने अपनी पिछली फिल्म ‘अवतार’ (2009) में एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जिसने दुनिया में सिनेमा की शक्ल ही बदल दी। मूल रूप से कनाडा के रहने वाले 68 वर्षीय फिल्म निर्देशक जेम्स कैमरून की फिल्में भारत में खास तौर से सफल रही हैं।फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ अगले माह रिलीज होगी, एडवांस बुकिंग धमाकेदार
‘टर्मिनेटर’ सीरीज की उनकी दोनों फिल्में भारतीय दर्शकों की पसंदीदा फिल्मों में शामिल रही हैं। ऑस्कर समारोह में पुरस्कारों का नया रिकॉर्ड बनाने वाली उनकी फिल्म ‘टाइटैनिक’ तो इतनी हिट रही कि उसे तमाम भारतीय भाषाओं में डब किया गया और बाद में फिल्म की कहानी पर रेडियो शोज तक बने। अब फिल्म ‘अवतार’ की सीक्वल ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ मूल फिल्म अगले माह रिलीज होने जा रही है। फिल्म की एडवांस बुकिंग पूरी दुनिया में शुरू हो चुकी है। भारत में भी इसकी ओपनिंग धमाकेदार रही। अकल्पनीय दृश्य प्रभावों और कंप्यूटर जनित तस्वीरों के जरिये इस सीरीज को एक अनूठा अनुभव बनाने में जेम्स कैमरून को सफलता हासिल हुई।

पैंडोरा की दुनिया कैमरून के अवचेतन मन में बसी भारत की तस्वीरों से जन्मी
अपने साक्षात्कारों में कैमरून कई बार कह चुके हैं कि उनकी फिल्मों का नाम ‘अवतार’ और फिल्म में दिखाई पैंडोरा की दुनिया उनके अवचेतन मन में बसी भारत की तस्वीरों से ही जन्मी है। ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ भारत में अंग्रेजी के अलावा हिंदी, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम में भी रिलीज हो रही है। पर्यावरण संरक्षण जैसे अहम मुद्दे को बड़े परदे पर एक अकल्पनीय दुनिया पैंडोरा के जरिये पेश करने वाली फिल्म ‘अवतार’ को 13 साल पहले बड़े परदे पर रिलीज होने के साथ जबर्दस्त कामयाबी मिली थी। करीब 24 करोड़ डॉलर में बनी इस फिल्म ने तब बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। पूरी दुनिया में फिल्म का कारोबार तब करीब 292 करोड़ डॉलर का रहा था। (PHOTO COURTESY: Social Media)

 

 

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