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फेक न्यूज की फैक्ट्री… पीटीआई

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समाचार और वह भी सही समाचारों का, विचार- मंथन और भावनाओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है। एक भी झूठा या फेक समाचार बंवडर मचा सकता है। समाचारों का कितना प्रभाव पड़ता है, यह सोशल मीडिया पर होने वाले कोलाहल से साफ समझ में आ जाता है। ऐसे में उन समाचार एजेसिंयों की खासी जिम्मेदारी बनती है, जिनकी खबरों पर कई समाचार पत्र और टेलीविजन न्यूज चैनल अपनी स्टोरी तैयार करते हैं। देश में पीटीआई एक ऐसी ही न्यूज एजेंसी है, जिसने 11 जुलाई को एक फेक न्यूज सभी समाचारों पत्रों और टेलीविजन चैनलों तक पहुंचाकर देश हित से खिलवाड़ करने का प्रयास किया।

‘फेक न्यूज’ एजेंसी पीटीआई
उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार ने 11 जुलाई 2017 को विधानसभा में 2017-18 का बजट पेश किया। इस बजट पर रिपोर्टिंग करते हुए पीटीआई ने समाचार दिया कि “उत्तर प्रदेश की सरकार ने सेकेंडरी और उच्च शिक्षा के लिए पूर्व सरकार की तुलना में बजट में कटौती कर दी है। पूर्व की अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में सेकेंडरी शिक्षा के लिए 9,990 करोड़ रुपये दिये थे, जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 9,414 करोड़ रुपये की कटौती करके मात्र 576 करोड़ रुपये दिये हैं। इसी तरह से उच्च शिक्षा के बजट में भी कटौती की गई है। पिछले बजट में उच्च शिक्षा को 2,742 करोड़ रुपये दिये गये थे, जबकि इस साल के बजट में 2469.73 करोड़ रुपये की कटौती करते हुए, मात्र 272.77 करोड़ रुपये ही दिए गये हैं।”

योगी सरकार की ओर से शिक्षा बजट में इतनी भारी कटौती सचमुच एक बड़ी खबर थी। यह सभी समाचार पत्रों और टेलीविजन न्यूज चैनलों के लिए टीआरपी वाली स्टोरी भी थी। पीटीआई की इस खबर को आंख मूंद कर सभी ने अपने-अपने समाचार पत्र और चैनलों में बड़ी खबर बनाया।इसी फेक न्यूज को आधार बनाकर, कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया-इसी तरह से पीटीआई की एक फेक न्यूज को सोशल मीडिया पर सही मानकर प्रतिक्रिया दी जाने लगी।
पीटीआई ने कैसे बनायी ‘फेक न्यूज’
अफसोस की बात यह है कि पीटीआई की खबर होने के कारण किसी भी अखबार या न्यूज चैनेल ने इसकी सत्यता परखने की कोशिश नहीं की। जब इसकी सत्यता की परख की गई तो पता चला कि यह एक फेक न्यूज थी। वास्तव में, पीटीआई ने उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पेश बजट के कुछ अंशों के आधार पर ही यह रिपोर्ट की थी। अगर यह रिपोर्ट बजट अनुमान के कागजों को ठीक ढंग से पढ़कर बनाई गयी होती तो पता चलता कि योगी सरकार ने शिक्षा के लिए बजट में कमी नहीं बल्कि 34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में जहां 46,442 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए दिये थे वही 2017-18 में योगी आदित्यनाथकी सरकार ने 62, 351 करोड़ रुपये दिए हैं। जब इस फेक न्यूज पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आधिकारिक बयान दिया और सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी, तो पता चला कि यह फेक खबर पीटीआई ने दी है। इसके बाद सरकार की खिंचाई करने वालों ने पीटीआई के इस फेक न्यूज पर प्रतिक्रिया ना देकर चुप्पी साध ली।

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