राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खेती-किसानी से जुड़े तीन विधेयकों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही अब ये विधेयक कानून बन गए हैं। हाल ही में संसद के दोनों सदनों से ये तीनों कृषि बिल पारित हुए थे। किसानों की आय को दोगुनी करने की दिशा में ये कानून मील के पत्थर साबित होंगे।
President Ram Nath Kovind gives assent to three farm bills passed by the Parliament. pic.twitter.com/hvLvMgNI8Y
— ANI (@ANI) September 27, 2020
कृषि सुधार कानूनों को लेकर कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां लगातार भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का साफ कहना है कि ये सभी कृषि सुधार किसानों के हित में हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह चुके हैं कि दशकों तक हमारे किसान भाई-बहन कई प्रकार के बंधनों में जकड़े हुए थे और उन्हें बिचौलियों का सामना करना पड़ता था। संसद में पारित विधेयकों से अन्नदाताओं को इन सबसे आजादी मिली है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा और उनकी समृद्धि सुनिश्चित होगी।
मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठा रही है।
मोदी सरकार में पहली बार
- मोदी सरकार ने ‘एक देश, एक कृषि बाजार’ बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
- किसानों को अपनी फसल कहीं पर, किसी को भी बेचने की आजादी मिली।
- आवश्यक वस्तु अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन कर कृषि उपजों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया।
- केंद्रीय बजट 2018-19 में उत्पादन लागत का न्यूनतम 5 गुना एमएसपी निर्धारित करने की घोषणा की गई।
- 7 अगस्त, 2020 को देवलाली से दानापुर तक पहली किसान रेल की शुरुआत हुई।
- केंद्रीय बजट 2020-21 में किसान कृषि उड़ान योजना की घोषणा की गई।
- अक्टूबर 2017 में किसानों को दी जाने वाली उर्वरक सब्सिडी को डीबीटी के दायरे में लाया गया।
- वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने ‘’पेड़’’ की परिभाषा से बांस को हटाने के लिए कानून में संशोधन किया।
- पहला e-NAM अंतर्राज्यीय व्यापार आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच 19 जनवरी, 2019 से शुरू हुआ।
- वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने हर साल 15 अक्टूबर को राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।
- 2016 में कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय किया गया।
- 19 फरवरी, 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया।
किसानों को मोदी सरकार की बड़ी सौगात
2021-22 की रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी
फसल | 2020-21
(रुपये/क्विंटल) |
2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत 2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि
(रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा
(प्रतिशत में) |
गेहूं | 1925 | 1975 | 960 | 50 | 106% |
जौं | 1525 | 1600 | 971 | 75 | 65% |
चना | 4875 | 5100 | 2866 | 225 | 78% |
मसूर | 4800 | 5100 | 2864 | 300 | 78% |
सरसों | 4425 | 4650 | 2415 | 225 | 93% |
कुसुंभ | 5215 | 5327 | 3551 | 112 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना
मोदी सरकार में रबी फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2021-22 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
गेहूं | 1400 | 1975 | 41% |
जौं | 1100 | 1600 | 45.5% |
चना | 3100 | 5100 | 64.5% |
मसूर | 2950 | 5100 | 73% |
सरसों | 3050 | 4650 | 52% |
कुसुंभ | 3000 | 5327 | 77.5% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में खरीफ फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2013-14 (रुपये/क्विंटल) | 2020-21 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
धान | 1310 | 1868 | 43% |
ज्वार | 1500 | 2620 | 74.5% |
बाजरा | 1250 | 2150 | 72% |
मक्का | 1310 | 1850 | 41% |
अरहर | 4300 | 6000 | 40% |
मूंग | 4500 | 7196 | 60% |
उरद | 4300 | 6000 | 40% |
कपास | 3700 | 5515 | 49% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में फसलों की खरीद में बढ़ोतरी
फसल | 2013-14 (लाख मीट्रिक टन) | 2019-20 (लाख मीट्रिक टन) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
गेहूं | 250.92 | 341.32 | 36% |
धान | 355.78 | 762.08 | 114% |
उड़द | 0.05 | 0.18 | 294% |
अरहर | 0.5 | 5.47 | 994% |
मूंगफली | 3.56 | 7.21 | 103% |
चना | 0.00036 | 7.76 | 2155456% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
यूपीए सरकार से दोगुना एमएसपी का भुगतान
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 3,76,359.25 करोड़ रुपये अनाज की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 6,97,645.53 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 85% की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 625 करोड़ रुपये गेंहू की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 2,39,183.98 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 795 करोड़ रुपये धान की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 4,14,447.73 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 101 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 83 करोड़ रुपये दलहन की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 30,880.04 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 4689 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- 2009-14 में एमएसपी के हिसाब से 1,454.00 करोड़ रुपये तिलहन की खरीद में खर्च किए गए, वहीं 2014-19 में 13,133.78 करोड़ रुपये की खरीद हुई, यानि 803 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- पीएम मोदी ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू कर उत्पादन लागत पर MSP को बढ़ाकर 1.5 गुणा किया। किसानों को अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत के कम से कम 50 प्रतिशत लाभ देने का प्रावधान किया।
- 2009-2014 की अवधि में खाद्यान्नों का उत्पादन 248.81 मिलियन टन था, जो 8.40 प्रतिशत बढ़कर 2014-19 के दौरान 269.72 मिलियन टन हो गया।
- 2009-14 की अवधि में बागवानी फसलों की औसत वार्षिक उत्पादन 253.4 मिलियन टन था, जबकि 2018-19 की अवधि में औसत उत्पादन 17.86 प्रतिशत बढ़कर 298.67 मिलियन टन हो गया।
- मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में किसानों को किफायती दर पर खाद मुहैया कराने के लिए गैर-यूरिया खादों पर सब्सिडी बढ़ाने का ऐलान किया।
- सल्फर खाद पर 3.56 रुपये, नाइट्रोजन वाली खाद पर 18.90 रुपये, फॉस्फोरस वाली खाद पर 15.21 रुपये, पोटाश खाद पर 11.12 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दी गई।
- किसानों को उत्पाद के लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी दी गई।
संकटमोचक बनी मोदी सरकार
- कोविड-19 संकट से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि क्षेत्र के लिए 1.63 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की गई।
- कोविड-19 संकट आने के बाद 3 करोड़ किसानों को 4.22 लाख करोड़ रुपये के फसल ऋण पर ब्याज में छूट दी गई।
- किसानों के फसल ऋण पर ब्याज में छूट की समय सीमा को बढ़ाकर 31 अगस्त, 2020 तक किया गया।
- इसके तहत फसल ऋण पर ब्याज में 2 प्रतिशत और समय पर भुगतान करने पर 3 प्रतिशत की छूट दी गई।
- किसानों को खरीफ के दौरान बुवाई जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंकों ने 70.32 लाख किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी किए।
- किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए 62,870 करोड़ रुपये का ऋण भी किसानों को दिया गया।
- माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए 10,000 करोड़ रुपये की घोषणा की गई। इससे खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र की छोटी इकाइयों को फायदा होगा।
- ऑपरेशन ग्रीन के दायरे में सभी फल और सब्जियों को लाया गया। इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
- ऑपरेशन ग्रीन योजना के तहत सभी फल सब्जियों के परिवहन और स्टोरेज पर 50-50 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा की गई।
- कोविड-19 महामारी के दौरान किसानों से रिकॉर्ड 382 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई। इससे 42 लाख किसान लाभान्वित हुए।
- एमएफपी योजना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत लघु वन उपजों की भी 79.42 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड खरीद हुई।