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डबल इंजन सरकार की नीतियों पर मुहर, योगी सरकार ने रोजगार देने में 17 राज्यों को पछाड़ा, यूपी में राष्ट्रीय औसत से आधी और राजस्थान में चार गुना ज्यादा बेरोजगारी

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सेंटर फॉर मानिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट ने डबल इंजन सरकार की रोजगारपरक नीतियों पर मुहर लगा दी है। इस रिपोर्ट के अनुसार रोजगार देने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 17 राज्यों को पछाड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में 3.9 फीसदी बेरोजगारी है, जो राष्ट्रीय औसत 7.7 से आधे से भी कम है। यानी रोजगार देने में यूपी अव्वल है, दूसरी ओर कांग्रेस शासित राजस्थान में 31.4 फीसदी बेरोजगारी है। राजस्थान सरकार लोगों को रोजगार देने में कितनी बुरी तरह से विफल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से चार गुना से भी ज्यादा है।

योगी सरकार छह साल में ही बेरोजगारी दर को 17.5 से 3.9 प्रतिशत पर ले आई
सीएमआईई ने अगस्त तक किए गए सर्वे के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की है। संस्था की ओर से देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वे किया गया है। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016-17 में बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत थी। इस पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मिशन रोजगार की शुरुआत की। प्रदेश सरकार हर परिवार के एक सदस्य को रोजगार दिलाने वाले हैं। परिवार कल्याण योजना के तहत हर परिवार की आईडी बनाने के लिए आवेदन पोर्टल का ट्रायल को जल्द लांच किया जाएगा।आठ लाख को सरकारी और संविदा कर्मचारी की नौकरी, करोड़ों युवाओं को रोजगार
अब तक सवा पांच लाख युवाओं को सरकारी नौकरी, तीन लाख युवाओं को सरकारी विभागों में संविदा पर सेवा और एमएसएमई में दो करोड़ लोगों को रोजगार दिलाया गया है। इसके अलावा मनरेगा और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से करीब ढाई करोड़ लोगों और ओडीओपी में 25 लाख लोगों को रोजगार दिलाया गया है। प्रदेश में 15 करोड़ आधार वैलिडेटेड राशन कार्डधारक हैं, जिन्हें तुरंत परिवार आईडी कार्ड जारी की जा सकती है। इसके तहत हर परिवार को एक आईडी दी जाएगी। फिलहाल यह योजना स्वैच्छिक है और सरकारी योजना का लाभ लेने के इच्छुक लोगों को आवेदन की आवश्यकता होगी।देश में शहरी बेरोजगारी की दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखने को मिली
बेरोजगारी के मोर्चे पर अच्छी खबर है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी  के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में शहरी बेरोजगारी की दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखने को मिली है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2022 के दौरान शहरी देश में हर उम्र के लोगों के लिए शहरी बेरोजगारी की दर 7.6 फीसदी रही। शहरी बेरोजगारी की यह दर अप्रैल में 9.22%, मई में 8.21% और जून 2022 में 7.3% रही थी। अप्रैल-जून 2022 के आंकड़ों की तुलना पिछले साल की इसी तिमाही से करने पर भी बेरोजगारी के मामले में पॉजिटिव ट्रेंड नजर आ रहा है।कोरोना महामारी के दौर के मुकाबले तो काफी बेहतर हुए रोजगार मिलने के आंकड़े
अप्रैल-जून 2021 के दौरान देश में हर उम्र के लोगों के लिए शहरी बेरोजगारी की दर 12.7 फीसदी रही थी। जनवरी-मार्च 2022 में यह दर 7.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी। बेरोजगारी के ये आंकड़े कोरोना महामारी के दौर के मुकाबले तो काफी बेहतर हैं, जब देश भर में पूरी तरह से लॉकडाउन होने के कारण अप्रैल-जून 2020 में शहरी बेरोजगारी दर बढ़कर 20.9 फीसदी पर पहुंच गई थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा हर तीन महीनों में जारी किये जाने वाले लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन सर्वे के मुताबिक अप्रैल-जून 2022 के दौरान शहरी क्षेत्र में रहने वाले 15-29 आयु वर्ग के करीब 18.9 फीसदी युवा बेरोजगार थे। हालांकि एक साल पहले की इसी अवधि में यानी अप्रैल-जून 2021 में यह दर 25.5 फीसदी और जनवरी-मार्च में 2022 में 20.2 फीसदी से कम थी।

राजस्थान में सिर्फ बजट में भर्तियां, हकीकत के धरातल पर क्रियान्वयन ही नहीं
राजस्थान में बेरोजगारी की स्थिति चौंकाने वाली है। कांग्रेस सरकार हर साल बजट में भर्तियों की घोषणा तो कर देती है, लेकिन उनके क्रियान्वयन को लेकर कोई योजना नहीं रहती। भर्ती कराने वाली एजेंसियों के पास भर्ती कैलेंडर तक नहीं होता। इसके अलावा पेपर लीक, नकल और फर्जी अभ्यर्थियों के चयन के कारण भर्तियों की विश्वसनीयता भी खत्म होती जा रही है। हाल में 5 बार स्थगित करने के बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा रीट-2021 का आयोजन हुआ तो इसमें भी पेपर लीक हो गया। रिजल्ट में भी गड़बड़ी के बात सामने आई हुई। भारत में आबादी के लिहाज से सातवां सबसे बड़ा राज्य राजस्थान बेरोजगारी में टॉप पर है। राजस्थान में बेरोजगारी का आलम यह है कि प्रदेश में ग्रेजुएट किए हुए हर दूसरे शख्स के पास काम नहीं है।

 

 

 

 

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