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हरियाणा में भाजपा का ‘नायाब’ फार्मूला, तीस प्रतिशत आबादी ओबीसी, इसी समुदाय से नायब सिंह को सीएम बनाकर चला मास्टर स्ट्रोक, गठबंधन टूटने के बावजूद सरकार को कोई खतरा नहीं

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भारतीय जनता पार्टी ने ‘विनिंग ट्रैक’ वाला नायाब फार्मूला हरियाणा में भी चल दिया है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को अब सिर्फ छह महीने बचे हैं। इसी बीच वहां मुख्यमंत्री खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया गया है। इससे पहले बीजेपी गुजरात, त्रिपुरा और उत्तराखंड में चुनाव से पहले सीएम बदलकर जीत का परचम फहरा चुकी है। ऐसा ही नायाब प्रयोग अब हरियाणा में किया गया है। लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है। पूरा घटनाक्रम मंगलवार सुबह तब शुरू हुआ, जब साढ़े चार साल सत्ता में साथ रही भाजपा और जजपा (जननायक जनता पार्टी) का गठबंधन टूट गया। हालांकि यह गठबंधन टूटने से भी प्रदेश की बीजेपी सरकार को कोई खतरा नहीं है। बीजेपी सीएम के पास सरकार के लिए जरूरी बहुमत है। नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ओबीसी समुदाय से हैं। इसलिए भाजपा के इस कदम को ओबीसी समुदाय पर पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। राज्य में सबसे अधिक आबादी वाले जाट समुदाय का वोट अब तक कांग्रेस, जजपा व इनेलोद में बंटता रहा है। वहीं अब ओबीसी सीएम बनने से भाजपा को इस समुदाय की अपने पक्ष में वोट बढ़ने की उम्मीद है।प्रदेश में भाजपा और जजपा का गठबंधन टूटा, लेकिन सरकार को कोई खतरा नहीं
राज्य में भाजपा और जननायक जनता पार्टी के बीच गठबंधन टूट गया है, लेकिन इसका असर राज्य की बीजेपी सरकार पर नहीं पड़ेगा। गठबंधन टूटने के बावजूद भाजपा सरकार पर कोई खतरा नहीं है। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 46 विधायक चाहिए। भाजपा के वर्तमान में 41 विधायक हैं। 6 निर्दलीयों व हरियाणा लोकहित पार्टी के एक विधायक का भी समर्थन भी नायब सिंह सैनी सरकार को है। यानी भाजपा के पास 48 विधायक हैं। जजपा के 10 विधायक हैं। राज्य में नई सरकार का कार्यकाल 3 नवंबर तक है। अक्टूबर में चुनाव संभावित हैं। सैनी के छह माह 11 सितंबर को पूरे होंगे। इससे पहले ही चुनाव की घोषणा हो सकती है। इसलिए वे विधायक का चुनाव लड़े बिना सीएम रह सकते हैं।हुड्डा सरकार में बेपटरी हुए हरियाणा को पटरी पर लाई डबल इंजन सरकार
इसमें कोई शक नहीं कि हुड्डा सरकार में बेपटरी हुए हरियाणा को डबल इंजन सरकार ही पटरी पर लाई। गांवों को 18-18 घंटे बिजली, वृद्धावस्था पेंशन को बढ़ा कर 3000 रुपये प्रतिमाह करने से लेकर विधवा पेंशन को भी खट्टर सरकार द्वारा बढ़ाया गया। बेरोजगारी भत्ता तथा तबादलों को ऑनलाइन करना एवं राज्य की नौकरियों में पारदर्शिता लाना खट्टर की उपलब्धियों में शामिल है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि जल जीवन मिशन भी है। हरियाणा में चली आ रही रवायत को तोड़ कर 2015 में भाजपा ने एक गैर जाट को मुख्यमंत्री बनाया। मनोहर लाल खट्टर पंजाबी समुदाय से आते हैं, जो यहां शरणार्थी कहे जाते हैं। पंजाबी समुदाय 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान से यहां आ कर बसे थे। पंजाबियों ने हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में व्यापार में खूब नाम कमाया।

 

अति पिछड़े समुदाय सैनी बिरादरी के नायब सिंह को सीएम बनाकर मास्टर स्ट्रोक चला
भाजपा ने हरियाणा में अति पिछड़े समुदाय सैनी बिरादरी के नायब सिंह को सीएम बनाकर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। कुरुक्षेत्र से सांसद तथा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भी होगा। अबकी बार, 400 पार के नारे को चरितार्थ करने के लिए भाजपा की नजर हरियाणा की भी दस लोकसभा सीटों पर भी है। मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण के साथ जिन पांच विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलवाई, वे खट्टर सरकार में भी मंत्री थे। भाजपा ने हरियाणा में रणजीत सिंह चौटाला को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई है, जो कि निर्दलीय विधायक हैं और उसी चौटाला परिवार से हैं, जिसके दुष्यंत चौटाला भी हैं। दुष्यंत सिंह चौटाला को सरकार से ही नहीं NDA गठबंधन से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वर्ष 2020 में हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 41 सीटों पर जीत मिली थी। उस समय दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने दस सीटें जीती थीं और दोनों ने मिलकर सरकार बनाई थी।

गठबंधन टूट के बाद दुष्यंत की बैठक से पांच जेजेपी विधायक अनुपस्थित रहे
दिलचस्प बात यह है कि गठबंधन की टूट के बाद जब दुष्यंत ने अपने फार्म हाउस में JJP विधायकों की बैठक बुलाई, उसमें से पांच विधायक अनुपस्थित थे। जो पांच विधायक वहां थे, उनमें स्वयं दुष्यंत चौटाला और उनकी पत्नी नैना चौटाला थीं। तीन और विधायक पहुंचे। मंगलवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में JJP के दो विधायक मौजूद थे। दुष्यंत चौटाला ने इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) से अलग हो कर JJP बनाई थी। INLD का गठन उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला ने किया था। इस समय उसके अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला हैं, जो दुष्यंत के ताऊ हैं। ओमप्रकाश चौटाला चौधरी देवीलाल के बेटे हैं। चौधरी देवीलाल की चौथी पीढ़ी में दुष्यंत चौटाला हैं। भजन लाल खुद तो रहे किंतु उनके बेटों में से कोई ऐसा नहीं निकला जो राजनीति में दम ठोकता। हालांकि उनके बेटे मंत्री रहे, लेकिन एक घटना ने उनका कैरियर समाप्त कर दिया।

 

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