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Mamta Banerjee सरकार शाहजहां के केस में फंसी, SC से बंगाल तक झटके, कोलकाता हाईकोर्ट का आदेश-शाहजहां को CBI को हैंडओवर करो, फिर भी बंगाल पुलिस की ‘हिटलरशाही’

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पश्चिम बंगाल के संदेशखाली के गुनहगारों को बचाने में ममता बनर्जी सरकार का ऐढ़ी-चोटी तक जोर लगाना उसके ही गले पड़ गया है। कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न के चलते देशभर में सुर्खियों में आए इस केस में राज्य सरकार को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट दोनों ही न्यायालयों से झटका मिला। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि शाहशहां को शाम 4.15 बजे केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपा जाए। इसके बाद CBI की टीम शाहजहां को लेने भी पहुंची। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बंगाल पुलिस ने शाहजहां को केंद्रीय जांच एजेंसी को नहीं सौंपा। पुलिस ने कहा था कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। इसलिए शाहजहां को सौंप नहीं सकते। इसके बाद CBI दो घंटे के इंतजार के बाद लौट गई थी। दूसरी ओर राज्य सरकार ने शाहजहां को CBI को सौंपने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार शाम को याचिका लगाई थी। जिस पर बुधवार सुबह 11 बजे सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फौरन सुनवाई करने से इनकार दिया।शाहजहां शेख की 55 दिन की फरारी, ईडी ने 12.78 करोड़ अचल संपत्तियों कुर्क की
दरअसल पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में 5 जनवरी को ED की टीम TMC नेता शेख शाहजहां के घर रेड करने पहुंची थी। इस दौरान शेख के समर्थकों ने टीम पर जानलेवा हमला किया था। इसमें कई अफसर घायल हुए थे। इसके बाद मुख्य आरोपी शाहजहां 55 दिन तक फरार रहा। पश्चिम बंगाल सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ने के बाद पुलिस को उसके गिरफ्तार करना पड़ा। इससे पहले महिलाओं के यौन उत्पीड़न और प्रताड़ना में शामिल शाहजहां के दो गुर्गों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने जानकारी दी कि शाहजहां शेख की 12.78 करोड़ रुपये की 14 अचल संपत्तियों कुर्क की गई हैं। इनमें सरबेरिया, संदेशखाली और कोलकाता में अपार्टमेंट, कृषि भूमि, मछली पालन की जमीन के अलावा जमीन और मकान शामिल हैं। वहीं, दो बैंक अकाउंट भी सीज किए गए हैं।सुप्रीम कोर्ट ने फौरन सुनवाई से किया इनकार, हाईकोर्ट के बाद शीर्ष कोर्ट से झटका
बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ED टीम पर हमले के आरोपियों को बचाने के प्रपंच करने में लगी है। इसी के चलते राज्य सरकार इसकी जांच CBI से कराने पर रोक की मांग कर रही है। क्योंकि सीबीआई की जांच होने के बाद सारा दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा और बंगाल सरकार की पोल खुल जाएगी। कोर्ट में राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि इस मामले की जांच SIT कर रही है। वही इस जांच को करने में सक्षम है। इस पर कोलकाता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शाहजहां शेख को CBI को हैंडओवर करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा, शेख का केस CBI को ट्रांसफर करने और इस केस से जुड़े सभी कागजात देने का भी आदेश दिये था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मंगलवार को शाहजहां शेख की कस्टडी CBI को नहीं मिली। केंद्रीय जांच एजेंसी बंगाल पुलिस हेडक्वार्टर से 2 घंटे के इंतजार के बाद खाली हाथ लौट गई।

कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा- बंगाल पुलिस का रवैया पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण
इसके बाद शाम को CBI की टीम उसे लेने के लिए भवानी भवन पुलिस हेडक्वार्टर पहुंची। इससे पहले राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर बुधवार सुबह 11 बजे सुनवाई के बाद इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फौरन सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर ED के अफसरों ने कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस बारे में बताया। ED ने शिकायत की कि बंगाल पुलिस ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। ED की याचिका पर कलकत्ता हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल पुलिस का रवैया पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण है। इसे देखते हुए निष्पक्ष और ईमानदार जांच की जरूरत है। हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि राज्य की एजेंसियों से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है।’ कोलकाता कोर्ट ने कहा, ‘बंगाल पुलिस आरोपी को बचाने के लिए लुका-छिपी का खेल रही है। आरोपी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति है। वह बंगाल पुलिस की जांच को प्रभावित कर सकता है।’एसआईटी गठित करने का आदेश रद्द, केस के सभी CBI को ट्रांसफर करने के आदेश
दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट ने ED की सीबीआई को केस ट्रांसफर करने की याचिका पर सोमवार को फैसला रिजर्व रखा था। इस साल 5 जनवरी को शेख के लोगों ने छापेमारी के दौरान ईडी के टीम पर हमला किया था। ईडी और राज्य सरकार ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कर सिंगल बेंच के 17 जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें बेंच ने ED अधिकारियों पर भीड़ के हमले की जांच के लिए सीबीआई और राज्य पुलिस की जॉइंट स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस के सदस्यों के साथ एक SIT एसआईटी गठित करने के पहले के आदेश को भी रद्द कर दिया और राज्य को सभी कागजात तुरंत CBI को ट्रांसफर करने को कहा। अब नजात पुलिस स्टेशन और बोनगांव पुलिस स्टेशन में दर्ज तीन मामलों को सीबीआई को सौंपा जाएगा। इनके अलावा शेख पर अलग-अलग अपराधों में 42 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। शेख को ED की टीम पर हमले के केस में 29 फरवरी को नॉर्थ 24 परगना के मीनाखान इलाके से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल शाहजहां शेख अभी 10 दिन की पुलिस रिमांड पर है।

‘हिटलरशाही’ के खिलाफ हो चुकी है राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
पश्चिम बंगाल को हिटलरशाही की तर्ज पर चला रही तृणमूल सरकार की कार्यशैली की पोल राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने एक बार फिर खोलकर रख दी है। संदेशखाली का दौरा करने के बाद आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तत्काल इस्तीफा देकर बिना किसी पद के यहां आना चाहिए। तभी वह यहां की महिलाओं का दर्द, पीड़ा और झेल चुकी यातनाओं को समझ सकेंगी। उन्होंने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं को बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि हमें समाज और पुलिस का डर है। मेरे सामने महिलाएं रो रही हैं। वहां हालात इतना ज्यादा बदतर हैं कि मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति शासन के बिना कुछ हो पाएगा। ऐसे हालात में इस सारे मामले की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी से जांच होनी चाहिए। प्रदेश की पुलिस महिलाओं के साथ न्याय नहीं कर रही है। इस बीच प्रदेश के राज्यपाल डॉक्‍टर सी.वी. आनंद बोस ने संदेशखाली में स्थिति सामान्य बनाने और क्षेत्र की महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए राजभवन में एक पीस होम खोलना पड़ा।राज्यपाल ने केंद्र को रिपोर्ट सौंपी, संदेशखाली में कराएं एनआईए जांच
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव इन दिनों सुर्खियों में है। यहां कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए हैं। राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर विपक्षी बीजेपी सवाल उठा रही है। दरअसल बीजेपी नेताओं ने इन महिला के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच की है। इस बीच जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार इन घटनाओं की एनआईए से जांच कराने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग व अन्य एजेंसियों द्वारा केंद्र सरकार को मुहैया करवाई गई सूचना के आधार पर इन घटनाओं की NIA से जांच करना का फैसला लिया जा सकता है। एनआईए जांच की तैयारी इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि उत्पीड़न और जबरन जमीन कब्जाने के जिन लोगों पर आरोप लगाए जा रहे हैं, उनमें से ज्यादातर बांग्लादेश सीमा के पास रहते हैं। इस बाबत पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस भी केंद्र सरकार को अपनी विस्तृत रिपोर्ट दे चुके हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष बोली- संदेशखाली की स्थिति भयावह
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की जांच के लिए वहां का दौरा किया। संदेशखाली हिंसा को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगा है। संदेशखाली के हालात का जायजा लेने पहुंचीं राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर वहां महिलाओं की आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। रेखा शर्मा ने कहा, ‘इलाके की महिलाओं से बात करने के बाद मुझे पता चला कि संदेशखाली में स्थिति कितनी भयावह है। कई महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई। उनमें से एक ने कहा कि यहां टीएमसी पार्टी कार्यालय के अंदर उसके साथ बलात्कार किया गया था। हम अपनी रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख करेंगे। हमारी मांग है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए।’ उनका कहना है कि संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं के बारे में दिल्ली लौट कर इस सिलसिले में राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगी और उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपेंगी।

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के दौरे में भी असहयोग व लापरवाही के सुबूत मिले
महिला आयोग से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) की टीम ने भी संदेशखाली का दौरा किया था। आयोग ने यहां पीड़ित महिलाओं से मुलाकात कर जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाई थी। इस जानकारी के आधार पर आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसे राष्ट्रपति को सौंपा जा चुका है। आयोग की इस रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की गई है। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में पुलिस प्रशसान द्वारा असहयोग व लापरवाही की गई है। आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर के मुताबिक आयोग ने संदेशखाली में टीएमसी समर्थकों द्वारा महिलाओं के कथित उत्पीड़न पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।राज्यपाल ने पीड़ित महिलाओं के लिए राजभवन में पीस होम खोला
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्‍टर सी.वी. आनंद बोस ने संदेशखाली में स्थिति सामान्य बनाने और क्षेत्र की महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए राजभवन में एक पीस होम खोला है। उन्होंने कहा कि अगर संदेशखाली की कोई भी महिला असुरक्षित महसूस करती है, तो वह राजभवन में शिफ्ट हो सकती है और वहां रह सकती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए तीन कमरों की अलग व्यवस्था कर ली गयी है। राज्यपाल ने कहा कि वह संदेशखली में कानून का शासन लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच करेंगे। उन्होंने लोगों और सभी राजनीतिक दलों से आगे आकर संदेशखाली स्थिति का समाधान खोजने की अपील की। उन्होंने राजनीतिक दलों और सभी क्षेत्रों के लोगों से एक साथ आने और पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए उत्तर 24 परगना जिले के संकटग्रस्त संदेशखली में ‘शांति यात्रा’ आयोजित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं कानून का पालन करने वाले नागरिकों, नागरिक समाज के नेताओं और सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वे संदेशखाली में ‘शांति यात्रा’ में एकजुट हों। हमें यह संदेश देना चाहिए कि पीड़ित महिलाओं के साथ पूरा देश है।

अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने 2015 में ही आशंका व्यक्त की थी कि पश्चिम बंगाल जल्द ही एक इस्लामिक देश बन जाएगा। इस पर एक नजर-

अमेरिकी पत्रकार की रिपोर्ट, पश्चिम बंगाल बन जाएगा इस्लामिक देश !
कभी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाले पश्चिम बंगाल की दशा आज क्या हो चुकी है, ये बात तो किसी से छिपी नहीं है। हिंदुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे तो पिछले काफी वक्त से हो रहे हैं। अब तो हालात ये हैं कि त्योहार मनाने तक पर रोक लगाई जानी शुरू हो गई है। प्रदेश में इस घातक परिवर्तन की धमक अमेरिका तक पहुंच गई। मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने 2015 में ही ऐसे खुलासे किए थे जो हैरान करने वाले हैं। उन्होंने अपने लेख The Muslim Takeover of West Bengal में आशंका व्यक्त की थी कि पश्चिम बंगाल जल्द ही एक इस्लामिक देश बन जाएगा! 

बंगाल में उठने लगी मुगलिस्तान की मांग
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि भारत का एक और विभाजन होगा और वह भी तलवार के दम पर। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल में अब गृहयुद्ध होगा और अलग देश की मांग की जाएगी। बड़े पैमाने पर हिंदुओं का कत्लेआम होगा और मुगलिस्तान की मांग की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह सब ममता बनर्जी की सहमति से होगा। जेनेट लेवी ने कहा है कि 2013 से पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी है। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

बंगाल में बिगड़ गया आबादी का समीकरण
जेनेट लेवी ने इसके लिए कई तथ्य पेश किए हैं और इसके लिए मुख्य जिम्मेदार बंगाल में बिगड़ते जनसांख्यिकीय संतुलन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने हिंदुओं की घटती और मुस्लिमों की तेजी से बढ़ती आबादी का जिक्र करते हुए देश के एक और विभाजन की तस्वीर प्रस्तुत की है। उन्होंने तथ्य के साथ दावा किया है किस्वतंत्रता के समय पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत थी, लेकिन यह घटकर अब महज 8 प्रतिशत हो गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। इतना ही नहीं कई जिलों में तो यह आबादी 63 प्रतिशत तक है।उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक शरिया कानून की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं।

अरब देशों के पैसे से चल रहा जिहादी खेल
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि इस्लामिक देश बनाने की सूत्रधार ममता बनर्जी बनने जा रही हैं। उन्होंने अपने दावे में तथ्य भी दिए हैं और कहा है कि यह सब अरब देशों की फंडिंग से होने जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि ममता सरकार ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

मुस्लिमों के लिए अलग अस्पताल-स्कूल
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। इनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं।

हिंदुओं का सरकार द्वारा जारी है बहिष्कार
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि हिंदुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते। यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहां भी हिंदुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। ये वे जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। जेनेट लेवी ने दावा किया है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को कई सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं दिया जाता।

हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाएंगे कट्टरपंथी मुसलमान
जेनेट लेवी ने दुनिया भर की कई मिसालें देते हुए दावा किया है कि, मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा है कि आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया कानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो। जेनेट ने दावा किया है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लेसफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल
1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।  मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता
जेनेट लेवी ने दावा किया है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है। हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके। गौरतलब है कि हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है। दरअसल लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं। जेनेट लेवी के मुताबिक बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। 

ममता बनर्जी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को अपने धार्मिक रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार मनाने तक की स्वतंत्रता नहीं रह गई है। इस पर एक नजर- 

ममता बनर्जी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं को अपने धार्मिक रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार मनाने तक की स्वतंत्रता नहीं रह गई है। हाल के वर्षों में ममता सरकार ने हिंदुओं के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे लगता है कि अपने ही देश के भीतर बहुसंख्यकों को अपनी पूजा-पद्धति और संस्कार बचाने के लाले पड़ गए हैं। इसका तात्कालिक और सबसे बड़ा उदाहरण कोलकाता में रामनवमी की पूजा के लिए अनुमति नहीं मिलना है। जी हां, अगर कलकत्ता हाईकोर्ट ने दखल नहीं दिया होता तो इसबार भी (हाल में कई मौकों पर पश्चिम बंगाल में अदालत के आदेश के बाद ही पश्चिम बंगाल में पूजा-विधि संपन्न हो सकी है) दक्षिण कोलकाता में रहने वाले हिंदू रामनवमी की पूजा नहीं कर पाते।

हाईकोर्ट के आदेश से हो सकी रामनवमी की पूजा
सुनने में अजीब जरूर लगता है, लेकिन ये सच्चाई है कि पश्चिम बंगाल में अब हिंदुओं की पूजा और उपासना की स्वतंत्रता खतरे में पड़ चुकी है। बात-बात में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश के टुकड़े करने की बात करने वालों पर ममता बरसाने वाली पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों पर आए दिन रोक लगा रही है। ताजा मामला कोलकाता के दक्षिणी दमदम नगरपालिका का है जहां ‘लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ने पिछले 22 मार्च को ही पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया था। लेकिन जब राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी तो याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जज न्यायमूर्ति हरीश टंडन ने नगरपालिका के रवैये पर नाखुशी जताते हुए पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।

मुहर्रम के चलते दुर्गा विसर्जन पर लगाई थी रोक
पिछले शारदीय नवरात्रि की बात है। पंचांग के अनुसार मां दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए तय समय पर रोक लगाकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसलिए उसकी समय-सीमा तय कर दी ताकि उसके अगले दिन मुहर्रम का जुलूस निकालने में कोई दिक्कत न हो। बंगाल के इतिहास में इससे बड़ा काला दिन क्या हो सकता है, क्योंकि दुर्गा पूजा बंगाल की अस्मिता से जुड़ा है, इसमें राज्य की पहचान और सदियों की संस्कृति छिपी है। हैरानी की बात तो ये है कि मुख्यमंत्री ने अपने तुष्टिकरण वाले फैसले का ये कहकर बचाव किया कि वो तो सांप्रदायिक सौहार्द के लिए ऐसा करती हैं।
लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई थी। जस्टिस दीपांकर दत्‍ता की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा था, “राज्‍य सरकार का यह फैसला, साफ दिख रहा है कि बहुसंख्‍यकों की कीमत पर अल्‍पसंख्‍यक वर्ग को खुश करने और पुचकारने वाला है।” कोर्ट ने यहां तक कहा कि, “प्रशासन यह ध्‍यान रख पाने में नाकाम रहा कि इस्‍लाम को मानने वालों के लिए भी मुहर्रम सबसे महत्‍वपूर्ण त्‍योहार नहीं है। राज्‍य सरकार ने लापरवाही से एक समुदाय के प्रति भेदभाव किया है ऐसा करके उन्‍होंने मां दुर्गा की पूजा करने वाले लोगों के संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण किया।”

मकर संक्रांति की सभा में डाला था अड़ंगा
इसी साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक रैली आयोजित की थी। लेकिन सारे नियमों और औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद भी राज्य की सरकार के दबाव में कोलकाता पुलिस इस रैली के लिए अनुमति नहीं दे रही थी। इस रैली को स्वयं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन जी भागवत को संबोधित करना था। लेकिन ममता सरकार को लग रहा था कि अगर रैली के लिए अनुमति दे दी तो उनका मुस्लिम वोट बैंक बिदक जाएगा। यही वजह है कि उसने सारी कानूनी और संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर रैली की अनुमति देने से साफ मना कर दिया। 

बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु 
भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, लेकिन मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।

हिंदुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं ममता बनर्जी
ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है कि ममता बनर्जी ने हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिंदुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिंदुओं से नफरत जाहिर होता है। कोर्ट ने तब कहा था,  ”आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं। दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्‍हें साथ रहने दीजिए।”

दशहरे पर शस्त्र जुलूस निकालने की ममता ने नहीं दी थी अनुमति
हिंदू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। लेकिन मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिंदुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिस करती रही हैं। सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।

कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक
10 अक्टूबर, 2016 को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिंदुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है।  बीरभूम जिले का कांगलापहाड़ी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में 300 घर हिंदुओं के हैं और 25 परिवार मुसलमानों के हैं, लेकिन इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया।

 

 

 

 

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