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राजस्थान में लंपी बीमारी के कारण मर रही हैं हजारों गौमाताएं, गहलोत सरकार सोती रही, नहीं किया कोई उपाय

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राजस्थान के कांग्रेस शासन में सैकड़ों गौ माता हर रोज लंपी बीमारी से दम तोड़ रहीं हैं और गहलोत सरकार सो रही है। राजस्थान में गौमाताओं में लंपी संक्रमण से हालत गंभीर हो गई। यह रोग अब करीब 22 जिलों में फैल गया है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले तीन महीनों में हजारों गौमाताएं इस बीमारी की चपेट में आकर दम तोड़ चुकी हैं। लंपी का सबसे ज्यादा कहर बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, बांसवाड़ा, नागौर और डूंगरपुर जिलों में फैला है। इन जिलों में पांच दिन से प्रतिदिन 300 से 350 गायों की मौत हो रही है। प्रदेश में करीब 35 हजार गायों में यह रोग फैल चुका है। लंपी रोग के कारण दूध और मावे की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गौमाताओं पर लंपी बीमारी का कहर ढा रहा है वहीं अशोक गहलोत सरकार इससे बेपरवाह है और कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है जिससे तत्काल इस बीमारी की रोकथाम हो सके और गौमाताओं को बचाया जा सके। एक तरफ जहां गौमाताएं बीमारी से दम तोड़ रही है वहीं गहलोत भारत जोड़ो यात्रा में बिजी हैं और गोशालाओं को दिया जाने वाला अनुदान भी रोक दिया है।

एक तरफ बीमारी का कहर, वहीं गोशाला का अनुदान रोका

जयपुर स्थित हिंगोनिया गोशाला में लंपी रोग फैल चुका है। इस गोशाला में 1500 गोवंश हैं। एक तरफ तो जहां गायों में लंपी रोग फैल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ जयपुर नगर निगम ने गोशाला में गायों को दिए जाने वाले अनुदान के चार करोड़ पांच लाख रुपये भुगतान पिछले छह महीने से नहीं किया है। नगर निगम ने गोशाला के संचालन का जिम्मा श्रीकृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट को सौंप रखा है। ट्रस्ट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नगर निगम प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि पैसा नहीं मिलने से यदि किसी भी तरह की अनहोनी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी हेरिटेज नगर निगम की होगी। पैसा नहीं मिलने के कारण गायों के लिए चारे का प्रबंध भी सही तरह से नहीं हो पा रहा है। श्रीकृष्ण बलराम सेवा ट्रस्ट के प्रवक्ता सिद्ध स्वरूप दास ने कहा कि पिछले दह महीने से अनुदान नहीं मिलने से हालत बिगड़ने की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

राजस्थान के बीकानेर में हर रोज करीब 200 गायें दम तोड़ रही

राजस्थान के बीकानेर जिले में लंपी बीमारी के संक्रमण के चलते हजारों गायों की मौत हो चुकी है. वहीं सरकारी रिकॉर्ड में अब तक 2500 गायों की मौत हुई है लेकिन सरकारी आंकड़े से हकीकत बहुत अलग है। हर रोज करीब 200 गाय दम तोड़ रही हैं और आंकड़ा 10 से 20 हजार तक पहुंच गया है। अकेले बीकानेर में हर रोज 300 गायों की मौत हो रही है। इन्हें उठाने के लिए नगर निगम के संसाधन कम पड़ गए हैं। बीकानेर शहर की गायों को शहर से थोड़ी दूरी पर जंगल एरिया में डंपिंग यार्ड में फेंका जा रहा है, जहां इन्हें गिद्ध नोच कर खा रहे हैं। बीकानेर से 10 किलोमीटर दूर डंपिंग साइट पर खुले में फेंका जा रहा है। 5646 हेक्टेयर में फैले जंगल क्षेत्र में पशुओं की लाशें पड़ी हैं, जिसकी वजह से इतनी बदबू फैली है जिससे पांच किलोमीटर तक ठहरना दुश्वार हो रहा है।

 

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