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PM Modi की एक और गारंटी पूरी, CAA लागू होने से पश्चिम बंगाल से राजस्थान तक देशभर में खुशी की लहर, गैर मुस्लिम शरणार्थियों को फायदा मिलने से लोकसभा चुनाव पर होगा असर

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प्रधानमंत्री अक्सर चुनावी सभाओं में कहते हैं- मोदी की गारंटी, यानि हर गारंटी के पूरे होने की गारंटी। केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA लागू करके पीएम मोदी की एक और गारंटी को पूरा कर दिया है। इसके लागू होने से 31 दिसम्बर 2014 से पहले पड़ोसी देशों से भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिलेगी। मोदी सरकार के मुताबिक CAA का उद्देश्य दशकों से धार्मिक उत्पीड़न झेलने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देकर सम्मानजनक जीवन जीने का मौका देना है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए यह आशा की एक नई किरण की तरह है। इसका सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय को होगा। करीब चार करोड़ से ज्यादा गैर मुस्लिम शरणार्थियों को इसका लाभ मिलने से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा होगा।पाक, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक इसलिए किए शामिल 
देश की आजादी के बाद भारत-पाक विभाजन के समय यानी 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक, ज्यादातर हिंदू और सिख आबादी का लगभग 23% थे। आज वो लगभग 5% हैं। हिंदू लगभग 1.65% ही रह गए हैं। इसी तरह 1971 में जब बांग्लादेश बना, तब हिंदू आबादी का 19% थी। 2016 में वो आधे से भी कम यानी केवल 8% ही रह गए। सीएए बिल पेश करते समय 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में सदन में बयान दिया था- ‘इससे पहले अलग-अलग समय पर युगांडा, श्रीलंका जैसे देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी गई है। तब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को शामिल नहीं किया गया था। इस बार CAA के जरिए तीन देशों से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आए अप्रवासियों को नागरिकता देने पर विचार किया गया है। सरकार का कहना है कि मुसलमानों को इसलिए शामिल नहीं किया गया, क्योंकि उन्हें इन इस्लामिक देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता। यह सही भी है और आधिकारिक आंकड़े मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों के पलायन की गवाही भी देते हैं।

CAA उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं, बल्कि नागरिकता देना है
नागरिकता कानून से दूसरे देशों से आए पीड़ित लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। भारत के किसी भी नागरिक चाहें वो किसी भी धर्म का हो उनकी नागरिकता पर CAA का कोई असर नहीं होगा। अमित शाह ने भी इस बात पर जोर देकर कहा था, ‘इसका उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं बल्कि नागरिकता देना है।’ जहां तक भारत की नागरिकता हासिल करने का सवाल है तो यह मामला गृह मंत्रालय के अधीन आता है। सिटीजनशिप एक्ट ऑफ 1955 (2003 में संशोधित) के तहत कोई व्यक्ति चार तरीकों से भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है। उदाहरण के लिए जन्म और वंश के आधार पर यानी माता-पिता में किसी एक के भी भारतीय नागरिक होने पर उनके बच्चे को भारत की नागरिकता मिल सकती है। इसके अलावा नेचुरलाइजेशन और रजिस्ट्रेशन के जरिए नागरिकता हासिल की जा सकती है।

तीन देशों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के लिए क्या करना होगा?
मोदी सरकार ने 11 मार्च को इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। सरकार ने पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाया है। आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। उन्हें ये साबित करना होगा कि वे पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश के निवासी हैं। इसके लिए वहां के पासपोर्ट, जन्म प्रमाण पत्र, मार्कशीट या वहां की सरकार से जारी पहचान का कोई प्रमाण पत्र पेश करना होगा। नागरिकता के आवेदनों पर एक समिति फैसला लेगी। इस समिति में जनगणना निदेशक, आईबी, फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस, पोस्ट ऑफिस और राज्य सूचना अधिकारी शामिल होंगे। सबसे पहले आवेदन जिला कमेटी के पास जाएगा। फिर उसे एंपावर्ड कमेटी को भेजा जाएगा।

CAA को अदालतों में चुनौती, याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित
CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा जनहित याचिकाएं दायर की गईं थी। 19 दिसंबर 2019 को उस वक्त के चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर पहली बार सुनवाई करते हुए कहा था कि सरकार का पक्ष जाने बगैर कोर्ट इस पर कोई निर्णय नहीं लेगी। जिसके बाद सरकार ने इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट भी प्रस्तुत किया था, जिसमें CAA को कानून का अंग बताकर इसका बचाव किया गया था। 6 दिसंबर 2022 के बाद इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद से ही याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।गैर-कानूनी तरीके से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता नहीं
CAA एक्ट में तीन देशों से आए प्रवासियों को नेचुरलाइजेशन तरीके से नागरिकता हासिल करने की सुविधा देने का प्रावधान है। नेचुरलाइजेशन तरीके में व्यक्ति को कुछ योग्यताओं को पूरा करना पड़ता है, जैसे व्यक्ति को पिछले 12 महीनों और पिछले 14 सालों में कम से कम 11 सालों तक भारत में रहने या केंद्र सरकार की सेवा में देना जरूरी होता है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में अवैध प्रवासियों के भारत में निवास का समय 11 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया। ऐसा भी नहीं है कि CAA के जरिए कोई भी अवैध तरीके से आया व्यक्ति भारतीय नागरिक बन सकता है। 31 दिसम्बर,2014 के बाद गैर-कानूनी तरीके से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता नहीं दी जाएगी। इन अवैध अप्रवासियों को इस तरह वन-टाइम बेसिस पर नागरिकता दी जाएगी। इसके बाद किसी को नागरिकता चाहिए, तो उसे सिटीजनशिप एक्ट ऑफ 1955 के प्रोसेस का पालन करना होगा।पश्चिम बंगाल: 3 करोड़ आबादी और दस लोकसभा 10 सीटों पर असर
प. बंगाल में बांग्लादेश से आए मतुआ समुदाय के हिंदू शरणार्थी काफी लंबे समय से नागरिकता की मांग कर रहे हैं। देश में इनकी आबादी 3-4 करोड़ है, जिसमें 2 करोड़ बंगाल में हैं। इस समुदाय का राज्य की 10 लोकसभा और 77 विधानसभा सीटों पर बड़ा सियासी प्रभाव है। सीएए लागू होने पर इन्हें नागरिकता मिल जाएगी। भाजपा ने 2019 में 42 में से 18 सीटें जीती थीं, जबकि 2014 में 3 ही सीटें मिली थीं। वहीं, असम में भी 20 लाख से ज्यादा हिंदू बांग्लादेशी रह रहे हैं। 2019 में वहां के स्थानीय संगठन कृषक मुक्ति संग्राम कमेटी ने यह दावा किया था। असम की कुल 3.5 करोड़ की आबादी में ये लोग कई सीटों पर प्रभावी हैं।सरहद के हालात: सीएए लागू होने से हिंद से सिंध तक खुशी का संचार
पश्चिमी सीमा के बाड़मेर जैसलमेर का पाकिस्तान से रोटी-बेटी का रिश्ता है। सरहद ने लकीर खींच ली लेकिन रिश्तों की डोर नहीं टूटी है। नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू होने की खबर ने ही हिन्द से लेकर सिंध तक खुशी का संचार किया है। 11 साल से भी लंबे समय से इंतजार कर रहे कई हिन्दू विस्थापितों को अब भारतीय नागरिकता की राह आसान हुई है। बाड़मेर में अभी 45 आवेदन लंबित है। यहां बसे करीब 70 हजार पाक हिन्दू खुश है। सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिन्दूसिंह सोढ़ा के मुताबिक यह पाक विस्थापित हिन्दू परिवारों के लिए बहुत ही खुशी की बात है। हमें उम्मीद है कि मोदी सरकार इसके अलावा ऑन फुट वीजा, थार एक्सप्रेस को जल्द शुरू करेगी। वाकई में पीएम मोदी का यह फैसला हिन्दू पाक विस्थापित परिवारों के लिए तोहफा है।

 

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