प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर थामने के साथ ही डिजिटल इंडिया के लिए ऐसी मजबूत पहल की जिसके लगातार कई बड़े परिणाम सामने आ रहे हैं। ये ऐसे परिणाम हैं जिनसे देश ही नहीं विश्व जगत को भी भरपूर फायदा मिल रहा है। डिजिटल इंडिया का उद्देश्य है देश को डिजिटल लिहाज से एक सशक्त और मजबूत अर्थव्यवस्था बनाना। मौजूदा सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए हैं जिनसे आम लोगों को डिजिटली साक्षर होने की प्रेरणा तो मिली ही है, साथ ही वे खरीदारी से लेकर लेनदेन और कारोबार तक डिजिटल ढांचे में ढल रहे हैं।
सिलिकॉन वैली में केंद्रीय आईटी मंत्री के अनुभव
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने डिजिटल इकोनॉमी पर अर्जेंटीना में हुई G-20 की मंत्रिस्तरीय बैठक और उसके बाद कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली की यात्रा के दौरान अपने अनुभव को एक ब्लॉग के जरिए शेयर किया है। Times of India में अपने इस ब्लॉग में उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में हो रही डिजिटल क्रांति की गूंज पूरे विश्व में सुनाई पड़ रही है। वो लिखते हैं कि सिलिकॉन वैली के इनोवेशन की ताकत के पीछे दरअसल वहां काम कर रहे भारतीय हैं। समय आ गया है कि डिजिटल पर सिलिकॉन वैली जैसा इकोसिस्टम अब अपने देश में भी बने। वैसे डिजिटल के पैमाने पर पिछले चार सालों मे देश में क्रांतिकारी बदलाव स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं।
JAM के जरिए हजारों करोड़ की बचत
देश डिजिटल की राह में जितना ही आगे बढ़ रहा है, उतनी ही बड़ी राशि की बचत भी होती जा रही है जिनसे गरीबों और वंचितों की योजनाओं को और बल मिलेगा। जन धन, आधार और मोबाइल की त्रिमूर्ति से 90,000 करोड़ रुपयों की बचत हो चुकी है। यानि ये बचत हुई है 440 सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को डिजिटल तरीके से पेमेंट किए जाने से। गुड गवर्नेंस का कॉन्सेप्ट आज तकनीक के सहारे बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है। समयसीमा के भीतर कामकाज को पूरा करने में इसकी पूरी मदद ली जा रही है, वहीं लोगों तक सर्विस भी समय से पहुंच रही है। जनसामान्य को मोबाइल पावर यानि एम-पावर के जरिए सबल किया जा रहा है और इसके दायरे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कॉमन सर्विस सेंटर से डिजिटल उद्यमशीलता को बढ़ावा
दो लाख ग्राम पंचायतों को मिलाकर देश भर में करीब 3 लाख कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से 300 सेवाएं-सुविधाएं लोगों तक पहुंच रही हैं। कॉमन सर्विस सेंटर के सहारे आधार एनरॉलमेंट, टिकट बुकिंग और जन सुविधाओं से जुड़ी कई प्रकार की ई-गवर्नेंस सर्विस दी जा रही हैं। कॉमन सर्विस सेंटर ने देश के गरीब, हाशिए पर खड़े, दलित और महिलाओं में डिजिटल उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया है। इन सेंटरों में 52,000 से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं जो लोगों को टिकट बुकिंग, टेली मेडिसिन, जन औषधि और आधार सर्विस मुहैया करा रही हैं। इनके अलावा देश के 101 छोटे शहरों में 124 BPOs के माध्यम से युवाओं को घर बैठे ही रोजगार मिले हैं।
गांवों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने पर विशेष जोर
आंकड़े बताते हैं कि भारत की डिजिटल प्रोफाइल लगातार कैसे दमदार होती जा रही है। 130 करोड़ लोगों के इस देश में 121 करोड़ मोबाइल फोन हैं, 122 करोड़ आधार कार्ड बन चुके हैं, करीब 50 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं। देश भर में एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट किया जा चुका है और 2.5 लाख से अधिक गांवों में हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सर्विस पहुंचाई जा चुकी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक एक करोड़ से अधिक लोगों को डिजिटली साक्षर किया जा चुका है।
जल्द ही ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी बनेगा इंडिया
नवंबर, 2016 से देश में डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम का दायरा करीब 200 प्रतिशत बढ़ चुका है। यहां के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी बड़ा विस्तार लिया है और पिछले चार वर्षों में यह दोगुना होने के बाद तेजी से बढ़ता जा रहा है। ई-कॉमर्स का दायरा भी लगातार विस्तारित हो रहा है और इसमें 19 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ोतरी हो रही है। ये सब ऐसी सकारात्मक और उत्साहजनक स्थितियां हैं जो आने वाले तीन से चार वर्षों में भारत को ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी बनने की दिशा में प्रेरित करेगा।