देश में रोजगार के मोर्च पर अच्छी खबर समृद्धि की तस्वीर दिखा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्थानीय स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने से रोजी-रोटी के अपने राज्य से पलायन करने वालों की संख्या तेजी से घट रही है। अपने घर और राज्य में ही रोजगार के अवसर मुहैया हो जाने से दूसरे राज्यों में जाने का सिलसिला कम होने लगा है। करीब बारह साल में इस सिलसिले में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट में राज्यों की समृद्धि की तस्वीर पेश करते हुए कहा गया कि लोगों को अपने राज्य में रोजगार मिलने लगा तो उनके बाहर जाने की रफ्तार में कमी आई है। ‘400 मिलियन ड्रीम्सः एक्जामिनिंग वॉल्यूम एंड डायरेक्शंस ऑफ डोमेस्टिक माइग्रेशन इन इंडिया यूजिंग नोवेल हाई फ्रीक्वेंसी डेटा’ नाम की रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे राज्यों में पलायन करने वालों की संख्या करीब 40.21 करोड़ ही रह गई है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यह आंकड़ा 45.57 करोड़ था। पिछले एक दशक में लोगों को स्थानीय स्तर पर ही खूब रोजगार मिलने से यह तस्वीर बदली है।
रोजगार के लिए पलायन में 5 करोड़ से ज्यादा की कमी
ईएसी-पीएम के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबरॉय की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में घरेलू पलायन धीमा हो रहा है। अनुमान है कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे व कनेक्टिविटी जैसी बेहतर सेवाओं की उपलब्धता के साथ बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण है। यह आर्थिक विकास का संकेत है। रिपोर्ट में कहा कि अप्रैल-जून में सबसे ज्यादा लोग पलायन करते हैं, जबकि नवंबर- दिसंबर में यह आंकड़ा घट जाता है। इसके मुताबिक, “भारत में कुल मिलाकर घरेलू प्रवास धीमा हो रहा है। अनुमान है कि 2023 तक देश में प्रवासियों की कुल संख्या 40,20,90,396 रही होगी। यह जनगणना 2011 (45,57,87,621) के अनुसार गिने गए प्रवासियों की संख्या की तुलना में लगभग 11.78 प्रतिशत कम है।” इसके परिणामस्वरूप, जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या का 37.64 प्रतिशत प्रवासन दर घटकर 28.88 प्रतिशत ही रह गई है, जो देश में बढ़ते आर्थिक अवसरों का संकेत देती है।
कनेक्टिविटी में सुधार और आर्थिक अवसरों का विस्तार
जनगणना 2011 के अनुसार, केवल पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल – में कुल बाहर जाने वाले प्रवासियों का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा हैं, इसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू प्रवास करने वालों की संख्या में गिरावट का कारण मोदी सरकार के दो कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और संपर्क (कनेक्टिविटी) में सुधार और आर्थिक अवसरों का विस्तार है। इन सुधारों के कारण लोग अपने घरों से दूर जाने के बजाय अपने मूल स्थानों या आसपास रहने में सक्षम हो रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यह गिरावट आर्थिक विकास का संकेत है।
प्रवासन दर में कमी में आंकड़ों का विश्लेषण ऐसे किया गया
यह रिपोर्ट तीन उच्च-आवृत्ति (हाई-फ्रीक्वेंसी) डाटा सेट का उपयोग करके तैयार की गई। पहला, भारतीय रेल अनारक्षित टिकट प्रणाली से यात्री संख्या के आंकड़े। दूसरा, भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) से मोबाइल फोन यूजर्स के रोमिंग आंकड़े और तीसरा, जिला स्तर पर बैंकिंग के आंकड़े। इन आंकड़ों का इस्तेमाल करके यह समझने की कोशिश की गई कि प्रवासन का असर कहां कितना पड़ रहा है। इसमें कहा गया है कि 2011 की जनगणना में प्रवासन दर 37.64 फीसदी थी। जबकि 2023 में यह घटकर 28.88 फीसदी हो गई। यह दिखाता है कि प्रवास करने की गति धीमी हो गई है, जो देश की आर्थिक स्थिति और विकास में सुधार का संकेत है।
पश्चिम बंगाल और कर्नाटक से पलायन अब भी सबसे ज्यादा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलूरू, जैसे बड़े शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के आने की आंकड़े अधिक हैं। यह गुरुत्वाकर्षण मॉडल (ग्रेविटी) मॉडल के अनुसार सही है, जिसमें यह माना जाता है कि प्रवास अधिकतर कम दूरी वाले होते हैं और दूरी के बढ़ने से प्रवास की संभावना घटती है। रिपोर्ट के मुताबिक, जो पांच राज्य सबसे अधिक प्रवासियों को आकर्षित करते हैं, उनमें बदलाव आया है। तृणमूल कांग्रेस शासित पश्चिम बंगाल और कांग्रेस राजस्थान से पलायन करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से प्रवासियों का प्रतिशत कम हुआ है। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा गठबंधन सी सरकार है।
ईएसी-पीएम रिपोर्ट की खास बातें
* 13 साल में पलायन दर घटकर 28.88% हुई।
* अप्रैल-जून में होता है सबसे ज्यादा पलायन।
* शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की सेवाओं की उपलब्धता बढ़ी।
* 2023 में प्रवासी कामगारों की संख्या करीब 40.21 करोड़ रही, जो 2011 में करीब 45.57 करोड़ थी।
* कुल पलायन में 48 फीसदी योगदान पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल का।
* मुंबई, बंगलूरू, हावड़ा, मध्य दिल्ली और हैदराबाद जैसे जिले सबसे अधिक प्रवासी आकर्षित कर रहे हैं।