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PM Modi की अमेरिका यात्रा ने खोले मेगा पार्टनरशिप के द्वार, टॉप 10 पॉइंट में समझिए इसका भारत को ऐसे होगा बड़ा फायदा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा एक बार फिर बेहद सफल रही। रिकॉर्ड जीत के बाद आत्मविश्वास से भरे ट्रम्प के जबड़े से पीएम मोदी भारतीय हितों को खींच लाए हैं। दोनों देशों के बीच ट्रेड, डिफेंस, टेक्नोलॉजी, क्वाड और एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के नए आयाम खुले हैं। मोदी की इस यात्रा में टैरिफ और अप्रवासियों का मुद्दा सबसे अहम था। भले ही ट्रम्प ने रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है, लेकिन सितंबर तक होने वाली भारत-अमेरिका ट्रेड डील में मोलभाव होने की संभावना है। निश्चित रूप से भारत टैरिफ के मुद्दे पर बातों को अपने पक्ष से मनवा सकेगा। अमेरिका से ट्रेड डील भारत को दुनिया की तीसरे नंबर की इकोनॉमी बनाने के लक्ष्य में मील का पत्थर साबित होगी। इससे भारत-अमेरिका में व्यापार बढ़कर दोगुना हो जाएगा। जहां तक अमेरिकी आयॅल इम्पोर्ट की बात है ये हमें किफायती दरों पर ही मिलेगा। हम अभी रूस से ऑयल ले रहे हैं, महंगी दरों पर तो हम अमेरिका से ऑयल नहीं लेंगे। पीएम मोदी के कहने पर ही ट्रम्प ने क्वाड और आइमैक इकोनॉमिक कॉरिडोर का समर्थन किया है। यह अमेरिका का भारत के पक्ष में चीन को साफ और खुला जवाब है। न्यूक्लियर एनर्जी में करार से हमें आने वाले समय में एआई सेक्टर में आगे बढ़ने में और मदद मिलेगी।

परस्पर समृद्धि के लिए मेगा (मेक इंडिया-अमरीका ग्रेट अगेन) पार्टनरशिप
प्रधानमंत्री मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात गुरुवार देर रात (भारतीय समय के मुताबिक शुक्रवार तड़के 3 बजे) वाइट हाउस में हुई। इस दौरान दोनों ने एक-दूजे को गले लगाया और ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी को मिस किया। टैरिफ मामले को लेकर मोदी की तारीफ की और उन्हें उनसे बेहतर टफ नेगोशिएटर (मोलभाव करने वाला) करार दिया। अमरीका का दो दिवसीय दौरा खत्म कर मोदी शुक्रवार रात भारत पहुंच गए। वाइट हाउस में बैठक के दौरान मोदी ने ग्लोबल लीडरशिप और आर्थिक उन्नति के लिए भारत-अमरीका के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अक्सर मागा (मेक अमरीका ग्रेट अगेन) की बात कहते है। हम भी विकसित भारत के लिए काम कर रहे है, यह अमरीकी संदर्भ में मिगा (मेक इंडिया ग्रेट अगेन) कहा जाएगा। दोनों को मिलाकर देखें तो यह हमारी परस्पर समृद्धि के लिए मेगा (मेक इंडिया-अमरीका ग्रेट अगेन) पार्टनरशिप होगा।

PM Modi ट्रम्प के जबड़े से भारत के हितों को खींच कर लाए

1.राष्ट्रपति ट्रंप ने घोषणा की कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा। अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस फैसले को मंजूरी दी थी। भारत लंबे समय से राणा को सौंपने की मांग कर रहा था, जिससे अब न्याय की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
2. अमरीका और भारत ने इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने का फैसला किया। दोनों देशों ने आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण को रोकने, खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने की बात कही। इससे निश्चित रूप से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और आईएसआई की कोशिशें कमजोर होंगी।

प्रवासी भारतीयों को फायदा, व्यापारिक असंतुलन कम होगा
3. पीएम मोदी ने घोषणा की कि लॉस एंजिलिस व बॉस्टन में नए भारतीय वाणिज्य दूतावास (कॉन्सुलेट) खोले जाएंगे। इससे भारतीय प्रवासियों को लाभ मिलेगा। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक व व्यावसायिक संबंध और मजबूत होंगे। अमरीका और भारत ने अपने व्यापारिक असंतुलन को कम करने पर सहमति जताई।
4. ट्रंप ने कहा कि अमरीका भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए नए समझौते करेगा। इससे दोनों देशों के व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा और निवेश के नए अवसर खुलेंगे। निवेश के नए-नए रास्ते बनने से भारत में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बनेंगे।सेमीकंडक्टर के लिए अमरीका देगा तकनीकी सहायता
5 दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर निर्माण और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान और विकास पर सहमति जताई। भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अमरीका तकनीकी सहायता प्रदान करेगा। इससे भारत में तकनीकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी।
6. भारत और अमरीका ने छोटे न्यूक्लियर मॉड्यूलर रिएक्टर विकसित करने के लिए सहयोग करने का फैसला किया। इससे स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और दोनों देशों की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी।

एफ-35 जेट से भारत की सुरक्षा और मजूबत होगी
7. ट्रंप ने कहा कि भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख रणनीतिक सहयोगी है। उन्होंने क्वाड को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इससे भारत की सुरक्षा भूमिका मजबूत होगी व क्षेत्रीय शांति आएगी। भारत को अमेरिका से एफ-35 जेट मिलेंगे।
8 अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि भारत को अत्याधुनिक हथियार, लड़ाकू विमान और सैन्य प्रणालियां दी जाएंगी। दोनों देश रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन व तकनीकी साझेदारी बढाएंगे।

मजबूत होंगे कारोबारी रिश्ते, एआई सिस्टम भी
9. अमरीका ने भारत को कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बढ़ाने का फैसला किया है। दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं पर भी मिलकर काम करने की योजना बनाई है।
10. भारत और अमरीका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। दोनों देश मिलकर उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित करेंगे।

अब 7 अहम बिंदुओं में समझें: भारत को क्या मिला और आगे की रणनीति
1.उत्साहवर्द्धक संकेतः दोनों देशों ने भविष्य में अपना अंतरराष्ट्रीय व्यापार 500 बिलियन अमरीकी डॉलर करने का लक्ष्य रखा है जो कि उसके वर्तमान लक्ष्य से दुगना है। निसंदेह भारत के उद्योग धंधों के लिए यह उत्साहवर्धक संकेत है।
2.मोलभाव जरूरीः अमरीका ने दूसरे राष्ट्रों की तरह भारत पर भी ‘रेसिप्रोकोल ट्रेड टैरिफ’ (पारस्परिक कर) लगाने की घोषणा की है। भारत की औद्योगिक विकास की गति और यहां स्थाई सरकार, प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं और पूर्व के रेकॉर्ड को देखते हुए अमरीका भारत को कंसेशन देना चाहिए। अब भारत को भविष्य में ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान इस विषय पर स्थानीय उद्योग के विकास को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फॉर द वर्ड’ की भावना के अनुरूप गति देने के लिए गंभीर मोलभाव (नेगोशिएशन) कर सकता है।
3 रुपए पर रखें नजरः भारत ऊर्जा के क्षेत्र में अमरीकी आयात को बढ़ावा देगा। इसे खाड़ी देशों से ऊर्जा आयात में भारत को एक और विकल्प मिल सकेगा। यद्यपि यह भारत अमरीकी ‘ट्रेड डिफिसिट’ को कम करने में सहायक होगा लेकिन, इस निर्णय को रुपए के अमरीकी डॉलर की अपेक्षा अधिक अवमूल्यन के आलोक में भी देखना होगा।


4.विनिर्माण के लिए बेहतरः रक्षा के क्षेत्र में ‘रिसिप्रोकल डिफेंस प्रोक्योरमेंट’, ‘को-डिजाइन’ व ‘को-प्रोडक्शन’ उत्साहवर्धक कदम है। निजी क्षेत्र में भारत की मैन्युफैक्चरिंग के लिए यह हितकर निर्णय है।
5. चतुराई की अपेक्षाः स्मॉल मॉड्यूलर ड्यूलर रिएक्टर के निर्माण के लिए अमरीकी कंपनियों का भारत के ‘लार्ज स्केल लोकलाइजेशन’ एवं टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से स्थानीय उद्योगों को लाभ होगा। यह भारत की दृष्टि से एक सकारात्मक निर्णय है। भारत को चतुराई से अपने हित साधते हुए इस विषय को डिप्लोमेटिक तरीके से बखूबी हैंडल कर सकता है।
6 एआइ के क्षेत्र में साथ: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी दोनों राष्ट्रों ने साथ-साथ काम करने का संकल्प दोहराया है। अमरीकी कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को क्लोज्ड सोर्स एप्लीकेशन के रूप में रखना चाहती हैं वहीं भारत इसको ओपन सोर्स रखना चाहता है।
7. आपूर्ति श्रृंखला में सहायकः सेमीकंडक्टर चिप्स, क्रिटिकल मिनरल्स, फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में समझौते दोनों ही राष्ट्रों की आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होंगे।

 

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