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प्रधानमंत्री मोदी ने खत्म कर दी पुरानी धारणा, अब सरकार का मतलब है तेज रफ्तार से दुरुस्त कार्य

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देश में कम से कम छह दशकों का एक लंबा दौर ऐसा रहा जिसमें सरकार के प्रति आम तौर पर यही धारणा बनी रही कि सरकार का मतलब है सुस्त गति से काम और सरकारी योजनाओं का मतलब है बंदरबांट का खेल। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की मौजूदा सरकार ने इस धारणा को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब सरकार का मतलब है सबसे गति से काम और यहां तक कि समय से पहले कार्य पूरा कर लेने की इच्छाशक्ति। सरकारी योजनाओं में लूट का खेल भी खत्म हो चुका है। इसकी बानगी मोदी सरकार के कदम-कदम में दिखी है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण एक बड़ा उदाहरण
सरकार के प्रति जो पुरानी धारणा थी, उसके हिसाब से ये लगेगा ही नहीं कि प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण में जैसा घर लोगों को मिल रहा है वह सरकार ने बनवाया है। गुजरात में इस योजना के तहत बने 1,15,551 घरों के सामूहिक ई-गृह प्रवेश के दौरान जिस प्रकार की डिजाइन वाले घर लोगों को देखने को मिले वह उनके लिए अविश्वसनीय हो सकता है। लेकिन यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में संभव कर दिखाया गया है।

बिचौलिये खत्म, सीधा फायदा लाभार्थियों को  
गुरुवार को वीडियोकॉन्फ्रेंसिग के जरिए हुए कार्यक्रम में जब राजकोट की लाभार्थी सुनिता बेन से प्रधानमंत्री मोदी ने पूछा कि मकान बनाने में किसी दलाल ने कोई पैसा तो नहीं खाया, तो जवाब में सुनिता बेन ने कहा-नहीं। उन्होंने यह भी बताया कि एक-एक पैसे उनके खाते में आए थे। यह नतीजा है सरकारी योजनाओं से बिचौलिये खत्म किए जाने का, जिससे अब रुपये के पूरे 100 पैसे लाभार्थियों के खाते में पहुंच रहे हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोगों ने अपने घर अपनी पसंद के मुताबिक बनवाए हैं। देश वह दौर भी देख चुका है जब बिचौलियों की बंदरबांट के चलते रुपये में सिर्फ 15 पैसे लाभार्थियों के खाते में पहुंच पाते थे।

लक्ष्य केंद्रित और समयबद्ध होना अब सरकार का स्वभाव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार में देश के विकास के लिए जिस प्रकार से योजनाओं की लक्ष्य केंद्रित रूपरेखाएं खींचकर उन्हें आगे बढ़ाने में जुटे, उसने पूरे देश में एक नया विश्वास भरने का काम किया है। लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए योजनाओं को समय पर पूरा करना इस सरकार के स्वभाव का हिस्सा बन चुका है। मौजूदा सरकार ने 2022 तक आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर लक्ष्य रखा है कि देश में कोई भी ऐसा नहीं होगा, जिसके पास अपना घर नहीं होगा। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने पूरी रफ्तार भर रखी है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भी रफ्तार में
मोदी सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में बनी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को समयसीमा में पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके तहत देश के हर गांव को मार्च 2019 तक रोड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस योजना की रफ्तार का पता इसी से चलता है कि 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी 56 प्रतिशत थी, आज वो बढ़कर 82 प्रतिशत तक जा पहुंची है। 2013-14 में जहां 69 किलोमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से सड़क बन रही थी वह आज 134 किलोमीटर प्रतिदिन हो चुकी है। मौजूदा सरकार के पहले चार साल में ग्रामीण इलाकों में 1.69 लाख किलोमीटर सड़क का निर्माण कर लिया गया।

गांव-गांव बिजली पहुंचाने के बाद घर-घर बिजली पर काम
आजादी के दशकों बाद भी देश के करीब 18,000 गांवों में बिजली नहीं पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेन्र्द मोदी ने एलान किया कि 1000 दिन के भीतर इन गांवों में बिजली पहुंचाने का काम होगा। पूरे देश ने देखा कि इस कार्य को समयसीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया। सौभाग्य योजना के तहत आज अब घर-घर बिजली पहुंचाने का काम अपनी रफ्तार में है। इसके तहत पहले मार्च 2019 तक सभी घरों को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन मोदी सरकार लक्ष्य से काफी पहले दिसंबर, 2018 तक सभी घरों में बिजली पहुंचा देना चाहती है। इस योजना का फायदा उन लोगों को मिल रहा है जो पैसों की कमी के चलते अभी तक बिजली कनेक्शन नहीं ले पाए थे।

देश बढ़ रहा संपूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य की ओर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान भी अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ता जा रहा है। इस अभियान के तहत अगले वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जन्मजयंती तक पूरे देश को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा सरकार ने पिछले चार साल में स्वच्छता कवरेज को जिस गति से बढ़ाया है, वह कांग्रेस के छह दशक के शासन पर भी भारी है। कांग्रेस के संपूर्ण कार्यकाल में 6.5 करोड़ शौचालय बने थे, जबकि मोदी सरकार में अब तक 7.25 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हो चुका है। देश के दो तिहाई से अधिक गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप देश के सभी सरकारी स्कूलों में शौचालयों के निर्माण के लक्ष्य को भी समय पर हासिल कर लिया गया था।

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उठ रहे कई कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक देश के किसान भाई-बहनों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने कई सारे कदम उठाए हैं जिसमें सबसे नया है एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना करने का फैसला। कुछ फसलों के मामलों में तो इसे लागत के दोगुने तक भी किया गया है। हाल में नाबार्ड की आई एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार इसके लिए जिस प्रकार के प्रयासों में जुटी है उससे किसानों की आमदनी तय समयसीमा से पहले भी दोगुनी हो सकती है। रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि किसानों की सालाना आय 12 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है और अगर ये रफ्तार बनी रही तो लक्ष्य दूर नहीं।

उज्ज्वला योजना का पहला लक्ष्य 8 महीने पहले पूरा
इस महीने के शुरू में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने संसद भवन परिसर में दिल्ली की रहने वाली तकदीरन को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन सौंपा। इसके साथ ही इस योजना में 5 करोड़ सिलेंडर दिए जाने का पहला लक्ष्य समय से आठ महीने पहले ही हासिल कर लिया गया। 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया में लॉन्च की गई इस योजना के तहत मार्च, 2019 तक 5 करोड़ सिलेंडर वितरण का लक्ष्य रखा गया था। सरकार अब 2020 तक आठ करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मुहैया कराने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। यह योजना खाना पकाते समय निकलने वाले जानलेवा धुएं से आजादी देकर देश की नारी शक्ति के लिए बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर रही है।

आयुष्मान भारत योजना पर भी तेज गति से काम
मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में जन सामान्य को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए मोदी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के रूप में एक क्रांतिकारी ऐलान किया था। इसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में तेज गति से काम चल रहा है। इस योजना का ट्रायल रन चल रहा है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मजयंती 25 सितंबर से पूरे देश में यह प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान के रूप में शुरू भी कर दिया जाएगा। देश के करीब 50 करोड़ लोगों को इसका फायदा मिल सकेगा जिसमें सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर सालाना 5 लाख रुपये का बीमा कवर देंगी। गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस के दिनों में योजनाएं बनती भी थीं तो क्रियान्वयन के दिन आएंगे या नहीं, इसका कोई भरोसा नहीं होता था।  

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