कभी विदेशी भारत को ‘सपेरों का देश’ कहते थे। यहां की संस्कृति, इसकी सभ्यता का पश्चिमी देशों में खूब मजाक बनता था। आज वही देश भारत के आगे नतमस्तक हैं। हमारे अभिवादन के तरीके को कोरोना काल में पूरी दुनिया अपना रही है। इजरायल, ब्रिटेन जैसे देशों के नेता खुलकर ‘नमस्ते’ करते हैं। हाथ मिलाने पर वायरस संक्रमण का खतरा है, इसलिए नमस्ते सबसे अच्छा। यह बात अब जाकर पश्चिमी देशों को समझ आई है।
वो दौर था जब बड़ी संख्या में भारतीयों ने पश्चिमी देशों का रुख किया। तब ये धारणा बनी कि भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर उतना मजबूत नहीं जो महामारियों को झेल सके। कॉलरा, टीबी, स्मॉलपॉक्स के अनुभव इस धारणा को मजबूत करते गए। मिडल क्लास के बीच विदेश से लौटना, खासतौर से अमेरिका या ब्रिटेन से, बड़े गर्व की बात होती थी। लेकिन मोदी सरकार के आने के बाद वक्त बदल चुका है। अब वहां से लौटने वाले दिखावा नहीं करते, क्योंकि भारत में सजग और तत्पर प्रधानमंत्री है, जो उनकी तरह अन्य देशों के लोगों की सुरक्षा में निरंतर लगा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह कोरोना संकट के समय देश का नेतृत्व किया है और महामारी को विकसित देशों की तुलना में काफी हदतक नियंत्रित करने में सफलता पायी है। इससे भारत के प्रति विश्व की धारणा बदल चुकी है। आज अमेरिका के राष्ट्रपति भारत से मदद मांगते हैं। उन्हें COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में ‘गेमचेंजर’ बताई जा रही दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन चाहिए। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। कई और विकसित देशों ने भारत से ये दवा मांगी है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कोरोना महामारी पर भारत के रेस्पांस की तारीफ की है। जिस तरह भारत ने एक के बाद एक बड़े फैसले किए और उन्हें धरातल पर लागू किया, उससे दुनिया के कई देशों ने सबक लिया। यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि भारत में लॉकडाउन बेहद सही और सटीक समय पर लिया गया फैसला है। ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो ने तो प्रधानमंत्री मोदी को ‘हनुमान’ की संज्ञा दी।
“India has a chance of getting on top of this virus and getting ahead of it. Other countries were slow and didn’t have any plan because they thought this is not a big problem. But India imposed the strong measures quite quickly”, says Dr David Nabarro, Special Envoy COVID-19, WHO pic.twitter.com/Q4ih8tdwDR
— BJP (@BJP4India) April 2, 2020
अमेरिका और ब्रिटेन ने कोरोना वायरस को हल्के में लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा कि ये अफवाह है और जादू की तरह गायब हो जाएगा। एक तरफ, भारत समेत एशिया के कई देश लॉकडाउन की ओर बढ़ रहे थे तो पश्चिम में व्यापारी जारी था। अब अमेरिका और ब्रिटेन, दोनों देशों में मरने वालों की संख्या हजारों में है। खुद ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन अभी ICU से बाहर आए हैं।
सच बात तो ये है कि भारत लंबे वक्त से अमेरिका जैसे देशों का सहयोग चाहता रहा है, मगर वैसा ही उधर से देखने को नहीं मिला। इस भारी संकट के समय जब विश्व भारत की ओर उम्मीदों से देख रहा है, तो प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मंत्र को वैश्विक स्तर पर लागू किया। प्रधानमंत्री मोदी सार्क और फिर जी-20 के जरिये दिखाया कि कोरोना के कहर से कैसे मिलकर निपटा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और नेताओं से संवाद किया और जरूरतमंद देशों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। अमेरिका, इजरायल और ब्राजील के अलावा भारत ने स्पेन, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव समेत कई देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा समेत दूसरी सहायता देने का फैसला किया। इससे वैश्विक धारणा बनाने में मदद मिली है कि भारत याचक नहीं, अब दाता बन चुका है।