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Taste और Technology का फ्यूजन एक नई इकोनॉमी को गति प्रदान करेगा- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज, 3 नवंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का मकसद भारत को दुनिया के खाद्य केंद्र के रूप में प्रदर्शित करना और 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाना है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वाद (Taste) और तकनीक (Technology) का फ्यूजन एक नई इकोनॉमी को गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि आज की बदलती हुई दुनिया में 21वीं सदी की सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक फूड सिक्योरिटी भी है। इसलिए वर्ल्ड फूड इंडिया का ये आयोजन और भी अहम हो गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ल्ड फूड इंडिया के परिणाम भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को ‘सूर्योदय क्षेत्र’ के रूप में पहचाने जाने का एक बड़ा उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में सरकार की उद्योग समर्थक और किसान समर्थक नीतियों के कारण इस क्षेत्र ने 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है। प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पीएलआई योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह उद्योग में नए उद्यमियों को बड़ी सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे के लिए एग्री-इंफ्रा फंड के तहत हजारों परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है, जिसमें लगभग 50,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है, जबकि मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे को भी हजारों करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार की निवेशक-अनुकूल नीतियां खाद्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं। पिछले 9 वर्षों में भारत के कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है। इससे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में कुल मिलाकर 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि आज भारत कृषि उपज में 50,000 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के कुल निर्यात के साथ 7वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां भारत ने अभूतपूर्व वृद्धि नहीं की हो। उन्‍होंने कहा कि यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी हर कंपनी और स्टार्ट-अप के लिए यह एक स्‍वर्णिम अवसर है।

वर्ल्‍ड फूड इंडिया का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में तीव्र वृद्धि का कारण सरकार के निरंतर और समर्पित प्रयास रहे हैं। उन्होंने भारत में पहली बार कृषि-निर्यात नीति के निर्माण, राष्ट्रव्यापी लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे के विकास, जिले को वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाले 100 से अधिक जिला-स्तरीय केंद्रों के निर्माण, मेगा फूड पार्कों की संख्या में 2 से बढ़कर 20 से अधिक और भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 200 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गई है जो पिछले 9 वर्षों में 15 गुना वृद्धि को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने भारत से पहली बार निर्यात किए जा रहे उन कृषि उत्पादों का उदाहरण दिया जिनमें हिमाचल प्रदेश से काले लहसुन, जम्मू और कश्मीर से ड्रैगन फ्रूट, मध्य प्रदेश से सोया दूध पाउडर, लद्दाख से कार्किचू सेब, पंजाब से कैवेंडिश केले, जम्मू से गुच्ची मशरूम और कर्नाटक से कच्चा शहद शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने किसानों, स्टार्ट-अप और छोटे उद्यमियों के लिए अनछुए अवसरों के सृजन का जिक्र करते हुए पैकेज्ड फूड की बढ़ती मांग की ओर ध्यान आकर्षित किया। प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की विकास गाथा के तीन मुख्य स्तंभों-छोटे किसान, छोटे उद्योग और महिलाओं का जिक्र किया। उन्होंने छोटे किसानों की भागीदारी और मुनाफा बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में किसान उत्पादन संगठनों या एफपीओ के प्रभावी उपयोग की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम भारत में 10 हजार नए एफपीओ बना रहे हैं, जिनमें से 7 हजार पहले ही बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में 9 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में भोजन की विविधता और खाद्य विविधता भारतीय महिलाओं के कौशल और ज्ञान का परिणाम है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अचार, पापड़, चिप्स, मुरब्बा आदि कई उत्पादों का बाजार अपने घर से ही चला रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाओं में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का नेतृत्व करने की नैसर्गिक क्षमता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए हर स्तर पर कुटीर उद्योगों और स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में जितनी सांस्कृतिक विविधता है उतनी ही खान-पान विविधता भी है। भारत की खाद्य विविधता दुनिया के हर निवेशक के लिए एक लाभांश है। श्री मोदी ने कहा कि जी-20 समूह ने दिल्ली घोषणा-पत्र में दीर्घकालिक कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा पर जोर दिया है और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े सभी भागीदारों की भूमिका का जिक्र किया गया है। उन्होंने बर्बादी को कम करने के लिए उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ाने का आग्रह किया, जिससे किसानों को लाभ हो और कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोका जा सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यहां निकाले गए निष्कर्ष दुनिया के लिए एक स्‍थायी और खाद्य-सुरक्षित भविष्य की नींव रखेंगे।

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