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प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिशूर में किया 55 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा का अनावरण, स्वर्णमंडित गर्भगृह भी किया समर्पित

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केरल में त्रिशूर जिले के श्री सीतारामस्वामी मंदिर में एक हनुमान प्रतिमा का अनावरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां स्वर्णमंडित गर्भगृह भी भगवान श्रीसीताराम, भगवान अयप्पा और भगवान शिव को समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि त्रिशूर को केरल की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है। जहां संस्कृति होती है- वहां परम्पराएँ भी होती हैं, कलाएं भी होती हैं। वहां अध्यात्म भी होता है, दर्शन भी होता है। वहां उत्सव भी होते हैं, उल्लास भी होता है।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि त्रिशूर अपनी विरासत और पहचान को जीवंत बनाए हुए है। श्रीसीताराम स्वामी मंदिर वर्षों से इस दिशा में एक ऊर्जावान केंद्र के रूप में काम करता रहा है। इस मंदिर को अब और भी दिव्य और भव्य रूप दे दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हनुमान जी 55 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा, भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने श्रद्धालुओं को कुम्भाभिषेकम् की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि त्रिशूर और श्रीसीताराम स्वामी मंदिर, आस्था के शीर्ष शिखर पर तो हैं ही, भारत की चेतना और आत्मा के प्रतिबिंब भी हैं। मध्यकाल में जब विदेशी आक्रांता, हमारे मंदिरों और प्रतीकों को ध्वस्त कर रहे थे, तब उन्हें लगा था कि वो आतंक के बलबूते भारत की पहचान को मिटा देंगे। लेकिन वो इस बात से अनजान थे कि भारत प्रतीकों में दिखाई तो देता है, लेकिन भारत जीता है- ज्ञान में। भारत जीता है- वैचारिक बोध में। भारत जीता है- शाश्वत के शोध में। इसीलिए, भारत, समय की दी हुई हर चुनौती का सामना करके भी जीवंत रहा है।

उन्होंने कहा कि यहां श्रीसीताराम स्वामी और भगवान अयप्पा के रूप में भारतीयता और भारत की आत्मा अपने अमरत्व की जयघोष करती रही है। सदियों पहले उस मुश्किल दौर की ये घटनाएं, तब से लेकर आज तक प्रतिष्ठित ये मंदिर, ये इस बात की घोषणा करते हैं कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का विचार हजारों वर्षों का अमर विचार है। आज आजादी के अमृतकाल में हम अपनी विरासत पर गर्व का संकल्प लेकर उस विचार को ही आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमारे मंदिर, हमारे तीर्थ, ये सदियों से हमारे समाज के मूल्यों और उसकी समृद्धि के प्रतीक रहे हैं। मुझे खुशी है कि श्रीसीताराम स्वामी मंदिर प्राचीन भारत की उस भव्यता और वैभव को सहेज रहा है। इस मंदिर के माध्यम से जनकल्याण के अनेकों कार्यक्रम चलाए जाते हैं। मैं चाहूंगा कि मंदिर अपने इन प्रयासों में देश के और भी संकल्पों को जोड़े। श्रीअन्न अभियान हो, स्वच्छता अभियान हो या फिर प्राकृतिक खेती के प्रति जन-जागरूकता, आप सभी ऐसे प्रयासों को और गति दे सकते हैं।’

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