प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आतंकवाद और पर्यावरण परिवर्तन समेत कई वैश्विक समस्याओं का समाधान एशिया के पुराने बातचीत और बहस की परंपरा के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। पीएम मोदी ने वीडियो मैसेज के माध्यम से म्यांमार के यांगून में आयोजित दुनिया भर के धार्मिक विद्वानों और विचारकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कही हैं।
संवाद में सामर्थ्य
पीएम मोदी ने ‘Samvad- Global Initiative on Conflict Avoidance and Environment Consciousness’ के दूसरे संस्करण में कहा है कि संवाद या डायलॉग में सभी तरह के पूर्वाग्रह, विभाजन और संघर्ष को दूर करने का सामर्थ्य है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वो प्राचीन भारतीय सभ्यता से जुड़े हैं जो विवादित विषयों का बातचीत के माध्यम से ही विनम्रतापूर्व हल निकालने में विश्वास करता है। पीएम के अनुसार भारत में तर्कशास्त्र की अवधारणा संघर्ष को बातचीत और बहस के माध्यम से दूर करने पर ही आधारित है।
‘Samvad’ or dialogue is the only way to overcome prejudices, divisions & conflicts. Here is my message. https://t.co/ypeQH1irPZ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 5, 2017
प्रकृति के साथ चलें
पीएम मोदी ने कहा कि धार्मिक रूढ़ीवादिता और भ्रांतियों को भी संवाद के माध्यम से दुरुस्त किया जा सकता है जो विश्व भर में समुदायों को विभाजित करने और संघर्ष उत्तपन्न करने का काम करती हैं। इस अवसर पर उन्होंने हिंदू और बौद्ध दर्शन का जिक्र किया जिसमें प्रकृति को समग्र रूप में देखने की परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अगर प्रकृति के साथ नहीं चलता तो प्रकृति पर्यावरण परिवर्तन के रूप में अपनी प्रतिक्रिया देती है। लोगों को समझना होगा कि प्रकृति का सिर्फ दोहन ही नहीं उसका संरक्षण और संवर्धन भी आवश्यक है। पीएम ने कहा कि ये सिर्फ दार्शनिक विषय नहीं हैं। वर्तमान समय में ये बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। मानवता के लिये इसका उत्तर कई धर्मों, सभ्यताओं और आध्यात्म के अनेक मार्गों में छिपा हुआ है।