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महाराष्ट्र में किसानों की बदहाली, उद्धवकाल में छह हजार से ज्यादा किसानों ने मौत को गले लगाया, कई मुआवजे के भी हकदार थे, पर सरकार ने नहीं दिया

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महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के कार्यकाल में किसानों की आत्महत्या करने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा। शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार के दो साल के कार्यकाल मे ही छह हजार से ज्यादा किसानों और कृषि मजदूरों को सरकार की उपेक्षा के चलते मौत का गले लगाना पड़ा। भारत में आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े भी बताते हैं कि महाराष्ट्र में खुदकुशी करने वाले किसानों की संख्या देशभर में सबसे ज्यादा है। इसके बावजूद उद्धव सरकार कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रही है।

पिछली बीजेपी सरकार ने किया था किसानों का 18 हजार करोड़ कर्ज माफ
जानकारों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा से फसल की बर्बादी और उपज की उचित कीमत नहीं मिलने के किसान परेशान हैं। खेती में नुकसान के बाद उन्हें समय पर सरकारी मदद या फसल बीमा सुरक्षा की राशि नहीं मिलती है। इसके चलते अन्नदाता खुदकुशी के लिए मजबूर हैं। 2017 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार ने 18 हजार करोड़ रुपए का कृषि कर्ज माफ किया था।

सरकार की गलत नीतियों से नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ
दरअसल, किसान उद्धव सरकार की गलत नीतियों, किसानों की उपेक्षा और लापरवाह कार्यशैली से परेशान हैं। इसी कारण किसानों को अपनी फसल स्थानीय व्यापारियों को बेचनी पड़ती है। जिसकी वजह से किसानों को केंद्र सरकार की कृषि सम्मान योजना का फायदा नहीं मिल पाता है। दूसरी तरफ खराब बीज की वजह से भी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। सरकार की यह दोनों योजनाएं किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती थी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

पांच माह में ही एक हजार से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की
मदद और पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टेवार ने शुक्रवार को विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। राज्य में जून से अक्टूबर के बीच 1076 किसानो ने खुदकुशी की। मौत को गले लगाने वाले किसानों में से 491 सरकारी सहायता के योग्य और 213 अयोग्य पाए गए हैं। वडेट्टेवार ने बताया कि मृत किसान के आश्रितों को एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। बड़ा सवाल यही है कि किसान खुदकुशी न करें, इसके लिए क्या उपाए किए जा रहे हैं।

किसानों की मांग, तेलंगाना सरकार का मॉडल लागू करे सरकार
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने कहा कि सिर्फ कर्जमाफी से समस्या नहीं सुलझेगी। किसान को उपज की वाजिब कीमत मिलनी चाहिए। किसानों के हित में काम करने वाले जयाजीराव सूर्यवंशी ने कहा कि तेलंगाना सरकार किसानों को खाद बीज खरीदने के लिए प्रति एकड़ दस रुपए आर्थिक सहायता देती है। तेलंगाना म़ॉडल यहां भी लागू करना चाहिए। इससे किसानों को साहूकारों-माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के चंगुल से निजात मिलेगी। मौसमी मार से फसल खराब हुई तो किसानों पर बोझ नहीं बढ़ेगा।

महाराष्ट्र की कॉटन बेल्ट विदर्भ इलाके में आत्महत्या की दर सबसे ज्यादा
महाराष्ट्र में कपास उत्पादक किसानों की आत्महत्या दर ज्यादा है। जानकारी के अनुसार आधे से ज्यादा किसान विदर्भ इलाके के हैं। जिसे महाराष्ट्र की कॉटन बेल्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस इलाके में 2020 के जनवरी महीने से लेकर नवंबर तक ही तकरीबन 1230 किसानों ने आत्महत्या की थी। मराठवाड़ा के सूखे इलाके वाली जगहों पर 693 किसानों ने आत्महत्या की है। जबकि उत्तर महाराष्ट्र में तब यह आंकड़ा 322 किसानों का रहाएनसीआरबी : अकेले महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र की 38 प्रतिशत मौतें हुईं
वर्ष 2020 में 2019 की अपेक्षा किसानों (किसान और कृषि मजदूर) की आत्महत्याओं के मामले 4 फीसदी और कृषि मजदूरों की आत्महत्या के मामले 18 फीसदी बढ़े हैं। भारत में आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 4,006 आत्महत्याओं के साथ महाराष्ट्र देश में पहले नंबर पर रहा। कृषि क्षेत्र में हुई आत्महत्याओं में अकेले महाराष्ट्र में देश की करीब 38 प्रतिशत मौतें हुईं।

 

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