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सपा के फंड मैनेजर्स पर छापे की पूरी कहानी : ‘तिजोरियों’ की ऐसी पहरेदारी की करंट दौड़ता था, फंड मैनेजरों पर नजर रखने के लिए सामान और होलसेल जैसे कोडवर्ड, पूरे ऑपरेशन का नाम ‘बिग बाजार’

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उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर छापामार कार्रवाई में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का रुदन, विधवा विलाप ही साबित हो रहा है, क्योंकि यह साफ होने लगा है कि जिन लोगों के यहां से अकूत धनराशि जब्त हुई है, वे सपा के फंड मैनेजर के रूप में ही काम कर रहे थे। इन अरबों रुपयों को इस्तेमाल अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा, समाजवादी पार्टी को बड़ी चुनावी रैलियों और विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए फंडिंग करने में होना था।घर की छत पर तारों की फेंसिंग, रात में तारों में करंट दौड़ता था
प्रदेश के अधिकारियों को पता चला है कि घर में इस अकूत धनराशि के लिए तिजोरियों कि पहरेदारी के चौकस इंतजाम थे। घर में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं लेकिन घर के बाहर और छतों पर तारों की फेंसिंग है। रात में तारों में करंट भी दौड़ता था। घर के अंदर काले शीशे लगाए गए हैं। ताकि कोई अंदर की गतिविधियां न देख सके। घर को कभी अकेला भी नहीं छोड़ा जाता था और बेहद सीमित संख्या में लोग आते जाते थे।कहां से आया इतना पैसा, सपा नेताओं पर बन सकता है मनी लॉन्ड्रिंग का केस
सपा के फंड मैनेजर और इत्र कारोबारी पीयूष जैन के लिए सबसे बड़ा सवाल यही होगा कि उनके पास इतनी बड़ी धनराशि कहां से आई? इनका व्यापार क्या इतना बड़ा है? पीयूष जैन को यह साबित करने में मुश्किल हो सकती है। इसलिए ये मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनेगा और इसकी आंच अखिलेश यादव तक पहुंच सकती है। राहुल भसीन के यहां के जो पैसा मिला है, उसमें भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बन सकता है। कई सारे सपा नेता इसकी जद में आ सकते हैं। यह आर्थिक रूप से चुनाव में सपा को कमजोर करेगी और अगर मनी लॉन्ड्रिंग का केस बन गया तो भविष्य में भी अखिलेश यादव को नुकसान हो सकता है।

आयकर अधिकारियों ने ऑपरेशन ‘बिग बाजार’ को कोडवर्ड से अंजाम दिया
आयकर विभाग इन कारोबारियों पर काफी समय से नजरें बनाए हुए था। इसी दौरान टीम को सामान, होलसेल और डिलीवरी जैसे कोडवर्ड की जानकारी मिली। इसके बाद आईटी की टीम ने ये छापेमारी की। इस पूरे ऑपरेशन को ‘बिग बाजार’नाम दिया गया। आयकर विभाग ने इत्र बनाने वाले जैन परिवार के ठिकानों पर छापेमारी की। अब तक उनसे 180 करोड़ रुपए बरामद हुए हैं। नोटों के बंडल इतने ज्यादा हैं कि उन्हें गिनने के लिए मशीनें और रखने के लिए कंटेनर लाना पड़ा। गिनती के लिए SBI के अधिकारियों को भी बुलाया गया। इससे पहले सपा के फाइनेंसर माने जाने वाले जैनेंद्र यादव, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय, मनोज यादव और राहुल भसीन के यहां छापा पड़ा था। इसमें करीब 800 करोड़ रुपए की कर चोरी का पता चला है।फर्जी इनवाइस के खोली कारोबारी और ट्रांसपोर्टर की सांठगांठ की पोल
अधिकारियों के मुताबिक कुछ समय पहले गुजरात में पकड़े गए ट्रकों में मिले फर्जी ई-वे बिल व फर्जी इनवाइस ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन, ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन और शिखर पान मसाला के मालिकान के बीच चल रही सांठगांठ की पोल खोल दी। ट्रकों को पकड़ने के बाद डीजीजीआई की टीम ने लंबे समय तक रेकी की।डायरी ने खोला राज, इसमें लेनदेन, माल सप्लाई आदि का सारा जिक्र
इसके पहले शिखर पान मसाला वालों के यहां और ट्रांसपोर्टर के यहां छापा मारा। यहां से पीयूष जैन के नाम से कई फर्जी बिल मिले। बस यहीं से पीयूष टीम के निशाने पर आ गया। कन्नौज में कार्रवाई के दौरान उसके घर से मिली डायरी ने भी तीनों को घेरने का काम किया। डायरी में इन दोनों के नाम के साथ ही उनसे लेनदेन, माल सप्लाई आदि का भी जिक्र है।

माल लिखा-पढ़ी में कहीं पर, असल में जाता कहीं और
गुजरात में पकड़े गए ट्रकों के बाद पता चला था कि माल लिखा पढ़ी में कहीं और दिखाया जाता था और असल में जाता कहीं और था। इसके बाद से डीजीजीआई की टीम ने निगरानी शुरू कर दी। पूरे सुबूत जुटाने के बाद कार्रवाई की। हालांकि इतने बड़े पैमाने पर कैश मिलने से अफसर भी हैरान हैं। जांच में पता चला कि ज्यादातर कारोबार कैश में किया जाता था। अलग-अलग स्थानों पर जाने वाले माल में कमीशन भी लिया जाता था। हर दिन दिन बड़ी संख्या में ट्रकों की लोडिंग-अनलोडिंग दिखाई जाती थी।विदेशी लेन-देन,  बैंक लॉकरों,  संपत्तियों का भी खुलासा होगा
180 करोड़ से ज्यादा कैश मिलने के बाद इत्र कारोबारी, शिखर पान मसाला के मालिकों और ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन पर और शिकंजा कस सकता है। इत्र कारोबारी का विदेश तक कारोबार फैला है। ऐसे में जांच का दायरा बढ़ने की संभावना है। आयकर और ईडी की जांच शुरू होने पर विदेशी लेन-देन, बैंक लॉकरों, संपत्तियों का खुलासा हो सकेगा। एक समय में शिखर पान मसाला का शहर में बड़ा काम था। काम बढ़ने के बाद नोएडा में शिफ्ट हो गया लेकिन अभी भी शहर में बड़े स्तर पर कारोबार किया जा रहा है।छापों से सपा का चुनाव अभियान चरमराएगा
विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव अपनी विजय रथ यात्रा निकाल रहे हैं। समाजवादी पार्टी को बड़ी चुनावी रैलियां करनी हैं। इतना ही नहीं, पार्टी को अपने उम्मीदवारों को भी चुनाव लड़ने के लिए फंड देना है। समाजवादी पार्टी के फंड मैनेजर उसी के लिए अकूत धन संपदा एकत्रित कर रहे थे। उन पर अंगुलियां इसी लिए उठीं कि धनराशि जमा करने के स्रोत सही नहीं थे। बेनामी तरीकों, फर्जी इनवाइस और लेने देन के चलते ही वे आयकर विभाग और ईडी की नजरों में आ गए थे।

 

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