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राजस्थान का पॉलिटिकल ड्रामा: सोनिया-राहुल के ऑब्जर्वरों के खिलाफ ही गहलोत गुट के विधायकों की खुलेआम बगावत, 70 विधायकों का इस्तीफा, ‘गद्दार’ को सीएम बनाने की चाल नहीं चलने देंगे

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राहुल गांधी की यात्रा लगता है शुभ संयोग में शुरू नहीं हो पाई। तभी तो उनकी यात्रा के दौरान कांग्रेस को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। राजनीतिक हलकों में इसे कांग्रेस छोड़ो यात्रा तक का नाम दिया गया है और अब तो राजस्थान कांग्रेस विधायकों ने सारी हदें ही पार कर दीं। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के फरमान के खिलाफ कांग्रेसी विधायकों ने खुलेआम बगावत कर दी है। कांग्रेस खासकर गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के आदेश मानने से साफ इनकार कर दिया। यही वजह है कि सोनिया-राहुल के दोनों ‘दूतों’ को खाली हाथ ही नहीं, बल्कि एक तरह से अपमानित होकर दिल्ली वापसी करनी पड़ी है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने इसे कांग्रेस विधायकों की अनुशासनहीनता करार दिया है और इसकी रिपोर्ट आलाकमान तो देने की बात कही है, ताकि विधायकों की नाफरमानी पर एक्शन लिया जा सके। इस बीच हालात यहां तक बिगड़े हैं कि आलाकमान को गहलोत-पायलट के बीच तेज हुई सियासी लड़ाई में सुलह के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ की ड्यूटी लगानी पड़ी है।सोनिया-राहुल के दूत बनकर अजय माकन और मल्लिकार्जुन को मुंह की खानी पड़ी
कांग्रेस में अध्यक्ष और राजस्थान में मुख्यमंत्री को लेकर विधायकों से लेकर आलाकमान तक उलझ गया है। दरअसल, कांग्रेस थिंक टैंक गहलोत की जगह दूसरे सीएम की जिस नियुक्ति को मामूली बात समझ रहा था, वह अब लोहे के चने चबाने जैसी हो गई है। सोनिया-राहुल के दूत बनकर जयपुर आए कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन और केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे को मुंह की खानी पड़ी। दरअसल, केंद्रीय नेतृत्व की सीएम अशोक गहलोत से बातचीत के बाद सीएलपी की बैठक के लिए समय और जगह निर्धारित होने के बावजूद गहलोत गुट के कई विधायकों ने इसमें भाग ही नहीं लिया, बल्कि उसी समय समानांतर अपनी बैठक बुला ली।गहलोत समर्थक विधायकों ने प्रभारी और पर्यवेक्षक से मुलाकात तक नहीं की
गहलोत से समय और जगह तय करने के बाद ही दिल्ली से प्रदेश प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खडगे जयपुर के लिए रवाना हुए थे। गहलोत की जगह राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर नेता द्वय को हाईकमान ने भेजा था। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और लग्जरी यात्रा कर रहे राहुल गांधी के निर्देश थे कि हर एक विधायक से व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत कर रायशुमारी ली जाए। इस बातचीत के आधार पर सीएम के नाम को तय करें। लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने पर्यवेक्षकों से मुलाकात ही करने की जरूरत नहीं समझी।सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही कोई विधायक सीएम बने
विधायक दल की बैठक में आने से गहलोत गुट के विधायक साफ ही मुकर गए। इतना ही नहीं, आलाकमान के दूतों के सामने इन विधायकों ने तीन शर्तें भी रख दीं। उन्होंने कहा कि इन शर्तों का पालन अनिवार्य रूप से हो, अन्यथा उनके इस्तीफे तैयार हैं। शर्तें न मानने की स्थिति में गहलोत सरकार गिरने की नौबत आ सकती है। गहलोत गुट के विधायकों की शर्तें थीं….पहली तो यह की दो साल पहले संकट के दौरान सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही किसी विधायक को सीएम बनाएं। दूसरी, सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। तीसरी और आखिरी शर्त के मुताबिक जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही हो।

कांग्रेस के वफादार के लिए ही कुर्सी छोड़ेंगे, किसी गद्दार के लिए नहीं-गहलोत
राजस्थान के कांग्रेस विधायकों ने ही नहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्रीय पर्यवेक्षकों (अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे) को दो टूक जवाब दे दिया। सीएम गहलोत ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया कि वह कांग्रेस के वफादार के लिए कुर्सी छोड़ेंगे, गद्दार के लिए नहीं। फिलहाल गहलोत अपना समर्थन दिखाने और शक्ति प्रदर्शन करने के बाद मामले को ठंडा रखना चाहते हैं। उनके समर्थक कह रहे हैं की कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का फैसला होना चाहिए। मुख्यमंत्री गहलोत को पार्टी अध्यक्ष बनने की संभावनाओं के बीच पायलट को सीएम बनाए जाने की आस जगी थी। लेकिन गहलोत गुट ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर और स्पीकर सीपी जोशी को 70 विधायकों ने इस्तीफे देकर सारे समीकरण उलट दिए।

कांग्रेस से गद्दारी करने वालों को सीएम की कुर्सी देने की चाल नहीं चलने देंगे
इस बीच यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सचिन पायलट का नाम लिए बगैर कहा कि जिस प्रकार से प्रस्ताव पास करवाया जा रहा था। जो तरीका अपनाया गया, उससे साफ लगा कि उन लोगों को कुर्सी पर बैठाया जाएगा, जिन लोगों ने कांग्रेस के साथ गद्दारी की। सवाल इस बात का है कि आप किसी को बना दीजिए, जो 102 विधायक जयपुर और जैसलमेर के होटल में मौजूद थे। धारीवाल ने यह भी कहा कि यह गलत बात है कि गहलोत ने सीएम के लिए सीपी जोशी का नाम लिया है। जोशी ने पहले दिन मना कर दिया था कि मेरा इस पद से कोई लेना देना नहीं है।

अनुशासनहीन विधायकों की रिपोर्ट आलाकमान को देंगे प्रदेश प्रभारी माकन
कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा है कि विधायक दल की बैठक में कांग्रेस विधायकों का नहीं आना अनुशासनहीनता है। इस बैठक के दौरान उन्होंने खुद बैठक बुला ली। ये भी अनुशासनहीनता है और इसकी रिपोर्ट आलाकमान को दी जाएगी। हम देखते हैं कि इन पर क्या एक्शन लिया जा सकता है। हम एक-एक विधायक से मिलकर उनकी राय जानना चाहते थे, लेकिन वे सामूहिक रूप से मिलने पर अड़े रहे। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष से सीएलपी की बैठक बुलाने के निर्देश मिलने और सीएम अशोक गहलोत से संपर्क साधकर बैठक के लिए समय और जगह निर्धारित की गई थी।

 

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