Home समाचार कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में अब राष्ट्रगान अनिवार्य, राष्ट्र प्रेम की अलख जगेगी

कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज में अब राष्ट्रगान अनिवार्य, राष्ट्र प्रेम की अलख जगेगी

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राष्ट्रगान को गाना हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। कर्नाटक सरकार ने स्कूल-कॉलेज में अब रोजाना राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया है। यह एक स्वागतयोग्य कदम है। इससे जहां जनता में राष्ट्रप्रेम की अलख जगेगी वहीं स्कूल-कॉलेज के बच्चे राष्ट्रगान के महत्व से परिचित हो सकेंगे। खेल के मैदान से लेकर राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि हासिल करने पर कई अवसरों पर राष्ट्रगान बजाया जाता है। इन अवसरों पर राष्ट्रगान की धुन बजने पर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि 2011 विश्व कप फाइनल से पूर्व दर्शकों से खचाखच भरे वानखेड़े स्टेडियम में राष्ट्रगान गाना उनके करियर का सबसे गौरवपूर्ण पल था। उन्होंने कहा था कि जब आप ‘जन गन मन’ गा रहे हो तो आपका सिर उंचा होता है लेकिन जब आप मैदान में हजारों दर्शकों के सामने खड़े होकर राष्ट्रगान गाते हैं तो आपका सीना चौड़ा हो जाता है। अब कर्नाटक सरकार की तर्ज पर अन्य राज्य सरकारों को भी स्कूल-कॉलेजों में राष्ट्रगान को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चे राष्ट्रगान का सम्मान करना सीखें।

कर्नाटक के स्कूलों में प्रार्थना के समय राष्ट्रगान गाया जाएगा

कर्नाटक सरकार ने सभी स्कूल और कॉलेजों में रोजाना राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया है। अब राज्य के सभी सरकारी, गैर सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल और कॉलेजों में राष्ट्रगान अनिवार्य रूप से गाना होगा। राष्ट्रगान सुबह सामूहिक तौर पर गाया जाएगा। हालांकि सरकार ने अपने आदेश में मैदान में राष्ट्रगान गाने से छूट देते हुए इसे कक्षाओं के अंदर गाने की बात कही है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू के कुछ प्राइमरी और हाई स्कूलों में मॉर्निंग असेंबली में राष्ट्रगान गाने से परहेज करने के मामले सामने आए थे। इस तरह के मामलों की लगातार शिकायतें मिल रही थी। यही वजह है कि अब कर्नाटक सरकार एक्शन में है। कर्नाटक के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत अब स्कूलों में मॉर्निंग असेंबली में राष्ट्रगान गाने को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में अब सभी स्कूलों को सुबह की प्रार्थना के समय राष्ट्रगान गाना होगा, ताकि नियम का पालन किया जा सके।

कुछ स्कूल राष्ट्रगान के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे थे

शिक्षा मंत्री बी सी नागेश को शिकायत की गई थी कि बंगलुरू के कुछ प्राइवेट स्कूल मॉर्निंग असेंबली दौरान राष्ट्रगान गाने के स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ स्कूल राष्ट्रगान गाने से परहेज कर रहे हैं और कुछ हफ्ते में केवल दो बार गा रहे हैं। राष्ट्रगान पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश का हवाला देते हुए विभाग ने स्कूलों में स्टूडेंट्स को राष्ट्रगान गाना अनिवार्य कर दिया है ताकि राष्ट्रीय गौरव और सम्मान पैदा हो सके। डिप्टी डायरेक्टर पब्लिक इंस्ट्रक्शन के अधिकारियों को नियम का उल्लंघन करने वाले स्कूलों का दौरा करने का काम सौंपा गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि मॉर्निंग असेंबली के दौरान जगह की कमी होने पर स्टूडेंट्स अपनी क्लास में राष्ट्रगान गा सकते हैं।

1975 में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को रोक दिया गया?

1975 से पहले फिल्म के बाद राष्ट्रगान को गाने की परंपरा थी। लेकिन वहां पर लोगों द्वारा इसको उचित सम्मान न देने पर इस पर रोक लगा दी गयी। कुछ वर्षों बाद, फिल्मों के प्रदर्शन से पहले केरल के सरकारी सिनेमाघरों में फिर से राष्ट्रगान को बढ़ावा दिया गया।

2016 में सिनेमाघरों में फिर से अनिवार्य किया गया राष्ट्रगान

वर्ष 2016 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैलसा सुनाते हुए, देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान जन-गण-मन को बजाना फिर से अनिवार्य कर दिया था। सर्वोच्च न्यायलय ने यह फैसला श्याम नरायण चौकसी के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया था। इस आदेश में सर्वोच्च न्यायलय ने यह आदेश भी दिया था कि राष्ट्रगान बजते समय परदे पर राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ अनिवार्य रुप से दिखाया जाना चाहिए और इसके साथ ही राष्ट्रगान के समय हॉल में मौजूद सभी लोगों को खड़ा होना होगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 51(ए) का हवाला देते हुए कहा था कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान में बताए गये आदर्शों का सम्मान करे। हालांकि 30 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान को लेकर अपने पिछले में काफी अहम संशोधन किया। जिसमें कहा गया कि देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि राष्ट्रगान के अनिवार्यता के कारण लोगों से कई जगह पर भेदभाव की घटनाएं सामने आने लगी। कई बार तो सिनेमाघरों में विकलांग तथा बुजर्ग लोगों के ना खड़े हो पाने पर सिनेमाघरों में उनसे भी मारपीट तथा दुर्व्यवहार किया गया।

सर्वोच्च न्यायलय ने 2017 में अपने फैसले को पलट दिया

हिंसा की घटनाओं एवं विवाद की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में अपने फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि लोग सिनेमाघरों में मनोरंजन के लिए जाते है और राष्ट्रगान ना गाने या फिर राष्ट्रगान के समय खड़े ना होने पर यह नही कहा जा सकता है कि कोई व्यक्ति राष्ट्रभक्त नहीं है और मात्र इसके चलते किसी के देशभक्ति पर सवाल नही उठाया जा सकता है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान गाने और बजाये जाने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया। जिसके पश्चात से अब यह सिनेमाघर संचालकों द्वारा तय किया जायेगा कि वह फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाना चाहते हैं या नहीं।

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