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केजरीवाल के शिक्षा मॉडल में भी मुस्लिम तुष्टीकरण, EWS ड्रॉ में 70% बच्चे मुस्लिम, 30% हिंदू

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देश-दुनिया में जाकर दिल्ली के शिक्षा मॉडल का ढिंढ़ोरा पीटने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के झूठ की पोल एक-एक कर खुलती जा रही है। इस साल दिल्ली के सरकारी स्कूलों की कक्षा 9वीं और 11वीं का परीक्षा परिणाम बहुत ही खराब रहा है, दिल्ली के अधिकतर स्कूलों के परीक्षा परिणाम 40% से 50% के बीच ही रहे। यहां तक कि हालत यह हो गई कि शिक्षकों को खुद कॉपी लिखकर छात्रों को पास करना पड़ रहा है। वहीं पिछले साल दिल्ली दसवीं के रिजल्ट में टॉप-10 से बाहर हो गया। एक तरफ दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो रही है वहीं केजरीवाल शिक्षा के मोर्चे पर भी मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे हैं। अब जो नया खुलासा सामने आया है वह चौंकाने वाला है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 70% मुस्लिम समुदाय के बच्चों को दाखिला दिया गया है जबकि हिंदू समुदाय से केवल 30% बच्चों को दाखिला मिल पाया।

दिल्ली शिक्षा घोटालाः ईडब्ल्यूएस के तहत 70% मुस्लिम बच्चों का दाखिला

दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। जिसकी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को मिली है। एनसीपीसीआर को मिली शिकायत में बताया गया है कि ईडब्ल्यूएस के तहत बच्चों के स्कूलों में प्रवेश के लिए जो ड्रॉ निकाला जाता है उसमें भेदभाव होता है। ड्रॉ में 70% बच्चे मुस्लिम समुदाय से हैं, जबकि 30% बच्चे हिंदू समुदाय से हैं।

NCPCR ने दस दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगा

NCPCR ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि शुरुआत में ये पूरा मामला संविधान के अनुच्छेद 15 एवं निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12 (1) (c) का उल्लंघन प्रतीत होता है। एनसीपीसीआर ने शिक्षा विभाग के सचिव को इस बारे में जांच कर दस दिनों के अंदर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

दिल्ली में शिक्षा को केजरीवाल के वादों और सच्चाई पर एक नजर-

दिल्ली के सरकारी स्कूल में कक्षा 9वीं और 11वीं में 50% बच्चे फेल

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की कक्षा 9वीं और 11वीं का परीक्षा परिणाम इस बार बहुत ही खराब रहा है। दिल्ली के अधिकतर स्कूलों के परीक्षा परिणाम 40% से 50% के बीच ही रहे। पास होने से ज्यादा फेल होने वालों की संख्या है। रिजल्ट इतने खराब हुए कि अब शिक्षा निदेशालय की तरफ से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 6 अप्रैल तक रिजल्ट ठीक करने का समय दिया गया है। इससे केजरीवाल के उस दावे की पोल खुल गई जब वह शराब घोटाले में फंसे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की मांग कर रहे थे।

अंक सुधार कर रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा

एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के कक्षा 9वीं और 11वीं के परिणाम अनुमान के मुताबिक नहीं रहे हैं। एक शिक्षक के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों के रिजल्ट 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक ही सीमित रहे हैं। शिक्षा निदेशालय की ओर से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 6 अप्रैल तक का समय दिया गया है। इसके बाद अंक सुधार कर शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर अंकों का विवरण पुनः अपलोड किया जाएगा।

बच्चों को पास कराने के लिए शिक्षक खुद लिख रहे कॉपियां

एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी है कि दोबारा अंकों को अपडेट किए जाने वाले निर्णय को लेकर अब शिक्षकों की ओर से खुद बच्चों को पास कराने के लिए कुछ कॉपिया भी लिखी गई है। इसके अलावा परिणाम को दोबारा बेहतर करने के लिए अब शिक्षकों की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं।

छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखने का शिक्षकों पर दबाव

वेबसाइट बेजोड़ रत्न के मुताबिक, बाहरी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि स्कूलों का नौवीं और 11वीं का परिणाम बहुत खराब आया है। हालत ये हैं कि 96 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हुए हैं। 60 बच्चों की कक्षा में केवल चार से पांच बच्चे ही पास हैं। फेल छात्रों की इतनी बड़ी संख्या देखकर प्रधानाचार्य भी चकित हैं। अब शिक्षा निदेशालय की ओर से परिणाम जारी हो जाने के बाद छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया गया है। शिक्षकों का आरोप है कि प्रधानाचार्य अपने स्कूल के नौवीं और 11वीं के खराब परिणाम के चलते शिक्षा विभाग की नजर में न आएं और इन पर कोई खराब परिणाम आने का सवाल न उठाएं, इसके लिए शिक्षकों पर छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखकर दोबारा कापी जांच कर उनको पास करने का दबाव बनाया जा रहा हैं।

छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आए

नई दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उनकी कक्षा में अंग्रेजी विषय में अधिकतर छात्र आठ से दस अंकों से फेल हैं। कई छात्रों ने उत्तरपुस्तिका के पन्नों को खाली छोड़ रखा है। कई छात्रों ने उत्तर ही गलत लिखे हैं। छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आए हैं। अब शिक्षा निदेशालय ने जब छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दे दिया तो प्रधानाचार्य उन पर ज्यादा से ज्यादा छात्रों को पास करने का दबाव बना रहे हैं।

केजरीवाल ने की थी शिक्षा में सुधार के लिए भारत रत्न की मांग

केजरीवाल ने सिसोदिया को आजाद भारत और दुनिया का सबसे बेहतर शिक्षा मंत्री बताया था। उन्होंने एक बार कहा था- जिस व्यक्ति को पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था सौंप देनी चाहिए। जिस व्यक्ति ने 5 साल के अंदर करिश्मा करके दिखा दिया, मौजूदा रवायती पार्टियां जो 70 साल में नहीं कर पाई वह 5 साल में कर दिया, जिस व्यक्ति ने सरकारी स्कूलों को शानदार बना दिया। ऐसे व्यक्ति को तो भारत रत्न मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री को बुलाना चाहिए, कि जो भी पार्टी हो, पार्टीबाजी थोड़ी करनी है, देश का विकास करना है, मनीष जी बैठिए बताइए कैसे शिक्षा व्यवस्था ठीक करनी है।

स्कूल खूले – 0, शराब के ठेके खूले – 850

केजरीवाल के सिसोदिया को भारत रत्न दिए जाने की मांग के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सिसोदिया के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का भी खुलासा किया। लोगों का कहना है कि सिसोदिया को भारत रत्न नहीं, भ्रष्टाचार करने के लिए लानत रत्न मिलना चाहिए। सिसोदिया ने दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खोला। यहां तक कि स्कूल के कमरे बनवाने में भ्रष्टाचार किया। स्कूल का एक कमरा बनवाने में 25 लाख रुपये खर्च किए। जबकि कमरा इससे कम में बन सकता था। वहीं शराब ठेके से तुलना करते हुए लोग कह रहे हैं कि दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खुला, लेकिन शराब के 850 ठेके खुल गए।

केजरीवाल के राज में अध्यापक जूता पॉलिस करने के लिए मजबूर

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 12 कॉलेजों में से एक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापक जनवरी 2023 में सड़कों पर थे। कॉलेज के प्रोफेसरों ने कॉलेज के बाहर ही दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने और अपनी बदहाली पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लोगों के जूते पॉलिश किए। दिल्ली सरकार द्वारा इस कॉलजे का शत-प्रतिशत वित्तपोषण किया जाता है। लेकिन सरकार का खजाना खाली होने से कॉलेज के शिक्षकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा।

दिल्ली शिक्षा मॉडल में भुखमरी के कगार पर पहुंचे कॉलेज अध्यापक

सम्मानजनक पेशे से जुड़े अध्यापक खुद को एकदम बेबस और अपमानित महसूस कर रहे हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इससे परेशान अध्यापकों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर बखान करने वाली दिल्ली सरकार ने उन्हें भुखमरी के कगार पर ला दिया है। दिल्ली सरकार को बजट की समस्या से हो रही है जिसकी वजह से उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। सरकार सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रही है।

डीडीए ने 13 जगह भूमि आवंटित की, एक पर भी स्कूल नहीं बना

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पिछले 8 वर्षों में शहर में स्कूलों के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार को 13 जगह भूमि आवंटित की, लेकिन अब तक इन पर एक भी स्कूल नहीं बनाया गया। जानकारी के अनुसार, उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने हाल ही में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकृष्ट किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1,600 और 8,000 वर्ग मीटर के बीच के 13 भूखंडों को डीडीए द्वारा दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय को आवंटित किया गया था। वर्ष 2015 और अगस्त 2022 के बीच 13 भूखंड आवंटित किए गए। इन भूखंडों में सबसे छोटा, 1,600 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, जो उत्तरी दिल्ली में शाही ईदगाह में स्थित है और सबसे बड़ा वसंत कुंज में 8,093.72 वर्ग मीटर है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि सभी भूखंड वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के निर्माण के लिए आवंटित किए गए थे, लेकिन इनमें से एक भी काम शुरू नहीं हो पाया।

वर्ष 2015 में गीता कालोनी और वसंत कुंज में आवंटित किए गए थे दो प्लाट

डीडीए ने पहला प्लॉट 3 जुलाई 2015 को गीता कॉलोनी में और दूसरा उसी साल 15 अक्टूबर को वसंत कुंज में आवंटित किया गया था। आने वाले वर्षों में दो और भूखंड आवंटित किए गए – एक 18 दिसंबर, 2018 को शाही ईदगाह में और 3 मार्च, 2021 को रोहिणी में। इसके अलावा शालीमार बाग, रोहिणी और नरेला जैसे क्षेत्रों में भूमि आवंटित किए गए थे। वर्ष 2022 की बात करें तो जनवरी 2022 में एक भूखंड आवंटित किया गया था, जबकि दो फरवरी में सौंपे गए थे वहीं अगस्त के महीने में छह भूमि आवंटित किए गए। अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों या उनके आसपास के क्षेत्रों में भूखंड आवंटित करने का उद्देश्य वहां शिक्षा को बढ़ावा देना सुनिश्चित करना था। उपराज्यपाल ने 13 जनवरी 2023 को बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाया था।

दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर की नियुक्ति में बड़ा घोटाला

दिल्ली में 25 हजार गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति प्रक्रिया पर अब सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में किए गए एक ऑडिट में हेराफेरी का मामला सामने आया है। इसमें पाया गया कि दिल्ली के मानसरोवर पार्क के सीनियर सेकेंडरी स्कूल (GBSSS-I) में गेस्ट टीचर्स के नाम पर तीन लोगों को 4 लाख 21 हजार रुपए सैलरी दी गई, जबकि इनकी नियुक्ति इस स्कूल में थी ही नहीं। सक्सेना ने पैसे के गबन के मामले में पिछले हफ्ते ही दिल्ली सरकार के एक स्कूल के चार वाइस प्रिंसिपल के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) कर रही है।

भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ा शहीद भगत सिंह सैनिक स्‍कूल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 अगस्त, 2022 को दिल्ली के झरोदा कलां में शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल का उद्घाटन किया। यह दिल्ली का पहला सैनिक स्कूल है। लेकिन इस स्कूल के खुलने की पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है। केजरीवाल सरकार ने अपनी ही आम आदमी पार्टी की नेता श्रीशा राव को कंपनी खुलवाकर ठेका दे दिया। हैरानी की बात यह है कि अभी कंपनी के खुले हुए दो महीने भी नहीं हुए थे और कंपनी के पास सैनिक स्कूल के प्रबंधन का कोई अनुभव भी नहीं था, फिर भी दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की मेहरबानी से सरकारी खजाने को लूटने का ठेका मिल गया।

आम आदमी पार्टी का 2000 करोड़ का शिक्षा घोटाला, आरटीआई से हुआ खुलासा

कुछ समय पहले दिल्ली के शिक्षामंत्री रहे मनीष सिसोदिया का एक घोटाला सामने आया था। ये घोटाला स्कूलों के निर्माण से जुड़ा है। दरअसल एक आरटीआई में ये खुलासा हुआ है कि एक स्कूल का कमरा 24,85,323 रुपए में बनाया गया है। आरटीआई से पता चला है कि 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए हैं। लोग केजरीवाल और सिसोदिया से ये सवाल पूछ रहे हैं कि एक कमरे की लागत में 24 लाख रुपये कैसे हो सकती है। क्या केजरीवाल जी ने कमरे में सोने की टाइल्स लगवाईं हैं?

दिल्ली के अधिकांश सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं, 84 प्रतिशत पद खाली

देश की राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस-प्रिंसिपल और शिक्षकों के ढेरों पद खाली हैं। इससे दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के अधिकतर स्कूल कई सालों से बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं। स्वयं दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, शहर के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 84 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए प्रिंसिपल के कुल 950 पद स्वीकृत हैं जिसमें से अब तक केवल 154 ही भरे गए हैं, जबकि 796 पद खाली हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ज्यादातर स्कूल को वाइस-प्रिंसिपल चला रहे हैं। हालांकि, इन स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल की भी भारी कमी है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल के कुल 1,670 पद हैं और इनमें से 565 पद अभी भी खाली हैं।

दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों के 33 प्रतिशत पद खाली

शिक्षकों को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 65,979 पदों में से सिर्फ 21,910 को ही भरा जा सका। यानी की इन स्कूलों में अभी भी शिक्षकों के लगभग 33 प्रतिशत पद खाली हैं। दिल्ली सरकार ने इन रिक्तियों के कारण आए अंतर को 20,408 अतिथि शिक्षकों से जरूर भरा है, लेकिन इसके बाद भी इन स्कूलों में अभी 1,502 शिक्षकों की कमी है।

दिल्ली के स्कूलों में TGT के 13,421 और PGT के 3,838 पद खाली

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में ट्रेन्ड ग्रेजुएट टीचर्स (TGT) के कुल 33,761 पदों में से 13,421 खाली हैं, जबकि 20,340 पद भरे जा चुके हैं। वहीं पोस्ट ग्रेजुएट टीचर्स (PGT) की अगर बात करें तो कुल 17,714 पदों में से 13,886 पद भरे गये हैं और 3,838 पद अभी भी खाली हैं। बता दें कि TGT पास शिक्षक कक्षा 10 तक के छात्रों को पढ़ाते हैं, जबकि PGT पास शिक्षक कक्षा 12 तक के छात्रों को पढ़ाते हैं।

केजरीवाल का शिक्षा मॉडल : दसवीं की टॉप 10 रैंकिंग से दिल्ली बाहर

दिल्ली में सरकारी स्कूलों के दसवीं का रिजल्ट 81.27 प्रतिशत रहा है, जो देश के ओवरऑल 94.40 प्रतिशत से काफी कम है। दिल्ली ना सिर्फ रिजल्ट बल्कि रैंकिंग के मामले में काफी नीचे आ गई है। दसवीं की रैंकिंग में दिल्ली टॉप 10 से बाहर हो गई है। दिल्ली को 15वें नंबर से संतोष करना पड़ा है। नोएडा और पटना रैंकिंग में दिल्ली से आगे हैं। इतना ही नहीं इस बार दिल्ली 10वीं और 12 वीं दोनों की रैंकिंग में टॉप तीन से बाहर है। ये है केजरीवाल के शिक्षा का दिल्ली मॉडल।

केजरीवाल की कारस्तानी, स्कूली बच्चों से मांगी माता-पिता के मोबाइल नंबर और वोटर आईडी की जानकारी

दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्लीवासियों की सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें सिर्फ अपनी राजनीति की ही फिक्र है। अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए केजरीवाल कुछ भी करने पर आमादा हैं। कुछ दिन पहले ही केजरीवाल की सरकार ने ऐसा कारनामा किया, जिसके बारे में कभी कोई सोच भी नहीं सकता। केजरीवाल ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए स्कूली बच्चों को भी मोहरा बना दिया। मुख्यमंत्री केजरीवाल के निर्देश पर दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को अजीबोगरीब फरमान जारी किया था। इस फरमान के मुताबिक स्कूली बच्चों से उनके माता-पिता और दूसरे परिजनों की मोबाइल नंबर और वोटर आईडी की जानकारी मांगी गई थी।

स्कूल में एडमिशन नहीं, भेज दिया बधाई पत्र

दिल्ली के स्कूलों में इडब्ल्यूएस कोटे के तहत बच्चों का नामांकन कराना आसान नहीं है। नामांकन कोटे के तहत एडमिशन का श्रेय दिल्ली सरकार खुद को दे रही है। मुख्यमंत्री का दावा है कि उनके कारण स्कूलों में इडब्ल्यूएस कोटे के तहत गरीब परिवार के बच्चों का एडमिशन हो रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार एक चार साल की बच्ची को दाखिला के लिए अरविंद केजरीवाल का बधाई पत्र मिला है। आमतौर पर मुख्यमंत्री का बधाई संदेश आता है तो पूरा परिवार हर्ष और उल्लास से भर जाता है, लेकिन यह परिवार गुस्से में है। अंजलि चार साल की है। उसके पिता ने काफी दौड़-भाग की, लेकिन स्कूल वालों ने नाम वेटिंग लिस्ट में डाल दिया। अब जले पर नमक छिड़कने के लिए अरविंद केजरीवाल का बधाई पत्र आ गया।

7 जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए नहीं दी जमीन

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने केजरीवाल पर दिल्ली के लोगों के आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगया। उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल सरकार ने जवाहर नवोदय विद्यालयों के लिए जमीन आवंटन का मामला चार सालों से लटका रखा है। मालवीय ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। उन्‍होंने कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के लोगों से झूठ बोलते रहते हैं, उनकी आंखों में धूल झोंकते रहते हैं। आज उन्होंने एक बॉलीवुड सेलिब्रिटी को ‘देश के मेंटर’ प्रोग्राम का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया। इस अभियान को अभी लॉन्च किया जाना है। क्या सीएम ने उन्हें बताया कि उन्होंने 2016-17 से दिल्ली में 7 जेएनवी के लिए जमीन आवंटित नहीं की है? केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से मनोज तिवारी को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए मालवीय ने यह ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि 2016-17 के दौरान देशभर में 62 नए जवाहर नवोदय विद्यायल स्‍वीकृत किए गए थे। इनमें से 7 नए नवोदय विद्यालय दिल्‍ली के तहत स्‍वीकृत किए गए थे। हालांकि, दिल्‍ली सरकार की ओर से इन नवोदय विद्यालयों की स्‍थापना के लिए जरूरी भूमि और स्‍थायी आवास उपलब्‍ध न कराए जाने से ये विद्यालय शुरू नहीं हो पाए। इससे पता चलता है कि केजरीवाल सरकार शिक्षा को लेकर कितना संजीदा है।फिलहाल राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्‍ली में दो जवाहर नवोदय विद्यालय चल रहे हैं।

पकड़ा गया केजरीवाल का झूठ, दिल्ली सरकार ने नहीं शुरू किया देश का पहला वर्चुअल स्कूल

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 31 अगस्त, 2022 को ट्वीट कर कहा कि आज शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति की शुरुआत हो रही है। आज देश का पहला वर्चुअल स्कूल दिल्ली में शुरू। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आगे कहा कि हमें बाबा साहब का सपना पूरा करना है, देश के हर बच्चे तक अच्छी शिक्षा पहुंचानी है, दिल्ली के डिजिटल स्कूल में नौवीं क्लास के लिए एडमिशन शुरू हो गए हैं। इस वेबसाइट DMVS.ac.in पर जाकर बच्चे एडमिशन ले सकते हैं। जब अरविंद केजरीवाल के इस दावे की पड़ताल की गई, तो यह पूरी तरह से झूठा नकला। दरअसल दिल्ली में खोला गया वर्चुअल स्कूल देश का पहला वर्चुअल स्कूल नहीं है। सबसे पहले 2020 में बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में देश के पहले वर्चुअल स्कूल की शुरुआत की थी। इस स्कूल के जरिये भारतीय ज्ञान परंपरा, वैदिक गणित, विज्ञान, भारतीय शास्त्रीय संगीत, संस्कृति, कला और परंपराओं की शिक्षा दी जा रही है। वर्चुअल होम स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम में अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के लोग वर्चुअली जुड़े हुए थे।

केजरीवाल सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती VIDEO

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया लगातार दावा कर रहे हैं कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को सुधार दिया है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दिल्ली में 1100 से ज्यादा स्कूल हैं लेकिन ज्यादातर स्कूलों की हालत खराब है। अरविद केजरीवाल ने अपने मैनिफेस्टो में दावा किया था कि वे 500 नये और 20 नये कॉलेज खोलेंगे लेकिन पांच साल खत्म होने के बाद भी आज तक एक भी न तो स्कूल और न ही एक भी कॉलेज खोला जा सका है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार के स्कूलों में शिक्षको की भारी कमी है। गेस्ट टीचर्स की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। केजरीवाल सरकार के दावों और हकीकत को आप इस वीडियो के जरिए समझ सकते हैं।

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