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Congress Files: एपिसोड 4 में देखिए- कॉमनवेल्थ गेम में कांग्रेस के खेल की कहानी…

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गांधी परिवार की अगुवाई वाली कांग्रेस पार्टी का घोटालों के साथ चोली दामन का साथ रहा है। घोटालों की लिस्ट देखी जाए तो ऐसा लगता है कि कांग्रेस और उसके नेता घोटाले करने के लिए ही बने हैं। सत्ता में रह कर आम जनता का गाढ़ी कमाई को लूटना और अपनी तिजोरी भरना, पार्टी का यही काम रहा है। कांग्रेसी शासन काल में हुए भ्रष्टाचार और घोटालों को सामने लाने के लिए बीजेपी ने Congress File नाम से एक वीडियो सीरीज शुरू किया है। इस सीरीज के चौथे एपिसोड में कांग्रेसी राज के दौरान हुए कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले का जिक्र किया गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इसमें करीब 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों के साथ दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा नाम आया।

चौथा एपिसोड
5 अप्रैल, 2023
चौथे एपिसोड में वर्ष 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के बारे में बताया गया है। इस वीडियो में कहा गया है कि किस तरह से कांग्रेस ने कॉमनवेल्थ गेम्स की आड़ में घोटाले का खेल किया। इससे देश को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान तो हुआ ही, दुनियाभर में देश की छवि भी खराब हुई।
देखिए वीडियो-

तीसरा एपिसोड
4 अप्रैल, 2023
तीसरे एपिसोड में बीजेपी ने वर्ष 2012 के कोयला घोटाले का जिक्र किया। इस वीडियो में कहा गया है कि कोयला दलाली में कांग्रेस का हाथ ही काला नहीं हुआ था, बल्कि कांग्रेस की यूपीए सरकार पर कालिख भी पुत गई थी।
देखिए वीडियो-

दूसरा एपिसोड
3 अप्रैल, 2023
बीजेपी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासनकाल में हुए घोटालों पर कांग्रेस फाइल्स के दूसरे एपिसोड में यश बैंक के तत्कालीन चेयरमैन राणा कपूर पर दबाव डालकर दो करोड़ रुपये की पेंटिंग खरीदने का मुद्दा उठाया गया है। इस एपिसोड में बीजेपी ने बताया है कि किस तरह से राणा कपूर को प्रियंका गांधी से एमएफ हुसैन की एक पेंटिंग दो करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मजबूर किया गया। इन रुपयों का इस्तेमाल कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के इलाज में किया गया। राणा कपूर ने यह भी माना कि तत्कालीन पेट्रोलिया मंत्री मुरली देवड़ा ने यह कहा था कि अगर उन्होंने पेंटिंग खरीदने से मना किया तो गांधी परिवार के साथ उनके रिश्ते खराब होंगे। मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा ने भी इस पेंटिंग को खरीदने के लिए राणा कपूर पर लगातार दबाव बना रहे थे।
देखिए वीडियो-

पहला एपिसोड
2 अप्रैल, 2023
बीजेपी ने 2 अप्रैल को Congress File नाम से एक वीडियो सीरीज शुरू करते हुए यूपीए सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार और घोटालों पर जमकर निशाना साधा। ट्विटर पर जारी 3 मिनट 3 सेकेंड के इस वीडियो के पहले एपिसोड में कांग्रेसी राज के दौरान हुए 48,20,69,00,00,000 यानी 48 खरब 20 अरब रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है। वीडियो में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान हुए कोयला घोटाला, 2जी घोटाने, कॉमनवेल्थ गेम घोटाले, वीवीआईपी हेलीकाप्टर खरीद घोटाले का जिक्र है। बीजेपी का कहना है कि इन रुपयों से विकास के ना जाते कितने काम किए जा सकते थे। इतने रुपयों में 24 आईएनएस विक्रांत, 300 राफेल विमान और 1000 मंगल मिशन बनाए या खरीदे जा सकते थे। कांग्रेस के इन घोटालों की कीमत देश को चुकानी पड़ी और हमारा देश पिछड़ता चला गया। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार भ्रष्टाचार और घोटालों की सरकार बन गई थी, लेकिन मनमोहन सिंह खामोश रहे।

देखिए वीडियो-

देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत हुए घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म ही नहीं होती।

जानिए सोनिया-राहुल के साथ किस तरह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा है नेहरू-गांधी परिवार

नेशनल हेराल्ड स्कैंडल
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में  कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरू ने 5000 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। जवाहर लाल नेहरू के साथ सभी 5000 स्वतंत्रता सेनानी इस कंपनी के शेयर होल्डर थे। शुरुआत से ही इस कंपनी में कांग्रेस और गांधी परिवार के लोग हावी रहे। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। करीब 70 साल बाद कांग्रेसी शासनकाल में कांग्रेस से मिले 90 करोड़ रुपये लोन के बावजूद घाटे के कारण एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए।

मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने 5 लाख रुपये की लागत से ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं, जबकि मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं। दोनों ही कांग्रेसी नेता अब इस दुनिया में नहीं हैं। कंपनी बनने के बाद यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) ने नेशनल हेराल्ड को चलाने के लिए ‘एजेएल’ के 90 करोड़ की देनदारियों का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया। यानी एक तरह से लोन चुकाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। इसके बाद एजेएल के 10-10 रुपए के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ को दे दिए गए। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडिया को इस कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर मिल गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का लोन चुकाना था। लेकिन राहुल-सोनिया की यंग इंडिया लिमिटेड ने सिर्फ 50 लाख रुपए का ही भुगतान किया था कि गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने एजेएल के बाकी बचे 89.50 करोड़ रुपए का लोन माफ कर दिया। लोन माफ करते ही सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया।

गांधी परिवार पर इस संपत्ति का अवैध रूप से अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के कई शहरों में नेशनल हेराल्ड अखबार के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की मौजूदा कीमत करीब 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है।

गांधी परिवार के लिए चित्र परिणाम

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।

बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।

वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर  भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।

मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।

मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।

आइए अब डालते हैं एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-

कोयला घोटाला 1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला 70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला 35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला 1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला 3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला 14 करोड़ रुपये

 

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