केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार की एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि ये सरकार अपनी कई योजनाओं के लिए निर्धारित रफ्तार से भी तेज गति से काम कर रही है। सरकार की कोशिश है कि किसी योजना को अगर तय समयसीमा से भी पहले ही पूरा किया जा सकता है तो उसमें जान-बूझकर देरी ठीक नहीं। योजना का फायदा देशवासियों के हाथों में जितना ही तेज पहुंचेगा देश के विकास की रफ्तार में उतनी ही तेजी आएगी।
तेज रफ्तार में उज्ज्वला योजना
ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने वाली उज्ज्वला योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से की थी। 23 सितंबर 2017 को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधानमंत्री ने गुजरात में गांधीनगर के मोटा इशानपुर गांव में इस योजना का 3 करोड़वां कनेक्शन प्रदान किया। हिसाब लगाएं तो तय समयसीमा का अभी आधा हिस्सा भी खत्म नहीं हुआ है लेकिन लक्ष्य का 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है। उज्ज्वला योजना के तहत 3 साल में 5 करोड़ मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन बांटे जाने हैं।
और अब ‘उज्ज्वला प्लस’ की तैयारी
उज्ज्वला योजना के साथ ही मोदी सरकार अब उज्ज्वला प्लस योजना के लिए भी जुट गई है। इस योजना के तहत सरकार उन गरीब परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देगी जो उज्ज्वला योजना के दायरे में नहीं आते। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि इसके लिए सरकार देश के दानदाताओं के अलावा विदेश में बसे भारतीयों से भी आर्थिक मदद लेने की तैयारी कर रही है। सरकार दानदाताओं को आयकर में छूट पर विचार कर रही है। इन सबके साथ ही खाना पकाने में गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार एलपीजी पंचायतें भी आयोजित करने में लगी हैं।
तेज गति से हो रहा गांवों का बिजलीकरण
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत मोदी सरकार ने 18,452 उन गांवों का 1000 दिनों के भीतर विद्युतीकरण का लक्ष्य रखा था जहां बिजली नहीं पहुंची थी। गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से अब तक 15,466 गांवों का विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है। यह योजना 25 जुलाई 2015 को लॉन्च की गई थी। इस तरह से यह योजना भी अपनी तय समयसीमा को पूरा करने की अपनी औसत रफ्तार से ज्यादा तेज चल रही है।
एक वो दौर था, एक ये दौर है
केंद्र की योजनाओं का हश्र देशवासी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौर में देख चुके हैं। एक तो जनता की जरूरतों पर खरा उतरने वाली योजनाएं नहीं के बराबर होती थीं। एकाध जो होती भी थीं, वो आरामतलबी की रफ्तार से चल रही होती थीं। तस्वीर साफ है कि शासन के तौरतरीके 360 डिग्री के साथ बदल चुके हैं।