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मोदी सरकार ने दी महिलाओं को बड़ी राहत, अब छठे महीने में भी करा सकेंगी गर्भपात

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार महिलाओं के हित में लगातार काम कर रही है। कई ऐसे फैसले लिए गए, जिनसे ना सिर्फ महिलाओं का सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण हुआ, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को भी बढ़ावा मिला है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने महिलाओं को एक बड़ी राहत दी है। सरकार ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (संशोधित) 1971 को मंजूरी दी है, इसके अंतर्गत गर्भपात की उपरी सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट मीटिंग की जानकारी देते हुए बताया, ‘महिलाओं की मांग थी, डॉक्टर की सिफारिश थी, कोर्ट का आग्रह था। इसके कारण 2014 से सभी स्टेक होल्डर्स के साथ चर्चा शुरू हुई। इसके बाद गडकरी जी की अध्यक्षता में एक ग्रुप ऑफ मीनिस्टर्स बना और फिर ये बिल आज कैबिनेट ने पास किया जो अभी संसद में जाएगा।”

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहले 20 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमित थी। अब यह 24 सप्ताह (6 महीने) कर दिया गया है। 6 महीने तक का गर्भ गिराना है तो उसमें 2 डॉक्टरों की अनुमति लेनी होगी। जिनमें से एक सरकारी डॉक्टर होगा। महिलाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण कदम हैं। दुनिया में बहुत कम देशों में इस तरह का कानून है और आज भारत भी इस सूची में शामिल हो गया है।

एमटीपी नियमों में संशोधन के जरिए महिलाओं को परिभाषित किया जाएगा। इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी। जावड़ेकर ने कहा कि 20 सप्ताह में गर्भपात कराने पर मां की जान जाने के कई मामले सामने आए हैं, 24 सप्ताह में गर्भपात कराना सुरक्षित होगा। इस कदम से बलात्कार पीड़िताओं और नाबालिगों को मदद मिलेगी।

महिलाओं के लिए उपचारात्मक, मानवीय या सामाजिक आधार पर सुरक्षित और वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिए गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2020 लाया जा रहा है। संशोधित कानून में कहा गया है कि जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है उनका नाम और अन्य जानकारियां उस वक्त कानून के तहत निर्धारित किसी खास व्यक्ति के अलावा किसी और को नहीं दी जाएंगी।

वैसे तो गर्भपात करवाना उतना ही सामान्य है जितना गर्भधारण करना। लेकिन गर्भपात कानून की वजह से बहुत सी महिलाएं चाहकर भी गर्भपात नहीं करवा सकतीं। मौजूदा MTP act (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट) 1971 के तहत कोई भी महिला 20 हफ्ते (5 महीने) तक गर्भपात करवा सकती है। लेकिन गर्भ अगर 20 हफ्ते से ऊपर हो तो कोर्ट की इजाजत से ही गर्भपात कराया जा सकता है। अदालत ही निर्णय लेगी कि गर्भपात होना चाहिए या नहीं।

अदालत ने इससे पहले कई ऐसे फैसले दिए हैं जिनपर बहस हुई। कभी तो अदालत के फैसले स्वागत योग्य थे तो कभी उन फैसलों पर सवाल उठे। लेकिन ऐसे में सवालों के घेरे में गर्भपात कानून आया जिसके संशोधन की मांग तेजी से उठी। इसको देखते हुए मोदी सरकार ने गर्भपात की उपरी सीमा बढ़ाने का अहम फैसला लिया। गर्भपात कानून में संशोधन महिलाओं के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है।

अगर महिला को गर्भवती होने का अधिकार है, अपने शरीर पर अधिकार है तो गर्भपात करवाना है या नहीं करवाना इसका भी अधिकार महिला के पास होना चाहिए। बच्चे को जन्म देना ही सबकुछ नहीं होता बल्कि बच्चे की सही परवरिश और पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी महिला पर होती है। ऐसे में अगर वो इस जिम्मेदारी का जीवन भर पालन करने की स्थिति में नहीं है तो उसे गर्भपात की इजाजत मिलनी ही चाहिए। मोदी सरकार द्वारा गर्भपात संबंधी कानून में किए गए संशोधन से महिलाओं का जीवन सरल हो सकता है। ये फैसला महिलाओं के हित में भी है और उनकी सुरक्षा के लिए जरूरी भी। यह महिलाओं की सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है और इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। 

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