Home विशेष अनुसूचित जाति और जनजातियों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार

अनुसूचित जाति और जनजातियों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ चल रही है। बीते साढ़े पांच वर्षों से ज्यादा के वक्त में मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए कई ऐसी योजनाओं को लागू किया है, जिनसे समाज के ये वर्ग विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। मोदी सरकार ने हर साल एससी/एसटी के कल्याण के लिए आम बजट में जहां बढ़ोतरी की है, वहीं उनकी आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थित को मजबूत करने के लिए कई बड़े फैसले भी लिए हैं।

2020-21 के बजट में एससी/एसटी के लिए बंपर आवंटन

मोदी सरकार ने वर्ष 2020-21 के आम बजट में अनुसूचित जाति और जनजातियों के कल्याण की योजनाओं को संचालित करने के लिए 1 लाख 18 हजार करोड़ रुपये का बंपर आवंटन किया है। बजट में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ी जाति के लोगों के विकास के लिए जहां करीब 85 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, वहीं अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए 53 हजार 700 करोड़ रुपये का आवंटित किए गए हैं। यह पैसा आदिवासियों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार की विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के द्वारा खर्च किया जाएगा। जाहिर है कि इस बार के बजट में एससी/एसटी और पिछड़ा वर्ग को कुल मिलाकर 1 लाख 38 हजार 700 करोड़ रुपए का फंड मिला है।

दलित और आदिवासी विद्यार्थियों में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहन

मोदी सरकार ने दलित विद्यार्थियों में प्रथामिक से लेकर उच्च शिक्षा तक सहूलियत के लिए कई प्रावधान किए हैं। सरकार ने इस बार के बजट में दलित विद्यार्थियों में उच्च शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाली मुख्य योजना, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप अनुसूचित जाति में 2987.33 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं दलितों के शैक्षणिक कल्याण की अन्य योजना प्री मैट्रिक स्कालरशिप में सरकार ने 115 करोड़ के बजट से बढ़ाकर के 700 करोड़ रुपये किया है। इसी प्रकार आदिवासियों के शैक्षणिक कल्याण से जुड़ी योजनाओं में सरकार ने बढ़ोतरी की है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में पिछले वर्ष 1826 करोड़ का प्रावधान था, उसको 1900 करोड़ रुपये किया गया है। प्री मैट्रिक स्कालरशिप में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

केंद्र की मोदी सरकार एससी एसटी समाज के लोगों के हितों की रक्षा करने का संकल्प कई बार व्यक्त कर चुकी है। आइये मोदी सरकार के एससी/एसटी के कल्याण के कार्यों को देखते हैं-

एससी एसटी एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल किया

मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 यानी एससी एसटी एक्ट के मूल प्रावधानों को बहाल करने का काम किया है। जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट 1989 से जुड़े एक अहम फैसला में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न की जाए और अग्रिम जमानत को मंजूरी दी जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ देशभर में दलितों ने आंदोलन किया था। मोदी सरकार ने अदालत के इस फैसले को पलट दिया। केंद्र सरकार का स्पष्ट कहना है कि सरकार एससी-एसटी लोगों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अब अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के केस में एफआईआर दर्ज करने से पहले कोई प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी। अभियुक्‍त की गिरफ्तारी करने के लिए कोई पूर्व अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

दलितों को उद्योग-धंधे लगाने के लिए सहायता– प्रधानमंत्री मोदी ने दलित समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं की तरह मुद्रा योजना की भी शुरुआत की। 31 मार्च 2019 तक दलितों के लिए 4,04,58,874‬ मुद्रा खाते खुले। इस माध्यम से दलित समुदाय के लोगों को 1,20,616‬ करोड़ का लोन आवंटित किया गया। साथ में ही उद्यमियों को हर संभव मदद देने के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी नीति बनाई है कि सार्वजनिक उपक्रम अपनी खरीदारी का 4 प्रतिशत सामान अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों से खरीदें।

मुद्रा योजना के उद्देश्य को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा था: ‘’बैंक से कर्ज, सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाने वाले लोगों को ही मिले, अपने दम पर कुछ करने का सपना देख रहा नौजवान, बैंक गारंटी के नाम पर भटकता रहे, ये स्थिति ठीक नहीं। इसलिए हमारी सरकार ने बिना बैंक गारंटी लोन लेने का विकल्प दिया। स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली मुद्रा योजना भी दशकों से हो रहे अन्याय को खत्म करने का काम कर रही है।‘’ 

दलित युवाओं के कौशल विकास के लिए धन की व्यवस्था- दलित परिवारों के बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए National Scheduled Castes Finance And Development Corporation के द्वारा कौशल विकास का पूरा खर्च वहन किया जाता है। यह खर्च  गांवों में उन परिवारों को जिनकी सालाना आमदनी 98,000 रुपये और शहरों में  उन परिवारों को जिनकी आय 1,20,000 रुपये सालाना है।

साल रुपये (करोड़ में) लाभ लेने वाले युवाओं की संख्या
2015-16 378.94 71,915
2016-17 478.98 82,105
2017-18 600.88 1,08,340
2018-19 671.21 81,431

 

दलित युवाओं के उद्यम और रोजगार की व्यवस्था की गई-दलित युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से कई योजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के प्रथम वर्ष से ही चलायी जा रही हैं। केन्द्र सरकार State Scheduled Castes Development Corporations (SCDCs) को धन देती है जो दलित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं के तहत लोन देती है।  इस समय 23 राज्यों और 4 केन्द्र शासित क्षेत्रों में यह योजना चल रही है, जहां दलित आबादी की उपस्थिति अच्छी खासी है।

देश में दलित युवाओं के लिए पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत हुई– प्रधानमंत्री मोदी ने दलित युवाओं को स्टार्ट अप शुरू करने के लिए देश में पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत की। Venture Capital Fund for Scheduled Castes को मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2015 को शुरू किया। इस योजना को IFCI Venture Capital Fund Ltd. नियंत्रित करता है। यह कोष दलित युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देता है। यह उन दलित उद्यमियों की सहायता करता है जो नवाचार के जरिए समाज में कुछ नया करना चाहते हैं। इसमें उन कंपनियों को 20 लाख से 15 करोड़ का लोन दिया जाता जिसमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक दलित स्वामित्व होता है।

दलित उद्यमियों के उद्यम को कर्ज लेने के लिए 5 करोड़ रुपये तक की गांरटी देने के लिए भी देश में पहली बार “Credit Enhancement Guarantee Scheme for Scheduled Castes” की शुरुआत हुई।  जुलाई , 2014 के अपने पहले बजट में मोदी सरकार ने 200 करोड़ रुपये का कोष इस योजना के लिए दिए। इसके तहत विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के जरिए स्टार्ट अप को ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। इस योजना को 6 मई 2015 को लागू किया गया। यह योजना IFCI के माध्यम से चल रही है। IFCI, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को धन देता है जो उन दलित उद्यमियों को 5 करोड़ की गारंटी देते हैं जिन्हें 15 लाख लोन पाने का हक है।

दलित छात्रों के लिए यूजीसी की फेलोशिप- दलित छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए  2000 जूनियर फेलोशिप और सीनियर फेलोशिप प्रतिवर्ष  यूजीसी से दिया जाता है। जूनियर फेलोशिप के लिए हर माह 25,000 रुपये और सीनियर फेलोशिप के लिए हर माह 28,000 रुपये दिया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के चार सालों के दौरान हर साल 2000 फेलोशिप दलित छात्रों को दिया जा रहा है-

साल रुपये (करोड़)  छात्र छात्राएं कुल विद्यार्थी
2014-15 148.84 1064 966 2000
2015-16 200.55 1090 910 2000
2016-17 196.00 1340 660 2000
2017-18 200.00 1065 935 2000


दलितों के अन्तरजातीय विवाह करने पर आर्थिक सहायता-
मोदी सरकार ने दलितों के अन्तरजातीय विवाह के लिए पूरे देश में  एक समान आर्थिक सहायता 2.5 लाख रुपयों की कर दी। इससे पहले राज्यों द्वारा दलितों को अन्तरजातीय विवाह के लिए अलग-अलग राशि दी जाती थी। मोदी सरकार के हर साल इसके लिए आवंटन धन बढ़ा है।  2015-16 में जहां 120 करोड़ रुपये दिये, वहीं 2016-17 में 228.49 करोड़ रुपये और 2017-18 में 31 दिसबंर 2017 तक 300 करोड़ रुपये दिये गये। इसका लाभ लेने वाले दलित युवकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

साल  रुपया(करोड़ में) मदद पाने वालों की संख्या
2015-16 119.07 17065
2016-17 222.56 17218
2017-18 294.38 21079

 

दलितों के लिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना- प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत उन गांवों को आदर्शों गांवों में विकसित किया गया, जिनकी आबादी में 50 प्रतिशत जनसंख्या दलितों की है। इन दलित बहुल गांवों में दलित परिवारों के लिए आवास, सड़कें, बिजली, रोजगार और सुरक्षा के लिए मोदी सरकार ने पूरा धन दिया है। इस मुहिम में 2024-25 तक देश के करीब 27 हजार ऐसे गांवों के कायाकल्प की योजना है। फिलहाल इसके तहत तेजी से काम शुरु हो गया है। राज्यों के  Scheduled Castes Sub Plan के लिए Special Central Assistance के रूप में केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों द्वारा दलितों के लिए बनाये गये Sub Plan में 100 प्रतिशत का अंशदान करती है। मोदी सरकार ने करीब दस हजार गांवों के विकास का खाका तैयार कर लिया है। इनमें से सात हजार से ज्यादा गांवों के विकास के लिए पैसा भी जारी कर दिया गया है। इनमें से दो हजार से ज्यादा गांव अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। यह योजना यहीं नहीं रूकने वाली है, इसके दायरे में जल्द वह गांव भी आएंगे, जहां दलितों की आबादी पचास फीसदी है। मौजूदा समय में देश भर में ऐसे गांवों की संख्या 46 हजार से ज्यादा है। इनमें उत्तर प्रदेश के करीब दस हजार गांव और पश्चिम बंगाल के 7928 गांव शामिल है। खासबात यह है कि योजना के तहत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से जहां प्रत्येक गांवों को 21 लाख रुपए दिए जाते हैं। साथ ही गांवों के विकास को लेकर केंद्र और राज्य की ओर से चलाई जाने वाली योजनाओं को भी एकीकृत कर इनसे जोड़ा गया है। बीते वर्षों में मोदी सरकार ने का अंशदान कुछ इस प्रकार रहा, जो लगातार बढ़ता रहा है-

साल रुपये (करोड़ में) सहायता पाने वालों की संख्या (लाख में)
2014-15 700 10.08
2015-16 800 68.33
2016-17 800 NA
2017-18 800 100.5

 

दलित उत्पीड़न कानून को संशोधित करके सख्त बनाया- देश में पहले से चले आ रहे दलित उत्पीड़न कानून 1989 को प्रधानमंत्री मोदी ने संशोधित करके और अधिक सख्त बनाया। इस सख्त कानून को 26 जनवरी 2016 को लागू भी कर दिया गया। इस संशोधन से दलितों को त्वरित न्याय दिलाने की मोदी सरकार की मुहिम को बल मिला। कानून में दलित उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई करने के लिए विशेष अदालतों के गठन और सरकारी वकीलों की उपलब्धता को सुनिश्चित कर दिया गया। नये कानून में यह भी सुनिश्चचित कर दिया गया कि आरोपपत्र दाखिल होने के दो महीने के अंदर न्याय दे दिया जाए। नये कानून के तहत दलितों को मिलने वाली सहायता राशि को स्थिति के अनुसार 85,000 रुपये से 8,25,000 रुपये तक कर दिया गया। NCRB 2016 की रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों को सुरक्षा देने में पूर्ववर्ती सरकारों से काफी अच्छा काम किया है। दलितों के विरुद्ध अपराध करने वालों को सजा दिलाने में भाजपा शासित राज्य, कांग्रेस शासित राज्यों से कहीं आगे है।

यूपीए के शासनकाल में दलितों के विरुद्ध अपराध लगातार बढ़ रहे थे और अपराधियों को सजा नहीं मिल रही थी-

उज्ज्वला गैस कनेक्शन में गरीब-दलितों को प्राथमिकता-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने जो काम किया है, उसने गरीबों-दलितों के घरों में रौनक ला दी है। 18 फरवरी 2020 तक देश के 712 जिलों में कुल 8 करोड़ 3 लाख से 40 हजार गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से आधे से भी अधिक कनेक्गशन गरीब-दलित परिवारों का दिए गए हैं। 

6 लाख से अधिक गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिली- तेजी से लागू किये जा रहे स्वच्छता मिशन का परिणाम है कि हर रोज हजारों की संख्या में दलित परिवारों के लिए शौचालयोंं का निर्माण हो रहा है। 18 फरवरी 2020 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में 6 लाख से अधिक गांवों में 10.89 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।

आयुष्यमान योजना में दलित-गरीबों का मुफ्त इलाज
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 18 फरवरी 2020 तक 84 लाख से अधिक दलितों-गरीबों का मुफ्त इलाज किया जा चुका है। जाहिर है कि मोदी सरकार ने गरीबों को सालाना 5 लाख रुपये के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना शुरू की थी।

देश के सभी दलित गांवों में बिजली पहुंची- दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत देश के लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। देश में 597,464 गांवों में से 597,265 गांवों बिजली रिकार्ड समय में पहुंच चुकी है।

50 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले हर क्षेत्र में एकलव्य स्कूल
मोदी सरकार ऐसे हर कदम उठा रही है जिससे SC और ST वर्ग के लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और रोजगार को बढ़ावा मिले। इसके लिए सरकार  ने एकलव्य आवासीय स्कूल योजना को लेकर नया लक्ष्य रखा है। अनुसूचित जनजाति की 50 प्रतिशत आबादी और उनकी कम से कम 20 हजार की संख्या वाले प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे। इस वक्त देश में 282 एकलव्य मॉडल स्कूल संचालित किए जा रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार ने देशबर में कुल 483 एकलव्य स्कूलों की स्वीकृति दी है।

जनजातीय आबादी के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में तेजी
जनजातीय मंत्रालय ने जनजातियो के सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए अपना प्रयास लगातार जारी रखा है। जनजातीय समाज की उचित शिक्षा, भवन, और अन्य जरूरी योजनाओं से समाज में व्याप्त अंतर को कम करने की कोशिश की जा रही है। इस वर्ग के स्टूडेंट्स की बेहतर शिक्षा के लिए प्रीमैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के मद में आर्थिक सहायता भी बढ़ाई जा चुकी है। इस छात्रवृत्ति को हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा है। इसके साथ ही जनजातीय विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुदान एवं छात्रवृत्ति योजना भी है। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अनुदान योजना को यूजीसी से अपने हाथो में ले लिया है ताकि विद्यार्थियों तक पैसा समय से पहुंचे । अनुदान में दिव्यांगों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जा रही है।

डॉ अंबेडकर फाउंडेशन से दलितों का कल्याण- प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ अंबेडकर फाउंडेशन के माध्यम से देश के दलितों में पुनर्जागरण की चेतना को जगाने का भरपूर काम किया और इसके तहत कई काम किये गये- 

  • बाबा साहेब की 125 वीं जयंती का भव्य आयोजन 
  • डा. अंबेडकर अंतराष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना रिकार्ड दो सालों में 195 करोड़ की लागत से की गयी। 
  • वर्ष 2015 से 14 अप्रैल को समरसता दिवस के रुप में मनाने का निर्णय । 
  • 30 सितंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर डाक टिकट जारी किया । 
  • 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में हर वर्ष 26 जनवरी को संविधान दिवस मनाने का निश्चय किया । 
  • महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने लंदन 10, किंग हेनरी रोड पर स्थित उस भवन को खरीद लिया जहां अंबेडकर ने रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
  • 06 दिसंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर दस रुपये और 125 रुपये के सिक्के जारी किए गये।
  • डां अंबेडकर चिकित्सा सहायता योजना के तहत  2.5 लाख रुपये सालाना की आमदनी वाले परिवारों को मुफ्त मेडिकल सुविधा देने की योजना है जिनकी आय 2.5 लाख रुपये सालाना है।

बाबासाहेब से जुड़े पंच तीर्थस्थलों का विकास
कांग्रेस ने संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के देश के प्रति योगदान को हमेशा दबाने का काम किया, लेकिन मोदी सरकार ने डॉ अंबेडकर से जुड़े कई ऐसे मंचों को जनसामान्य के लिए उपलब्ध कराने का काम किया है जिनसे वे सामाजिक समरसता के पुरोधा रहे बाबासाहेब के जीवन और उनके विचारों से पूरा लाभ उठा सकें। केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंच तीर्थ के तौर पर विकसित किया है। ये पंच तीर्थ हैं:

1)मध्य प्रदेश के महू में बाबासाहेब की जन्मभूमि 

2)लंदन में डॉक्टर अंबेडकर मेमोरियल- उनकी शिक्षाभूमि 

3)नागपुर में दीक्षाभूमि 

4)मुंबई में चैत्यभूमि

5) दिल्ली में नेशनल मेमोरियल- उनकी महापरिनिर्वाण भूमि। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डॉ अंबेडकर से जुड़े पांच तीर्थस्थलों को लेकर कहा था: ‘’ये स्थान, ये तीर्थ, सिर्फ ईंट-गारे की इमारत भर नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत संस्थाएं हैं, आचार-विचार के सबसे बड़े संस्थान हैं।‘’ 

जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए संग्रहालयों का निर्माण
मोदी सरकार जनजातीय समुदाय से जुड़े महापुरुषों से जुड़े संग्रहालयों के निर्माण पर भी काम कर रही है। सरकार जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण उन राज्यों में कर रही है जहां ये लोग रहे, अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और सिर झुकाने से इनकार किया। सरकार ऐसे राज्यों में प्रतीक रूप में जनजातीय संग्रहालय बनाएगी जिससे आने वाली पीढ़ियां यह जान सकें कि किस प्रकार हमारी ये जनजातियां देश के लिए बलिदान देने में आगे रही थीं।

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