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संयोग या प्रयोग- तीन हमले, तीन नेता लेकिन सभी का चुनावी सलाहकार एक, पहचान कौन ?

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम में चोटिल हो गईं। उन्होंने अपने ऊपर हमले का आरोप लगाया है लेकिन बीजेपी और कांग्रेस का कहना है कि ममता दीदी झूठ बोल रही हैं। दोनों पार्टियों का कहना है कि ममता बनर्जी को इस बार के चुनाव में अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है, इसलिए सहानुभूति पाने के लिए वो पाखंड कर रही हैं। बीजेपी ने कहा कि ममता बनर्जी को किसी ने धक्का नहीं दिया है। क्या यह हाथ से निकल चुकी लड़ाई में सहानुभूति मत बटोरने की कोशिश है?

जबकि कांग्रेस का कहना है कि यह सहानुभूति बटोरने के लिए सियासी पाखंड है। उन्हें लगा कि नंदीग्राम में जीतना मुश्किल है तो उन्होंने चुनावों से पहले यह नौटकीं रची है। वो केवल मुख्यमंत्री नहीं, पुलिस मंत्री भी हैं। क्या आप यकीन कर पाएंगे कि पुलिस मंत्री के साथ एक भी पुलिस नहीं थी?

तो क्या सच में ममता बनर्जी सहानुभूति वोट पाने के लिए ऐसा कर रही हैं? सोशल मीडिया पर इस तरह के सवाल उठ भी रहे हैं। यूजर्स इसके पीछे पीके- प्रशांत किशोर का हाथ बता रहे हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के चुनावी अभियान को देख रहे हैं। प्रशांत किशोर इसके पहले दिल्ली के विवादास्पद सीएम अरविंद केजरीवाल और वॉयएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी के लिए भी चुनावी रणनीति बना चुके हैं और सबसे दिलचस्प बात यह है कि तीनों में एक कॉमन फैक्टर है- हमले का फैक्टर। मतदान से पहले नेताओं पर हमले का प्रशांत किशोर का पुराना कनेक्शन रहा है। हमला, थप्पड़, संवेदना, सांत्वना, सहानुभूति के जरिए राजनीति ही पीके की रणनीति रही है।

दिल्ली में चुनाव से पहले या चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल पर हमला कोई नई बात नहीं है। प्रशांत किशोर के चुनावी रणनीतिकार रहते किसी ने उनके चेहरे पर मिर्च पाउडर छिड़का, तो किसी ने जूता चलाया। कभी थप्पड़ जड़ा गया तो कभी इंक अटैक हुआ।

केजरीवाल की तरह ही आंध्र प्रदेश में वॉयएसआर कांग्रेस के मुखिया जगन मोहन रेड्डी पर चाकू से हमला हुआ था। साफ तौर पर प्रशांत किशोर और उनसे जुड़े नेताओं पर हमले का ये सिलसिला नया नहीं है।

ऐसे में ममता बनर्जी पर हमले की बात लोगों की जम नहीं रही है और लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि संयोग या प्रयोग- तीन हमले, तीन नेता लेकिन सभी का “चुनावी सलाहकार” एक, पहचान कौन ?

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