जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के ऐतिहासिक फैसले का असर अब दिखाई दे रहा है। अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिसा में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने 9 मार्च, 2021 को लोकसभा में बताया कि 2019 की तुलना में केंद्र शासित प्रदेश में 2020 में आतंकी घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई। अलगाववादियों, ओवर ग्राउंड कार्यकर्ताओं, पथराव करने वालों समेत करीब 173 लोग अभी तक हिरासत में हैं।
एक लिखित उत्तर में रेड्डी ने कहा कि 2020 में जम्मू एवं कश्मीर में 244 आतंकी घटनाएं हुई। इससे पहले 2019 में 594 ऐसी घटनाएं हुई थीं। 2020 में 221 आतंकी ढेर किए गए जबकि एक साल पहले 2019 में 157 आतंकी मारे गए थे। उन्होंने कहा कि 2020 में 33 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और छह नागरिकों की मौत हुई थी जबकि 2019 में 27 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे और पांच नागरिकों की जान गई। केंद्र शासित प्रदेश में इस साल फरवरी में 15 आतंकी घटनाएं हुई जिसमें आठ आतंकी मारे गए।
केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया कि पाकिस्तान की शह पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले 42 संगठनों पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की पहली अनुसूची में उनके नाम सूचीबद्ध किए गए हैं। ऐसे आतंकी संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद शामिल हैं।
The Government has declared 42 organisations as terrorist organisations and listed their names in the First Schedule of the Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967. Terrorism in India has largely been sponsored from across the border: Ministry of Home Affairs in Lok Sabha
— ANI (@ANI) March 9, 2021
एक अन्य सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने बताया कि एक अगस्त, 2019 के बाद से कई अलगाववादियों, पथराव करने वालों समेत 627 लोगों को अलग-अलग समय पर हिरासत में लिया गया था। नियमित समीक्षा एवं वास्तविक स्थिति के आधार पर इनमें से 454 लोग अभी तक रिहा किए जा चुके हैं।’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने बताया है कि केंद्र शासित प्रदेश में जन सुरक्षा कानून के तहत अब कोई भी नजरबंद नहीं है।
एक सवाल के लिखित उत्तर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि देश में 230 लोगों को सीआरपीएफ और सीआइएसएफ जैसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों द्वारा ‘जेड प्लस’, ‘जेड’ और ‘वाई’ श्रेणियों के तहत सुरक्षा प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय एजेंसियों के आकलन के आधार पर सुरक्षा दी जाती है और इसकी समय-समय पर समीक्षा की जाती है। इस तरह की समीक्षा के आधार पर सुरक्षा कवर जारी रखने, वापस लेने या संशोधित करने का फैसला होता है।’