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देखिए मैडम वाड्रा और कांग्रेसियों का दलित विरोधी चेहरा, पंजाब में हड़प लिए दलित स्कॉलरशिप के करोड़ों रुपये, केंद्र सरकार ने दिए जांच के आदेश

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अजीब संयोग है। आज मैडम वाड्रा यानि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर यूपी सरकार से दलितों के मामले में सवाल पूछा कि क्या भाजपा सरकार ये बताने का कष्ट करेगी कि दलित उत्पीड़न की घटनाएं प्रदेश में क्यों नहीं रुक रहीं ? उधर केंद्र सरकार ने पंजाब दलित स्कॉलरशिप घोटाले की जांच का आदेश दे दिया है। इस समय मैडम वाड्रा को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से नहीं बल्कि पंजाब की कांग्रेस सरकार से पूछना चाहिए कि दलित स्कॉलरशिप के करोड़ों रुपये किन लोगों ने हड़प लिया? दलित छात्रों के भविष्य के साथ किसने खिलवाड़ किया ?

मैडम वाड्रा ये सवाल नहीं पूछेंगी, क्योंकि उन्हें पता है कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है। भला सवाल पूछकर क्यों अमरिंदर सरकार को कठरे में खड़ा करेंगी और खुद अपना दलित विरोधी चेहरा सर्वजनिक करेंगी। उनका तो पंजाब के दलितों के दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं है। पंजाब में दलितों का उत्पीड़न हो या उनका निवाला हड़प लिया जाए, या फिर उनका भविष्य अंधकारमय हो। उससे उनको क्या फर्क पड़ता है। उन्हें तो बस अपनी सियासत चमकाने के लिए उत्तर प्रदेश के दलितों की चिंता है। कांग्रेस के इस दोगले दलित प्रेम को जनता पहचान चुकी है। इसलिए दो आम चुनाव में सबक सीखा चुकी है। फिर भी मैडम वाड्रा और कांग्रस इससे सीखने को तैयार नहीं है। 

पंजाब में दलित छात्र स्कॉलरशिप घोटाले में केंद्रीय समाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने दलित छात्रों के लिए केंद्रीय पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना में 63.91 करोड़ रुपये के घोटाले के बारे में केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को पत्र लिख कर कार्रवाई की मांग की थी।

सोम प्रकाश के मुताबिक घोटाले की जांच कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव कृपाशंकर सरोज ने पंजाब की मुख्य सचिव विनी महाजन को सौंपी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दलित छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप का पैसा पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री ने विभाग के निचले अधिकारी की कथित मिलीभगत से नियमों को दरकिनार करते हुए अपने चहेतों को बांट दिया।

सोम प्रकाश ने बताया कि थावर चंद गहलोत ने उनकी शिकायत का कड़ा संज्ञान लेते हुए भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के दो अधिकारियों को विभागीय जांच का आदेश दिया है। सोम प्रकाश ने बताया कि गहलोत ने उन्हें आश्वासन दिलाया है कि रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उधर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार के साथ बिना सलाह किए या मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना कथित स्कॉलरशिप घोटाले की जांच के आदेश दिए जाने का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इस कदम को देश के संघीय ढांचे पर एक और हमला बताया। उन्होंने कहा कि इसका मकसद राज्य सरकार की साख को नुकसान पहुँचाना है। 

रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में सामाजिक न्याय निदेशालय को फरवरी और मार्च 2019 के बीच निजी कॉलेजों को मुहैया कराने के लिए केंद्र से 303 करोड़ रुपये मिले। विभाग ने इसमें से धन आवंटित करने के लिए 248 करोड़ रुपये निकाले। इसमें से 39 करोड़ रुपये से संबंधित रिकॉर्ड का कुछ अता-पता नहीं है। या तो इस राशि का गबन किया गया है या फिर कुछ घोस्ट इंस्टीट्यूशन को जारी कर दिया गया है।

इसके अलावा, कुछ कॉलेजों को वित्तीय सुविधा मुहैया कराने के क्रम में निदेशालय ने 72 करोड़ रुपये जान-बूझकर रोक लिए जिसे योग्य छात्रों के बीच वितरित किया जाना था। इसमें से कई स्नातक अब भी अपनी फीस और मेंटेनेंस अलाउंस के रिइंबर्समेंट का इंतजार कर रहे हैं।

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