Home केजरीवाल विशेष भ्रष्टाचार में लालू-केजरीवाल एक समान !!!

भ्रष्टाचार में लालू-केजरीवाल एक समान !!!

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दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद अपने सियासी दोस्त लालू यादव के बराबर में खड़े नजर आने लगे हैं। भारतीय राजनीति में जब भी भ्रष्टाचार की चर्चा होती है, लालू यादव का नाम सबसे पहले उभर कर सामने आता है। लेकिन, एक दिन पहले तक केजरीवाल के अपने ही कैबिनेट के सहयोगी रहे कपिल मिश्रा ने जिस तरह से उनपर अपने आंखों के सामने घूस लेने का आरोप लगाया है, वैसा भारतीय राजनीति के इतिहास में आजतक नहीं देखा गया। यहां आपको हम पहले बताएंगे कि केजरीवाल पर लगे निजी भ्रष्टाचार के आरोप कितने गंभीर हैं और उसके बाद सिलसिलेवार तरीके से बताएंगे कि भ्रष्टाचार के मामले में उनमें और लालू यादव में कैसे और कितनी समानता है ?

केजरीवाल पर सबसे बड़ा आरोप
केजरीवाल पर उनके ही कैबिनेट के सहयोगी रहे कपिल मिश्रा ने निजी भ्रष्टाचार के बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं। कपिल मिश्रा के अनुसार उन्होंने केजरीवाल के एक और मंत्री सत्येंद्र जैन को मुख्यमंत्री के हाथों में दो करोड़ रुपये रिश्वत देते हुए अपनी आंखों से देखा है। उन्होंने कहा है कि सत्येंद्र जैन ने केजरीवाल के एक रिश्तेदार के लिए 50 करोड़ की डील भी करवाई है। अरविंद केजरीवाल अबतक खुद को स्वयंभू ईमानदार का तमगा दिए चलते थे। लेकिन अपने ही सहयोगी के आरोपों ने उनके भ्रष्टाचारों पर से पर्दा उठा दिया है। सबसे बड़ी बात ये है कि दूसरों पर बे सिर-पैर के आरोप लगाने में माहिर केजरीवाल इतने बड़े आरोपों पर सफाई देना भी जरूरी नहीं समझ रहे। उनकी यही चुप्पी आरोपों को और भी गंभीर बना रही है। क्योंकि उनकी सरकार पर तो शुरुआती दिनों से ही कालिख पुतते रहे हैं। यही वजह है कि विपक्ष दलों ने केजरीवाल को लालू यादव से भी बड़ा भ्रष्टाचारी कहना शुरू कर दिया है।

दोनों पर अपने ही मंत्रियों से रिश्वत लेने का आरोप
केजरीवाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर लगे घोटाले के आरोपों की जांच चल रही है। उनपर सत्ता में रहते हुए अपनी ही बेटी को मलाई वाला पद देने के भी आरोप लगे हैं। इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना तो दूर केजरीवाल उनके खिलाफ कुछ सुनना भी पसंद नहीं करते। कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर सत्येंद्र जैन को ही भ्रष्टाचार से बचाने के लिए दो करोड़ की उगाही का आरोप लगाया है। उसी तरह लालू पर भी यूपीए-1 सरकार में आरजेडी कोटे से केंद्र में मंत्री बनाने के लिए दो सांसदों से जबरन जमीन लिखवाने के आरोप लगे हैं। एक तरह से लालू पर घोटाले का ये आरोप मनमोहन सरकार के पहले कार्यकाल का बहुत बड़ा घोटाला माना जा सकता है। क्योंकि मंत्री बनाने का विशेषाधिकार एकमात्र प्रधानमंत्री का होता है। लेकिन लालू यादव के चलते मनमोहन सरकार ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी धूमिल कर दिया।

दोनों भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरे नेता
लालू यादव ने अपने अपने सियासी करियर की शुरुआत जेपी आनंदोलन से की। जेपी के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय भूमिका ने ही एक दिन लालू यादव को बिहार की सत्ता दिलाई। उस दौर में लालू को भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत बड़ा जन-समर्थन मिला। उसी तरह अरविंद केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन को मिले विशाल जन-समर्थन का इस्तेमाल बहुत ही शातिराना तरीके से अपने फायदे के लिए किया। अन्ना आंदोलन भी कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए- 1 और 2 के भ्रष्टाचारों के विरोध में ही शुरू की गई थी। लेकिन आखिरकार केजरीवाल ने अन्ना को हो धोखा देकर राजनीतिक पार्टी बना ली और भ्रष्टाचार विरोधी जन-समर्थन को बहका कर अप्रत्याशित बहुमत के साथ दिल्ली की सत्ता हथिया ली।

सत्ता मिलते ही दोनों भ्रष्टाचार के दलदल में फंसते चले गए
तत्कालीन कांग्रेसी सत्ता के जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ लालू यादव को जनता ने कुर्सी दी थी। सत्ता में आते ही लालू यादव ने व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड तोड़ने शुरू कर दिए। चारा घोटाले में जेल जाने के चलते लालू को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी, लेकिन पत्नी को कुर्सी पर बिठाकर उन्होंने अपना खेल जारी रखा। उसी तरह भ्रष्टाचार का विरोध कर सत्ता में आई केजरीवाल सरकार के मंत्री शुरुआती दिनों से ही भ्रष्टाचार के मामलों में घिरने लगे। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार और अपने मंत्रियों पर लगने वाले भ्रष्टाचार के आरोपों पर चुप्पी साध ली। चुनाव प्रचार के दौरान दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ जो भ्रष्टाचार के भारी-भरकम सबूत होने का दावा करते थे, मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने उसपर ‘आपराधिक’ चुप्पी साध ली।

एक चारा चोर, दूसरा ‘चंदा’ चोर !
करीब एक हजार करोड़ के चारा घोटाले में लालू यादव को 5 साल की सजा मिली हुई है। उनसे चुनाव लड़ने का अधिकार छिन चुका है। उसी तरह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पर शुरुआती दिनों से चंदे के हेर-फेर के आरोप लगते रहे हैं। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ के नेटवर्क का इस्तेमाल किया और गलत तरीके से चंदे की उगाही करते रहे। सबसे बड़ी बात है कि अन्ना आंदोलन के दौरान वो राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में जिस पारदर्शिता की वकालत करते थे। जब अपनी बारी आई तो उन चंदों पर और उन्हें देने वाले नामों पर कुंडली मारकर बैठ गए। बड़ी बात ये है कि इस मामले में कई बार उनके अपने ही साथियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार के और भी आरोप
अरविंद केजरीवाल पर निजी घूसखोरी का चश्मदीद गवाह भले ही पहली बार सामने आया हो, लेकिन दिल्ली में उनकी सरकार के भ्रष्टाचारों की लिस्ट तैयार की जाय तो वो बहुत ही लंबी हो सकती है। जैसे दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री और उनके साले सुरेंद्र कुमार बंसल पर जाली कागजातों के आधार पर पीडब्ल्यूडी विभाग के ठेके लेने और फर्जी बिल बनाने के आरोप हैं। उसी तरह केजरीवाल ने राजेंद्र कुमार नाम के उस अफसर को अपना मुख्य सचिव बनाया जिसपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। डिप्टी सीएम समेत कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए धांधली की जांच चल रही है, तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के कथित हवाला लिंक की छानबीन भी की जा रही है। दूसरों को ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने वाले केजरीवाल के मंत्री जैन पर हवाला के माध्यम से 16.39 करोड़ रुपये मंगाने के आरोप हैं।

जैन के खिलाफ अपनी बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक कार्यक्रम में सलाहकार बनाने के मामले की भी जांच चल रही है। उनके एक और मंत्री असीम अहमद खान की रिश्वतखोरी की रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद केजरीवाल ने अपनी छवि बचाने के लिए उन्हें खुद ही बर्खास्त कर दिया था। महिला व बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने राशन कार्ड बनाने के लिए एक महिला से जबरन संबंध बनाए और जब इसकी सीडी वायरल हो गई तो सीएम को लाचार होकर उन्हें मंत्रिमंडल से चलता करना पड़ा। एक और मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर के पास फर्जी डिग्री पाए जाने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। केजरीवाल ने तो शुरू में अपने जालसाज मंत्री को बचाने के लिए काफी नौटंकी की, लेकिन आखिरकार उनकी कुर्सी नहीं बचा पाए। इसके अलावा केजरीवाल सरकार पर विज्ञापन घोटाला, सोलर स्ट्रीट लाइट घोटाला और सीसीटीवी कैमरा घोटाले के भी आरोप हैं। यही नहीं शुंगलू कमेटी ने भी उनकी सरकार के कामकाज के तरीके पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं।

लालू पर भी कई और घोटालों के आरोप
उधर भ्रष्टाचार के मामलों में लालू के कारनामे जारी हैं। केंद्र में अपनी पार्टी के कोटे से मंत्री बनाने के लिए जमीन लिखवाने के अलावा भी उनपर कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। उनपर परिवार के नाम पर गलत तरीके से पटना के पास पेट्रोल पंप आवंटित करवाने और अपने बच्चों के नाम पर मॉल के लिए जमीन हथियाने के भी आरोप लग रहे हैं। यही नहीं उनपर ये भी आरोप है कि अपने प्रभाव में मॉल की जमीन से निकाली गई मिट्टी को भारी कीमतों पर पटना के चिड़ियाघर को खरीदने के लिए मजबूर किया। बिहार की नीतीश सरकार में उनके दो बेटे बड़े-बड़े मंत्री हैं और उनकी मनमानी को रोकने की किसी में हिम्मत नहीं है। नीतीश अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं। इसके अलावा लालू और उनके परिवार के सदस्यों पर कई बेनामी और आय से अधिक संपत्ति के भी आरोप हैं।

लालू-शहाबुद्दीन के रिश्तों पर भी चुप हैं केजरीवाल
हाल ही में घोटाले के केस में सजायाफ्ता लालू यादव और तिहाड़ जेल में बंद हत्या के गुनहगार मोहम्मद शहाबुद्दीन के आपराधिक संबंधों को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। दोनों के बीच फोन पर हुई बातचीत के टेप से साफ होता है कि हत्यारा शहाबुद्दीन लालू यादव को एक एसपी को हटाने के निर्देश दे रहा है। टेप सामने आने के बाद लगता है कि बिहार की सरकार नीतीश कुमार नहीं चला रहे हैं, बल्कि घोटाले और हत्या के दोनों गुनहगार चला रहे हैं। ये ऐसा खुलासा है जिसे देखकर पूरा देश हिल गया है। लेकिन मीडिया में इसी बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि बात-बात में दूसरों पर कीचड़ उछालने वाले अरविंद केजरीवाल की क्या मजबूरी है कि उन्होंने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। क्या वो लालू यादव से अपनी दोस्ती निभा रहे हैं या किसी खास वोट बैंक की खातिर देशविरोधी ताकतों से साठगांठ रखने वाले हत्यारे शहाबुद्दीन के प्रति सहानुभूति दिखाना चाहते हैं।

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