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मोदी सरकार ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा, धान सहित कई खरीफ फसलों के MSP में बढ़ोतरी, अन्नदाताओं को मिलेगा उपज का लाभकारी मूल्य

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देश के किसानों को दोहरी खुशी मिली है। जहां 8 जून को केरल में मानसून ने दस्तक दे दिया, वहीं इससे पहले 7 जून को मोदी सरकार ने भी किसानों को बड़ा तोहफा दिया। किसानों को राहत देते हुए धान सहित कई खरीफ फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी की गई। ये बढ़ोतरी वित्त वर्ष 2023-24 की खरीफ की फसलों के लिए की गई है। इससे देश में बड़े स्तरों पर किसानों को लाभ होगा और नई फसल के लिए अच्छे दाम मिल पाएंगे। मोदी सरकार ने खेती की बढ़ती हुई लागत को देखते हुए किसानों के हित में ये बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर इस फैसले के बारे में जानकारी दी। इसमें उन्होंने लिखा, “बीते 9 वर्षों में किसान भाई-बहनों के हित में कई अहम फैसले लिए गए हैं। इसी कड़ी में आज सरकार ने खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इससे अन्नदाताओं को उपज का लाभकारी मूल्य मिलने के साथ ही फसलों में विविधता लाने के प्रयासों को भी बल मिलेगा।”

दरअसल बुधवार (7 जून) को फसल उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक हुई, जिसमें खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि का फैसला लिया गया। कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि में हम समय-समय पर सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करते रहे हैं। इस साल खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी पिछले कुछ सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐसे समय जब खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आ रही है और एमएसपी में बढ़तोरी से किसानों को फायदा होगा। गोयल ने बताया कि केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 3 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 143 रुपए बढ़ोतरी की गई है। सामान्य ग्रेड के धान को 2040 से बढ़ाकर 2183 प्रति क्विंटल किया गया है। वहीं ए ग्रेड के धान को 2060 से बढ़ाकर 2203 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

मोदी सरकार ने धान के साथ-साथ दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी बढ़ोतरी को मंजूरी दी। न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक 10.4 प्रतिशत वृद्धि मूंग में की गई है। मूंग की एमएसपी अब 7755 से बढ़कर 8558 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। 2022-23 के मुकाबले इसमें 803 रुपए प्रति प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विटल की बढ़ोतरी की गई है। तुअर की एमएसपी अब 6600 से बढ़कर 7000 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है। उड़द दाल की एमएसपी को 350 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,950 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इनके अलावा मक्के और मूंगफली की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई है। 

मोदी सरकार के इस फैसले से विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है। बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। बाकी अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।

मोदी सरकार रबी और खरीफ फसलों की एमएसपी में लगातार बढ़तोरी कर जहां फसालों का उचित मूल्य दिलाने के साथ ही किसानों की आय में वृद्धि कर रही है, वहीं  दलहनों, तिलहनों और अन्य पोषक धान्य/श्री अन्न जैसे अनाजों के अलावा कई फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं और गतिविधियां भी शुरू की हैं।

गौरतलब है कि धान खरीफ की प्रमुख फसल है और इसकी बुवाई आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन के साथ शुरू होती है। भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि अल नीनो प्रभाव के बावजूद इस साल जून-सितंबर के दौरान मानसून सामान्य रहेगा। वहीं मोदी सरकार के प्रोत्साहन और किसानों की मेहनत का नतीजा है कि खाद्यान्न उत्पादन में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है। देश में 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14.9 मिलियन टन अधिक है। यह बीते 5 वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाता है। 

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