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भारत में लॉकडाउन नहीं होता तो 8 लाख से ज्यादा लोग होते कोरोना से संक्रमित

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130 करोड़ आबादी होने के बावजूद अभी भारत में कोरोना के केस नियंत्रित हैं और कम्यूनिटी संक्रमण के खतरे से दूर है। पूरे विश्व में इस महामारी से अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अगर भारत में सफलतापूर्वक लॉकडाउन को लागू नहीं किया जाता तो हालात खराब हो सकते थे। विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा है कि अगर भारत मे लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो यहां मामले आठ लाख से ज्यादा हो गए होते।

विदेशी पत्रकारों से बात करते हुए विकास स्वरूप ने कहा कि अगर देश में लॉकडाउन नहीं किया गया होता तो 15 अप्रैल तक देश में कुल मामलों की संख्या 8 लाख 20 हज़ार हो गई होती, जबकि अभी हम करीब 6000 तक हैं। मीडिया खबर के अनुसार विदेश सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने कहा कि सोशल डिस्टैंसिंग के उपाय नहीं अपनाए जाने पर वायरस की प्रजनन दर 2.5 व्यक्ति प्रति दिन होती, लॉकडाउन की वजह से इसमें 75 प्रतिशत की कमी आई और यह दर घट कर 0.625 व्यक्ति प्रति दिन रह गई।

उधर, स्वास्थ्य मंत्रालय में जॉइंट सेक्रटरी लव अग्रवाल ने भी बताया कि अगर देश में लॉकडाउन लागू नहीं किया गया होता तो कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 41 प्रतिशत बढ़ जाते। इस वजह से 15 तब अप्रैल तक देश में 8.2 लाख से ज्यादा केस हो जाते। 

लव अग्रवाल के अनुसार देश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 7,447 केस सामने आए हैं। अब तक 643 लोग स्वस्थ हो चुके हैं। अब तक देश में इससे 239 लोगों की जान जा चुकी है।

उधर, भारत ने मानवतावादी रुख अपनाते हुए कई देशों की मदद भी की है। दुनिया के तमाम देशों से सूचनाएं साझा की जा रही हैं। डब्लूएचओ और कई अन्य संस्थाओं ने भारत के प्रयासों की सराहना की है। वही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए अमेरिका, इजरायल और ब्राजील जैसे देशों ने भारत की सराहना की है।   

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