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मोदी राज में आत्मनिर्भर बन रहा भारत, राजस्थान में मिला लीथियम का विशाल भंडार, चीन पर निर्भरता होगी खत्म

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ठीक ही कहा गया है कि अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो पूरी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है। प्रधानमंंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का सपना देखा है। इस सपने को साकार करने में प्रकृति और धरती माता भी जुट गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस शिद्दत के साथ आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की, उसमें अपना योगदान देने के लिए धरती माता ने एकबार फिर अपना खजाना खोल दिया है। जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान के डेगाना (नागौर) में एक नया लीथियम भडार खोजा गया है। यह भंडार जम्मू- कश्मीर के भंडार से भी बड़ा है। इससे भारत की कुल लीथियम मांग का 80 प्रतिशत पूरा हो सकता है और लीथियम बैटरी के निर्माण में चीन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। साथ ही इलेक्ट्रोनिक, परिवहन और संचार क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। 

राजस्थान के नागौर के अलावा कई जिलों में लीथियम के भंडार

भारत के खनन मंत्रालय और जिओलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में लीथियम के भंडार नागौर जिले में डेगाना और उसके आसपास के क्षेत्र की उसी रेनवेट पहाड़ी में पाए गए हैं, जहां से कभी टंगस्टन खनिज की देश को आपूर्ति की जाती थी। जीएसआई की सर्वे रिपोर्ट के अंतिम चरण में लीथियम के इस भंडार की पुष्टि हुई। जिओलॉजिस्ट देवेन्द्र सिंह के अनुसार नागौर जिले के अलावा पाली जिले के बड़ाबर, जोधपुर के बाप क्षेत्र, जैसलमेर के पोकरण, चूरू के सुजानगढ़ व तालछापर और बाड़मेर जिले के पचपदरा में भी लीथियम भंडार होने के प्रमाण मिले हैं। रेंवत पहाड़ियों के आस-पास के क्षेत्र में मौजूद लीथियम का भंडार लीथियम की आपूर्ति में देश को आत्मनिर्भर बना सकता है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर 

प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन एनर्जी पर जोर दिया है। इसके लिए उनकी सरकार कई पहल की है। डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ा दिया जा रहा है। इसके लिए मोदी सरकार कई तरह का प्रोत्साहन दे रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस बढ़ने के बाद से भारत लीथियम आयात करने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर रहा है। अब फास्ट चार्जिंग, लंबे समयावधि और अधिक पावर के लिए लीथियम बैटरियों की काफी उपयोगिता है। इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल और घर की हर छोटी-बड़ी चार्जेबल डिवाइस में लीथियम का उपयोग बढ़ता जा रहा है।

अब तक लीथियम के लिए चीन पर निर्भर है भारत

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ही नहीं पूरी दुनिया में लीथियम की मांग तेजी से बढ़ी है। भारत की अभी पचास प्रतिशत से ज्यादा लीथियम की निर्भरता चीन पर है। 2020-21 के आंकड़े के मुताबिक भारत ने करीब 6 हजार करोड़ रुपये का लिथियम आयात किया था और उसमें से आधे से अधिक 3 हजार 500 करोड़ रुपये का लीथियम चीन से खरीदा था। इलेक्ट्रिक वाहनों और मोबाइल फोन की बिक्री के साथ ही भारत की निर्भरता चीन पर बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में लीथियम का भंडार मिलना भारत के आर्थिक विकास में गेम चेंजर साबित हो सकता है। इससे भारत के ऑटो इंडस्ट्री को भी पंख लग सकते हैं।

नई खोज और अनुसंधान से मिल रहा धरती का खजाना

इससे पहले जम्मू-कश्मीर में लीथियम का खजाना भारत के हाथ लगा था, जो देश की तकदीर बदलने वाला साबित होगा। भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण (जीएसआइ) ने जम्मू संभाग के सलाल क्षेत्र में देश का पहला लीथियम भंडार खोज निकाला। आज देश में हो रही नई खोज और अनुसंधान से धरती के गर्भ में छिपे खजाना बाहर आ रहे हैं। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में चमक रही है और दूसरे देशों पर निर्भरता भी खत्म हो रही है। 

उच्च गुणवत्ता वाले कुल 59 लाख टन लीथियम का भंडार

भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के मुताबिक जम्मू संभाग के रियासी जिले में कुल 59 लाख टन लीथियम का भंडार मौजूद है। अभी सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि मां वैष्णो देवी धाम के उत्तर में हिमालय की तलहटी में सलाल क्षेत्र में मिला लीथियम का यह भंडार काफी उच्च गुणवत्ता का है। भारत के अलावा चीन और चुनिदा अन्य देशों में ही लीथियम का भंडार उपलब्ध है। बैटरियों की बढ़ती मांग और उनमें लीथियम आयन की आवश्यकता को देखते हुए यह भंडार काफी महत्वपूर्ण है। लीथियम का उपयोग सौर ऊर्जा पैनल और इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी बनाने के लिए काफी अहम है। 

500 पीपीएम-पल्स ग्रेडिंग का है जम्मू-कश्मीर का लीथियम

जम्मू-कश्मीर के खनन विभाग के सचिव अमित शर्मा ने बताया कि अभी एडवांस शोध हुआ है। इसके बाद दो और एडवांस स्टडी होनी हैं और उसके बाद ही खनन कार्य आरंभ किया जा सकेगा। खनन सचिव के मुताबिक 220 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) के सामान्य ग्रेड के मुकाबले जम्मू कश्मीर में पाया जाने वाला लिथियम 500 पीपीएम-पल्स ग्रेडिंग का है। 59 लाख टन लिथियम के भंडार मिलने बाद भारत अब चीन को पीछे छोड़ देगा। उन्होंने कहा कि लीथियम बेशकीमती खनिज है और जी-20 सम्मेलन से पहले यह भंडार मिलने से जम्मू-कश्मीर अपने संसाधनों को दुनिया के समक्ष रख सकेगा।

बैटरी सस्ती होने से इलेक्ट्रिक कारें भी होंगी सस्ती

अगर भारत अपने खुद के लीथियम भंडार का इस्तेमाल कर पाता है तो फिर घरेलू बाज़ार में लीथियम-आयन बैटरी के निर्माण में इजाफा हो सकता है। इसका फायदा ग्राहकों को भी मिल सकता है। इससे इलेक्ट्रिक बैटरी सस्ती हो सकती है। जिससे इलेक्ट्रिक कारें ज्यादा सस्ती हो जाएंगी। दरअसल, इलेक्ट्रिक कारों की कीमत में करीब 45 प्रतिशत हिस्सेदारी इनमें लगे बैटरी पैक की होती है। उदाहरण के तौर पर नेक्सन ईवी में लगे बैटरी पैक की कीमत 7 लाख रुपये है जबकि इसकी कुल कीमत करीब 15 लाख रुपये है।

इलेक्ट्रिक वाहन के इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में चलने वाली 30 प्रतिशत निजी कारें, 70 प्रतिशत कमर्शियल वाहन और 80 प्रतिशत टू-व्हीलर्स इलेक्ट्रिक हो जाएं। जाहिर है इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में लीथियम ऑयन बैटरी का उत्पादन बढ़ाना ज़रुरी है। रिचार्जेबल बैटरी में लीथियम एक प्रमुख तत्व है, जो स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे कई गैजेट्स के लिए बहुत जरूरी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह खोज ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए प्रयासों के तहत 2030 तक प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि करने में भारत की मदद कर सकती है। इलेक्ट्रिक वाहन की कीमतें भी कम होने से ज्यादा से ज्यादा लोग इन वाहनों का इस्तेमाल करेंगे और इससे पर्यावरण को सुधारने में भी मदद मिलेगी। 

स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे

राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मिला लीथियम का भंडार अर्थव्यवस्था के साथ ही रोजगार के लिए गेम चेंजर साबित होने जा रहा है, क्योंकि सरकार की औद्योगिक नीति के अनुसार किसी भी प्रोजेक्ट में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है। इससे बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। आस-पास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। लीथियम आधारित उद्योगों और सहायक उद्योगों को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए अवसर बनेंगे। इससे स्थानीय युवाओं में खुशी की लहर दौड़ गई है।  

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