प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 130 करोड़ देशवासियों के सबसे बड़े संकटमोचक और शुभचिंतक हैं। चाहे देश में हो या विदेश में, जहां कहीं भी देशवासियों पर संकट आता है प्रधानमंत्री मोदी वहां देवदूत के रूप में खड़े नजर आते हैं। विदेशों में फंसे एक-एक भारतीय की सुरक्षित निकासी और वतन वापसी उनकी पहली प्राथमिकता होती है और इसके लिए वो पूरी ताकत झोंक देते हैं। इसी का परिणाम है कि देशवासी उन पर अटूट भरोसा करते हैं। इसकी एक झलक कर्नाटक के शिवमोगा में देखने को मिली, जब चुनाव प्रचार की व्यस्तता और रोड शो के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी हक्की पिक्की जनजाति से मिले और सूडान से सुरक्षित निकासी के बारे में उनसे बातचीत की। इस दौरान हक्की पिक्की जनजाति ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास लिए उनका आभार जताया।
हक्की पिक्की जनजाति के सदस्य पीएम मोदी सरकार में अपने विश्वास का कितनी खूबसूरती से वर्णन करते हैं कि उन्हें पता था कि उन्हें सूडान से सुरक्षित निकाल लिया जाएगा
धन्यवाद प्रधानसेवक @narendramodi Ji https://t.co/8GBrScT8lG
— Dwarkadas S Kulkarni (@UDwarkaKulkarni) May 7, 2023
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार (7 मई, 2023) को बेंगलुरु में दस किलोमीटर लंबा रोड शो किया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। जिस गर्मजोशी के साथ लोगों ने अपने प्रिय प्रधानमंत्री को समर्थन दिया, वो अभूतपूर्व था। वहीं शिवमोगा में हक्की पिक्की जनजाति से मिलकर प्रधानमंत्री मोदी ने बता दिया कि भले ही जनसंख्या में कोई कम क्यों न हो, वो उनकी चिंता करते हैं। ऑपरेशन कावेरी के तहत युद्धग्रस्त सूडान से सुरक्षित निकाले गए हक्की पिक्की जनजाति के लोग प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर काफी उत्साहित थे। उन्होंने अपनी आपबीती प्रधानमंत्री को सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह सरकार के प्रयास से उनकी सुरक्षित निकासी संभव हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से उनसे बातचीत का एक वीडियो शेयर किया।
In Shivamogga, I had a memorable interaction with members of the Hakki Pikki tribe who safely came home from Sudan. pic.twitter.com/T7mdl59YnW
— Narendra Modi (@narendramodi) May 7, 2023
हक्की पिक्की जनजाति के एक सदस्य ने कहा कि हम बचाने-बचाने की गुहार लगा रहे थे। तभी हमें बताया गया कि अपना है डबल इंजन वाला, फिक्र करने की जरूरत नहीं है। तभी से मेरे दिल में डबल इंजन नहीं, ट्रिपल इंजन वाले हो गए। दूसरे सदस्य ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि आप भगवान बनकर बैठे हुए हैं। एक बच्चे को जिस तरह बचाया जाता है,उसी तरह आप हमें बचाकर भारत लाए। वहीं एक महिला सदस्य ने कहा कि ऑपरेशन कावेरी के तहत आपका प्रयास सुनकर मन से डर निकल गया। इस सुरक्षित निकासी में एक छोटा सा खरोंच भी नहीं आया। हम यहां पर सुरक्षित बैठे है तो वो आपकी वजह से संभव हुआ है।
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi interacted with members of the Hakki Pikki tribe, who were evacuated from Sudan under #OperationKaveri, in Shivamogga earlier today#Karnataka pic.twitter.com/SW8EOuLFTT
— ANI (@ANI) May 7, 2023
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि किस तरह उनके पूर्वजों ने महाराणा प्रताप की मदद की थी। इस जनजाति का संबंध ऐतिहासिक रूप से महाराणा प्रताप के साथ माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया में अगर कोई भारतीय किसी भी तरह की मुश्किल में है, तो सरकार तब तक चैन से नहीं बैठती, जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। कुछ राजनेताओं ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की और हमारी चिंता ये थी कि अगर वे ये उजागर करते हैं कि भारतीय कहां छिपे हैं, तो उन्हें बड़ा खतरा हो सकता है। इसलिए सरकार ने सभी की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए चुपचाप काम किया।
आज शिवमोग्गा में ऑपरेशन कावेरी के तहत सूडान से लौटे हक्की पिक्की जनजाति के लोगों ने पीएम @narendramodi को सुनाई आप बीती
धन्यवाद करते हुए उनहोने कहा “मोदी जी आपने हमें बच्चें की तरह बचाया, एक खरोंच भी नहीं आने दी” 🙏 pic.twitter.com/kVPWIrXOp0— Social Tamasha (@SocialTamasha) May 7, 2023
गौरतलब है कि हक्की पिक्की जनजाति एक अर्ध-खानाबदोश जनजाति है जो अपने पारंपरिक पौधों और जड़ी-बूटियों पर आधारित चिकित्सा प्रणालियों के लिए जानी जाती है। साथ ही इस जनजाति को पक्षियों को पकड़ने वाला समुदाय भी कहा जाता है। इस जनजाति की उत्पत्ति गुजरात और राजस्थान में हुई थी। हालांकि, बाद में ये आंध्र प्रदेश होते हुए दक्षिण भारत तक पहुंच गए। ऑपरेशन कावेरी के तहत संघर्षग्रस्त सूडान से कम से कम 3,862 भारतीयों को बचाया गया। इनमें हक्की पिक्की जनजाति के लोग भी शामिल थे।
हमने अभी-अभी ऑपरेशन कावेरी पूरा किया है। ये जटिल ऑपरेशन था। हम लगभग 4000 लोगों को सुरक्षित वापस लाए हैं। यह सबसे खतरनाक ऑपरेशन था। जब लड़ाई शुरू हुई तो ज्यादातर दूतावासों वहां से तुरंत चल गए लेकिन हमारे दूतावास वहां रुके रहे क्योंकि हमारे भारतीय वापस आ रहे थे: केंद्र सरकार की… pic.twitter.com/UOlEuDSLPu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 7, 2023