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निर्धन कल्याण सर्वोच्च प्राथमिकता: महंगाई से राहत देने के लिए मोदी सरकार का बड़ा कदम, 29.50 रुपये मिलेगा आटा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि निर्धन कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आम आदमी को महंगाई से राहत देने के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार अब 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से सस्ते आटे की सप्लाई शुरू करने जा रही है। सरकार इसे ‘भारत आटा’ के नाम से बेचेगी। केंद्रीय भंडार ने तो गुरुवार, 02 फरवरी से 29.50 रुपये की दर से आटा बेचना शुरू कर दिया है। देश में अभी आटे की कीमत 38 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब है।

नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) छह फरवरी से देशभर में इसी दाम पर आटे की बिक्री करना शुरू कर देगी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की बैठक में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ ने हिस्सा लिया। इसमें यह फैसला किया गया कि ये संस्थाएं एफसीआई डिपो से 3 लाख मीट्रिक टन गेहूं उठाएंगी। इस गेहूं को आटे में बदलने के बाद खुदरा दुकानों, सरकारी आउटलेट और मोबाइल वैन के जरिए ग्राहकों को 29.50 रुपये आटा दिया जाएगा।

गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में 25 जनवरी, 2023 को मंत्रियों की समिति ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की समीक्षा की थी। बैठक में खुला बाजार बिक्री योजना के माध्यम से एफसीआई स्टॉक से 30 लाख मीट्रिक टन गेहूं जारी करने का फैसला किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि किसी भी निगम, सहकारिता समिति या एनजीओ को ग्राहकों को 29.50 रुपये आटा देने के लिए सरकार की ओर से 23.50 रुपये की दर से गेहूं दिया जा सकता है।

पीएम-जीकेएवाई: एक साल और मिलेगा मुफ्त राशन
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। मोदी सरकार ने कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद साल 2020 में शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दिसंबर, 2023 के लिए और बढ़ा दिया। अब देश के 81.3 करोड़ से ज्यादा लोगों को दिसंबर, 2023 मुफ्त अनाज मिलेगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट बैठक के बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को मुफ्त राशन देने पर दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी और इसका बोझ केंद्र सरकार उठाएगी। केंद्र सरकार ने पिछले 28 महीनों में इस योजना पर 1.80 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

मोदी सरकार कोरोना महामारी के शुरुआत के समय में ही समाज के कमजोर वर्गों को लगातार बुनियादी सुविधाएं प्रदान रही हैं। पीएमजीकेएवाई की शुरुआत अप्रैल, 2020 में गरीबों की मदद के लिए की गई थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के माध्यम से महिलाओं, गरीब वरिष्ठ नागरिकों और किसानों को मुफ्त में अनाज के साथ नकद सहायता मिल रही है।

पीएम-जीकेएवाई से हर गरीब तक पहुंचा मुफ्त अनाज- प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि निर्धन कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में भी हम इसे लेकर प्रतिबद्ध रहे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने देशवासियों को आश्वस्त किया है कि सरकार हर मुसीबत में उनके साथ खड़ी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन की व्यवस्था करके दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है। इस शताब्दी के सबसे बड़े संकट कोरोना महामारी के बावजूद भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा जिसमें एक भी गरीब परिवार के घर में चूल्हा न जला हो, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में किया गया। इसके साथ ही वन नेशन- वन राशन कार्ड के कारण लगभग 93 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर की जगह कहीं और से लिया है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च, 2020 को लॉकडाउन के प्रभाव से 80 करोड़ गरीबों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के एक हिस्से के रूप में सरकार ने महिलाओं, गरीब वरिष्ठ नागरिकों, किसानों को मुफ्त में अनाज देने और नकद भुगतान करने की घोषणा की। इस पैकेज के तेजी से कार्यान्वयन पर केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से लगातार पैनी नजर रखी गई। राहत के उपाय तेजी से जरूरतमंदों तक पहुंच सके इसके लिए फि‍नटेक और डिजिटल तकनीक का उपयोग किया गया। डीबीटी यह सुनिश्चित करता है कि राशि सीधे लाभार्थी के खाते में ही जमा हो। डीबीटी से धनराशि के कहीं और न जाने की गुंजाइश ही नहीं रहती।

पीएम गरीब कल्याण धन योजना के तहत किसानों, मनरेगा, गरीब विधवा, गरीब पेंशनधारी और दिव्यांगों, और जनधन अकाउंट धारी महिलाओं, उज्ज्वला योजना की लाभार्थी महिलाएं, स्वयं सेवा समूहों की महिलाओं और संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों, कंस्ट्रक्शन से जुड़े मजदूरों को मदद दी गई है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में हर गरीब को 5 किलो का अतिरिक्त गेहूं और चावल, यानी कुल 10 किलो का गेहूं या चावल मिला है। इसके साथ ही उन्हें 1 किलो दाल भी मिला है।

अतिरिक्त खाद्यान्न 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति माह के आधार पर दिया गया है, जो उनके नियमित मासिक राशन वाले अनाज के अलावा उन्हें प्राप्त हुआ है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना रहा कि कोई भी गरीब, कमजोर या जरूरतमंद लाभार्थी या उसका परिवार महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट के दौरान अनाज की कमी के कारण परेशान नहीं होना चाहिए।

पहले 2020-21 के दौरान पीएम-जीकेएवाई योजना की घोषणा केवल तीन महीने अप्रैल, मई और जून 2020 (पहले चरण) के लिए की गई थी। बाद में, गरीबों और जरूरतमंद लाभार्थियों की खाद्य-सुरक्षा को देखते हुए सरकार ने इसे जुलाई से नवंबर 2020 (दूसरे चरण) तक पांच महीने की अवधि के लिए और बढ़ा दिया था।

कोरोना संकट के 2021-22 में जारी रहने के कारण अप्रैल 2021 में सरकार ने फिर से मई और जून 2021 (तीसरे चरण) और फिर जुलाई से नवंबर 2021 (चौथे चरण) तक पांच महीने के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद, नवंबर 2021 में कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने मुफ्त अनाज का वितरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 (पांचवें चरण) तक जारी रखने का फैसला किया। प्रधानमंत्री मोदी ने PMGKAY को एक बार फिर अप्रैल 2022 से बढ़ाकर सितंबर 2022 तक कर दिया। सितंबर में सरकार ने पीएमजीकेएवाई की समयसीमा को तीन महीने के यानी 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया था। अब इसे दिसंबर 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। 

IMF ने की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की तारीफ
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की तारीफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी की है। आइएमएफ ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने जिस तरह से काम किया, वह काफी सराहनीय है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चलाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की तारीफ करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि इससे देश में गरीबी रोकने में मदद मिली है। इस योजना से कोरोना महामारी के समय में भी समाज के कमजोर वर्गों को लगातार बुनियादी सुविधाएं मिलती रही। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के माध्यम से महिलाओं, गरीब वरिष्ठ नागरिकों और किसानों को मुफ्त में अनाज के साथ नकद सहायता मिली है।

आईएमएफ ने अपनी नई रिपोर्ट में पाया कि 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी का स्तर 1 प्रतिशत से कम था जो वर्ष 2020 के दौरान भी उसी स्तर पर बना रहा। ‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत के सबूत’ पर जारी शोध के रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण कोरोना काल में भी भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई। रिपोर्ट के अनुसार महामारी से पहले वर्ष 2019 में अत्यधिक गरीबी का स्तर 0.8 प्रतिशत था और इस खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का प्रभाव यह हुआ कि यह महामारी वर्ष 2020 में भी उसी स्तर पर बना रहा। आईएमएफ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अत्यधिक गरीबी का स्तर लगातार दो साल तक निम्न स्तर पर बना रहना, इसमें भी एक साल तो महामारी का था, साबित करता है कि देश में तेजी से गरीबी उन्मूलन हो रहा है। यह योजना देश में अत्यधिक गरीबी के स्तर में बढ़ोतरी रोकने में अहम रही है। इसने कोरोना काल के दौरान गरीबों की आय पर लगे झटके को सहन करने में बड़ी मदद की है।

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