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गहलोत सरकार के झूठ का पर्दाफाश : डेंगू पर सरकारी आंकड़ों से तीन गुना मरीज और दस गुना ज्यादा मौतें

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राजस्थान में कोरोना से राहत के बाद अब डेंगू कोहराम मचा रहा है। डेंगू के मरीजों का आंकड़ा हर दिन नए रिकार्ड बना रहा है। हैरत की बात तो यह है कि सरकार का चिकित्सा विभाग डेंगू के मरीजों के इलाज के समुचित इंतजाम करने के बजाए आंकड़ों को छिपाने की बाजीगरी करने में लगा है। चिकित्सा विभाग पूरे राज्य में डेंगू से जितनी मौतें बता रहा है, उससे दस गुना ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।डेंगू से लड़ने के लिए कागजी इंतजाम
राज्य में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा शून्य होने के बाद लोगों ने अभी राहत की सांस ली ही थी कि डेंगू ने हमला बोल दिया। दीवाली से पहले इस मौसम में डेंगू का डंक लगभग हर बार आता है, लेकिन चिकित्सा विभाग पहले के ही इंतजाम न कर इसके फैलने का इंतजार करता है। ऐसा ही इस बार भी हुआ। फोगिंग आदि की याद डेंगू के पूरी तरह पांव पसार लेने के बाद आई।

राजधानी जयपुर में ही डेंगू के 25 लोगों की मौत
हैरानी की बात यही है कि सरकार अब भी इसे गंभीरता से लेती नजर नहीं आ रही। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में अभी लगभग 7894 डेंगू के मरीज हैं और अब तक इस बीमारी के केवल दस लोगों की मौत हुई है। वास्तविकता इसके ठीक उलट है। अकेले राजधानी जयपुर में ही डेंगू के 25 लोगों की मौत हो चुकी है।प्रदेश में डेंगू के 100 के ज्यादा मौतें
चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि डेंगू के सर्वाधिक मरीज 1915 जयपुर में हैं। इसके बाद बड़े शहरों में से कोटा में 838, अलवर में 482, धौलपुर में 432, बीकानेर में 324, भीलवाड़ा में 270 मरीज हैं। पड़ताल में सामने आया है कि अकेले जयपुर जिले में ही छह हजार से ज्यादा डेंगू के मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों में हैं। प्रदेश में करीब 20 हजार मरीजों में से सौ के ज्यादा लोगों की डेंगू से मौत हो चुकी है।

चिकित्सा विभाग कम बता रहा है आंकड़े
दरअसल, चिकित्सा विभाग डेंगू के एलाइजा टेस्ट वाले मरीजों को ही गिनकर आंकड़े कम बता रहा है, जबकि प्रदेश में कार्ड टेस्ट वाले मरीज, प्लेटरेट कम और बुखार के हजारों मरीज इस समय मौजूद हैं। हालात यह है कि मानसरोवर, सांगानेर, वैशाली, कोटपुतली के कुछ निजी अस्पतालों को तो डेंगू के मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था करनी पड़ रही है।मंत्री का विभाग के काम पर पूरा ध्यान नहीं
बीमारियों की रोकथाम की दिशा में प्रभावी कदम न उठाए जाने की एक वजह चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा भी हैं। कांग्रेस ने जब के उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया है, तब के ही उन्हें मंत्री पद के हटाने के कयास चल रहे हैं। इसलिए शर्मा अनमने मन के ही विभाग का काम देख रहे हैं। इस बीच डेंगू के अलावा चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस, स्वाइन फ्लू ने भी प्रदेश भर में आंखें दिखाना शुरू कर दिया है।

 

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