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Rajasthan चुनाव परिणाम से पहले ही निकलने लगे कांग्रेस के घोटाले, मिनिस्टर शांति धारीवाल ने जिस चंबल रिवर फ्रंट का निर्माण कराया, उसके इंजीनियर के पास मिला ‘कुबेर का खजाना’

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राजस्थान की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार की पोल चुनाव परिणाम आने से पहले ही खुलने लगी है। कोचिंग सिटी कोटा में जिस चंबल रिवर फ्रंट में करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप बीजेपी निरंतर लगा रही थी, उसे बनाने वाले यूआईटी के इंजीनियर के पास से छापे में कुबेर का खजाना मिला है। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जब चंबल रिवर फ्रंट का काम देख रहे सरकारी इंजीनियर कमल मीणा के घर आय से अधिक संपत्ति के मामले में सर्च की तो करोड़ों की प्रॉपर्टी की जानकारी सामने आई। कोटा नगर विकास न्यास में पोस्टेड आरोपी इंजीनियर करोड़ों की कीमत के प्लॉट्स, गोल्ड और 10 करोड़ के हॉस्टल का भी मालिक है। पीएम मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान करोड़ों की काली कमाई और सोना लॉकरों से निकलने की बात कही थी। बता दें कि इसी चंबल रिवर फ्रंट पर घंटा लगाने के लिए यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल ने इतना दबाव बनाया था कि उनकी जल्दबाजी ने दो इंजीनियरों की जान ही ले ली थी।

बीजेपी के पूर्व विधायक और आर्य के बेटे ने लगाए थे UIT इंजीनियर्स पर आरोप
कोटा रिवर फ्रंट को लेकर करीब दो माह पहले कोटा उत्तर से पूर्व विधायक रहे प्रहलाद गुंजल ने UIT में बड़े घोटाले का आरोप लगाया था। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से टेंडरों में बड़े भ्रष्टाचार की बात कही थी। वहीं इसी माह 20 नवंबर को रिवर फ्रंट पर दुनिया की सबसे बड़ी घंटी निकालते हुए इंजीनियर देवेंद्र आर्य की मौत हो गई थी। इसी मामले में उनके बेटे ने भी UIT इंजीनियर पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मंत्री शांति धारीवाल के पॉलिटिकल प्रेशर के चलते उनके पिता को परेशान किया जा रहा है। अब एसीबी ने यूआईटी में चंबल रिवर फ्रंट का काम देख रहे इंजीनियर कमल मीणा पर रेड की कार्रवाई की है। कमल मीणा की मूल पोस्टिंग राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड में है। लेकिन अपनी जुगाड़ के चलते वह 10 साल से ज्यादा समय से यूआईटी में ही पोस्टेड है। यूआईटी में रहते हुए उसका प्रमोशन भी हुआ है। वर्तमान में कमल मीणा के पास एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का चार्ज है। कोटा में करोड़ों के प्रोजेक्टों में कमल मीणा शामिल रहा है। जिनमें चंबल रिवर फ्रंट भी शामिल है।

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने तीन ठिकानों पर चलाया अभियान
राजस्थान के कोटा में एसीबी की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आय से अधिक संपत्ति मामले में एक सहायक अभियंता के पास भारी मात्रा में सोना, चांदी और भूखंड के दस्तावेज बरामद किए हैं। एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर इंटेलिजेंस की इकाई की टीम ने कमल मीणा के तीन अलग-अलग ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त महानिदेशक हेमन्त प्रियदर्शी ने बताया कि “ब्यूरो मुख्यालय द्वारा मिली सूचना के आधार पर राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड के सहायक अभियंता कमल मीणा के विरुद्ध शिकायत का सत्यापन करने के लिए एक टीम गठित की गई। जिसके लिए एसआई डब्ल्यू जयपुर इकाई और इंटेलिजेंस यूनिट के सहयोग से ललित शर्मा विशेष अनुसंधान इकाई जयपुर के नेतृत्व में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत, एसीबी कोटा ग्रामीण और अन्य टीमों की संयुक्त कार्रवाई में सहयाक अभियंता के तीन विभिन्न ठिकानों पर तलाशी की कार्रवाई की गई।यूआईटी इंजीनियर और उसकी पत्नी पर वैध आय से बहुत अधिक संपत्ति मिली
अतिरिक्त महानिदेशक हेमन्त प्रियदर्शी के मुताबिक, ब्यूरो की प्रथम सूचना रिपोर्ट के प्राथमिक आकलन और अब तक मिले दस्तावेजों के अनुसार सहायक अभियंता कमल मीणा और उसकी पत्नी पर अनेक परिसम्पत्तियां अर्जित करने की सूचना है, जो उनकी वैध आय से आनुपातिक रूप से बहुत ही अधिक है। आरोपी इंजीनियर द्वारा अपनी अवैध आय को कोटा, जयपुर, केशोरायपाटन, बूंदी में आवासीय, व्यावसायिक भूखण्डों, फ्लैटों और म्यूचअल फण्ड, इन्श्योरेन्स आदि में निवेश की सूचना मिली है। जयपुर में एसीबी मुख्यालय को कमल मीणा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति होने का इनपुट मिला था। जिस पर FIR दर्ज हुई है। इसके बाद जयपुर, कोटा व टोंक एसीबी की टीमों ने बुधवार सुबह से यूआईटी इंजीनियर कमल मीणा के घर व हॉस्टल पर सर्च की कार्रवाई शुरू की।जानिए क्या है पूरा मामला और ACB को सर्च ऑपरेशन में क्या-क्या मिला?
एक अन्य टीम कोटा यूआईटी के इंजीनियर कमल मीणा के कल्पना चावला सर्किल विवेकानन्द नगर स्थित घर पहुंची। वहीं अन्य टीमों ने घर, बैंक और हॉस्टल में सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें ACB को करोड़ों की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं। एसीबी के अनुसार, कमल मीणा ने खुद व पत्नी के नाम से कोटा, जयपुर, केशवरायपाटन बूंदी में आवासीय/व्यवसायिक/भूखंडों फ्लैट्स, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस में निवेश किया हुआ है। कमल मीणा के घर से 32 हजार 110 रुपए की नगदी, 22 लाख का गोल्ड, डेढ़ किलो से ज्यादा चांदी व परिजनों के नाम से अलग-अलग जगहों पर 29 आवासीय व कृषि भूखंडों के दस्तावेज मिले हैं। ACB अधिकारियों का कहना है कि मीणा के ठिकानों पर सर्च अभियान जारी है। जिसमें और भी खुलासा होने की उम्मीद है।

10 करोड़ का आठ मंजिला हॉस्टल, PWD करेगा संपत्ति का आंकलन
ACB की टीम कमल मीणा के हॉस्टल में भी पहुंची। ये हॉस्टल सालभर पहले ही बनाया गया है। अंदर पहुंची तो देखकर चौंक गई। हॉस्टल बोरखेड़ा, बारां रोड़ स्थित कॉरल पार्क में है। इस 8 मंजिला हॉस्टल को दो प्लॉट को मिलाकर बनाया गया है। इस हॉस्टल में कुल 83 रूम है। हर रूम में एसी व फर्नीचर लगा हुआ है। हर फ्लोर पर करीब 10 कमरे बनाए हुए हैं। ACB अधिकारियों के अनुसार, कमल मीणा ने साल 2022 में हॉस्टल निर्माण का काम शुरू करवाया था। इस हॉस्टल की कीमत 8 से 10 करोड़ रुपए बताई जा रही है। एसीबी की टीम जब्त दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। ये 29 प्लॉट कब कब व कितने कितने रुपये में खरीदे गए। इसे लेकर पूछताछ की जा रही है। एसीबी की टीम ने सर्च कार्रवाई में मिले दस्तावेजों की कीमत करोड़ों में बताई है।

राजस्थान में मंत्री ही बन रहे हैं मासूम जनता के कातिल…
राजस्थान में मंत्री ही मासूम जनता के `हत्यारे’ बन रहे हैं। पहले जल संसाधन मंत्री महेश जोशी ने एक व्यक्ति को इतना प्रताड़ित किया कि उसने घबराकर जान ही दे दी। अब नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल दो इंजीनियरों की मौत के बाद सवालों के घेरे में। आरोप है कि विधानसभा चुनाव से पहले ही कोटा में दुनिया का सबसे बड़ा घंटा लगाने के लिए उन्होंने और यूआईटी अध्यक्ष ने इंजीनियरों पर दबाब बनाया। चुनाव आचार संहिता लगी होने के बावजूद इस काम को तत्काल कराने के पीछे राजनीतिक मंशा विधानसभा चुनाव में फायदा लेने की थी। लेकिन स्वार्थ भरी इस राजनीति, दबाव और घंटा लगाने की जल्दबाजी ने दो लोगों की जान ही ले ली। रिवर फ्रंट पर बनाए गए घंटे को लेकर भी यूआईटी पर आरोप लगाए गए थे। मृतक इंजीनियर देवेन्द्र आर्य के बेटे धनंजय आर्य ने आरोप लगाया था कि मोल्ड बॉक्स से घंटी निकालते समय हादसा हुआ था। जिसमें कांट्रेक्टर इंजीनियर देवेंद्र आर्य और उनके सहयोगी छोटू की मौत हो गई थी। इस मामले में मंत्री धारीवाल और यूआईटी अधिकारी लगातार घंटे को जल्दी खोलने के लिए दबाव बना रही थे. धनंजय का आरोप था कि अधिकारी चुनाव से पहले घंटी खोलने का दबाव बना रहे थे।

चुनाव के चलते मंत्री-अधिकारी की जिद ने इंजीनियर पर बनाया दबाव
बहुचर्चित कोचिंग सिटी कोटा के चंबल रिवर फ्रंट पर विश्व का सबसे बड़ा घंटा लगा है। इसका वजन लगभग 79000 किलो है और इसे विशेष तकनीक से लंबी मेहनत के बाद तैयार किया गया। घंटा को पिछले कुछ समय से मोल्ड बॉक्स के अंदर पैक रखा गया था। करोड़ों की लागत से बनाए गए चंबल रिवर फ्रंट का पिछले दिनों ही सीएम अशोक गहलोत ने लोकार्पण किया था। इस दौरान गहलोत सरकार की करीब-करीब पूरी कैबिनेट कोटा पहुंची थी। इसी रिवर फ्रंट पर लगे घंटा का तत्काल खोलने का दबाव नगर विकास मंत्री शांति धारीवाल, जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद मीणा बना रहे थे।

 

पिता ने चेताया था कि जल्दबाजी में घंटा टूट सकता है, लेकिन मंत्री नहीं माने
इंजीनियर देवेंद्र आर्य के बेटे का आरोप है कि उसके पिताजी को धारीवाल, अनूप बरतरिया और जिला कलेक्टर उन्हें घंटा जल्दी खोलने के लिए धमका रहे थे। जबकि उन्होंने कहा था कि इस घंटे को चुनाव के बाद तकनीकी प्रोसेस के साथ खोलेंगे। जल्दबाजी में यह घंटा टूट सकता है। लेकिन, वे नहीं माने और वही हुआ, जल्दबाजी ने उसके पिता की जान ले ली। इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। जनता की गाढ़ी कमाई को खर्च कर करीब 1500 करोड़ रुपये का यह चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट पहले दिन से ही विवादों में है। क्योंकि इसे चंबल नदी की चौड़ाई सीमा में घड़ियाल सेंचुरी सीमा के पास बनाया गया है। कोटा बैराज के डाउन स्ट्रीम में होने के साथ-साथ वन्यजीव अधिनियम, पर्यावरणीय कानूनों का उल्लंघन होने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) पहले ही इस पर कोटा यूआईटी, राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर चुका है। अब दो लोगों की मौत ने इसे और भी भयावह बना दिया है।चीफ आर्किटेक्ट और बेल प्रोजेक्ट इंजीनियर देवेंद्र आर्य की पहले भी हुई हॉट-टॉक
यहां बता दें कि दुनिया की सबसे बड़े इस घंटा के सांचे का खोलने को लेकर चीफ आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया और बेल प्रोजेक्ट इंजीनियर देवेंद्र आर्य की पहले भी हॉट-टॉक हो चुकी है। बरतरिया की घंटा को सांचे से बाहर निकालने में जल्दबाजी के कारण देवेंद्र आर्य ने पहले कहा भी था कि वे इस वर्ल्ड क्लास प्रोजेक्ट में कोई समझौता नहीं करेंगे। देवेंद्र आर्य ने 28 अगस्त, 2023 को जिला कलेक्टर और नगर विकास न्यास (यूआईटी) अध्यक्ष को पत्र लिखकर सूचित किया था कि यह वर्ल्ड क्लास घंटा जिसका मूल मैटल का वजन 79 टन है। इसको बॉक्सेज में कवर करने के बाद सिलिका मिट्टी के कारण इसका वजन बढ़कर 2500 मैट्रिक टन हो गया था। इसलिए इसे तकनीकी तौर पर एक निश्चित प्रक्रिया के तहत ही खोला जाएगा।

27 बॉक्स में बंद घंटा निश्चित प्रोसेस के तहत खोला जाना था, लेकिन…
लेकिन नगर विकास मंत्री शांति धारीवाल चुनावी फायदे के लालच में मतदान से पहले इसे खोलने पर अड़े हुए थे। उनका साथ अनूप बरतरिया ने दिया। इन दोनों की जल्दबाजी के कारण यह हादसा हो गया। इधऱ, जोधपुर निवासी इंजीनियर के पुत्र ने कोटा में मीडिया को दिए बयान में कहा कि उसके पिता यह घंटा बना रहे थे। जिसमें उन्हें कई वर्ल्ड रिकॉर्ड मिलने थे। वे डायबिटीज के रोगी थे और हार्ट की बाइपास सर्जरी हो चुकी थी। उन्होंने बरतरिया और धारीवाल एवं प्रोजेक्ट इंजीनियर को बता दिया था कि 27 बॉक्स में बंद यह घंटा निश्चित प्रोसेस के तहत ही खोली जा सकती है। इसमें जल्दबाजी नहीं हो सकती। लेकिन, विधानसभा चुनाव के कारण धारीवाल, बरतरिया और जिला कलेक्टर उनके पिता पर इन बॉक्सेज को जल्दी खोलने के लिए दबाव डालकर इस काम पर लगा दिया।

गृह जिले के होने के बावजूद गहलोत नहीं कर रहे हैं कोई सुनवाई
इंजीनियर देवेंद्र आर्य के बेटे का आरोप है कि उनके पिता के पास धारीवाल, बरतरिया, कलेक्टर और बड़े लोगों के फोन आते थे। वे कहते थे कि इसे जल्दी खोलो वरना….इतना कहकर फोन काट देते थे। उसका कहना है कि धारीवाल मतदान से पहले इसे खुलवाकर श्रेय लेना चाहते थे। क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे उन्हें वोटों में फायदा मिल सकता है। पता नहीं 80-85 साल की उम्र में ये सदन में जाकर क्या कर चाहते हैं। उसका कहना है कि इसमें इन्हें करोड़ों रुपये बच रहे थे। आर्य के पुत्र का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद जोधपुर के हैं, इसके बावजूद उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

राजस्थान के जलदाय मंत्री महेश जोशी भी बने “मृत्युदाय” मंत्री

राजस्थान की कांग्रेस सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री गहलोत के चहेते वाटर सप्लाई मिनिस्टर महेश जोशी एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। पहले उनके बेटे पर एक महिला ने दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। इस बार खुद जलदाय मंत्री जोशी ही ‘मृत्युदाय मंत्री’ बन गए हैं। जोशी पर आरोप है कि उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक युवक को इतना परेशान किया कि इससे घबराकर उसने जान ही दे दी। फंदा लगाकर खुदकुशी करने से पहले युवक ने एक वीडियो भी बनाया और बेटे-बेटी को भेज दिया। जयपुर के सुभाष चौक इलाके के युवक ने वीडियो में जलदाय मंत्री महेश जोशी समेत कुछ लोगों पर परेशान करने का आरोप लगाया है। पहले पुलिस जलदाय मंत्री के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी, लेकिन लोगों के दबाव और धरना-प्रदर्शन के बाद मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। पीड़ित आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। गहलोत सरकार के और भी मंत्री विवादों में रह चुके हैं। राजस्थान में यह कांग्रेस नेताओं और उनके सुपुत्रों की काली करतूत का पहला कारनामा नहीं है। रेपिस्तान बने राजस्थान में इससे पहले भी  कांग्रेस विधायक जौहरी लाल मीणा के पुत्र ने भी नाबालिग से रेप का कारनामा किया था। तब दौसा में एक 15 साल की नाबालिग ने विधायक पुत्र पर दोस्तों के साथ मिलकर गैंगरेप करने का केस दर्ज कराया था।

जमीन के पट्टे के बाद भी मंत्री बोले- मंदिर के पास रहने का अधिकार नहीं
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कैबिनेट मंत्री महेश जोशी समेत 8 लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ है। एफआईआर मृतक राम प्रसाद मीणा (43) के भाई महावीर मीणा की शिकायत पर दर्ज की गई है। महावीर ने पुलिस को बताया कि मंत्री जोशी और उनके 6-7 सहयोगी लगातार उनके भाई और परिवार के लोगों को जमीन के लिए परेशान कर रहे थे। इन लोगों ने मेरे परिवार के लोगों को जाति सूचक गाली भी दी। कहा- तुम्हारा मंदिर के पास में रहने का कोई अधिकार नहीं है, जबकि हमने इस जमीन का पट्टा 2017 में नगर निगम से लिया हुआ है। इसके बावजूद हमारी जमीन पर मकान का निर्माण करने पर नगर निगम का गार्ड आ जाता है। कभी नगर निगम की गाड़ी आ जाती है। कई बार बात करने के बावजूद हमें परेशान कर रहे हैं।हवामहल विधायक व कैबिनेट मंत्री जोशी की धमकी से डरकर किया सुसाइड
डीसीपी नॉर्थ शशि डोगरा ने कहा कि मृतक के भाई महावीर ने बताया कि उसके भाई ने मरने से पहले उसे बताया था कि मंदिर संचालक देवेन्द्र शर्मा, ललीत शर्मा, राकेश टांक, मुंजी टाक व उनका साथी देव अवस्थी, लालचन्द देवनानी, हिमांशु देवनानी और हवामहल विधायक व कैबिनेट मंत्री महेश जोशी उसे लगातार परेशान कर रहे हैं। अपनी ही जमीन पर मकान बनाने के लिए जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। बोल रहे हैं- तुम इस जमीन को खाली कर दो। वरना, हमारे से बुरा कोई नहीं होगा। रोज-रोज की धमकियों और परेशानी से तंग आकर उसके भाई ने कमरे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। सुसाइड करने के पहले उसने इसके लिए मंत्री और उसके साथियों को जिम्मेदार ठहराते हुए वीडियो बनाया, जिसे अपने बेटे-बेटी को भेज दिया। वीडियो देखकर परिजन जब तक राम प्रसाद के पास पहुंच पाते, तब तक वह फंदे पर झूल चुका था।

विजिलेंस अधिकारी नील कमल मीणा बोला- मुझपर मंत्री जोशी का है दबाव
सुसाइड करने वाला राम प्रसाद (43) चांदी की टकसाल काले हनुमान मंदिर के पास रहता था। यहां से 200 मीटर दूर ही उसकी जमीन है। इस जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। घरवालों ने बताया कि सुबह राम प्रसाद जल्दी ही घर से निकल गया। घर से 200 मीटर दूर टी शॉप के पास एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के ऑफिस में पहुंचा। सुबह 5 बजे चौकीदार ऑफिस खोलने के बाद निकल गया था। ऑफिस में ही राम प्रसाद ने फंदा लगा लिया। सुबह 6 बजे उधर से निकल रहे एक ऑटो ड्राइवर ने शव लटका हुआ देखा। ऑटो ड्राइवर ने पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस को दी शिकायत में महावीर ने कहा कि हम लोग नगर निगम अधिकारी नील कमल मीणा के पास गए थे। उन्हें दस्तावेज दिखाए तो उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर महेश जोशी मंत्री का दबाव है। इसका काम रोका जाए। इसके बाद हमारा पूरा परिवार 13 अप्रैल को सिविल लाईंस स्थित महेश जोशी के घर गया। महेश जोशी मंत्री ने वहां पर भी हमें धमकाया।

 

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