चुनावों में सिर्फ जनता को ही अपनी हसरतें पूरी करने का मौका नहीं मिलता, बल्कि नेतागण भी अपने दिग्गजों से पुराना हिसाब बराबर करते हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ आजकल यही हो रहा है। गहलोत सरकार पर चौतरफा वार के चलते कांग्रेस के समीकरण विधानसभा चुनाव में गड़बड़ा गए हैं। पहले गहलोत ने आलाकमान को दरकिनार कर एकला चलो की नीति अपनाई तो सचिन पायलट समेत कई कांग्रेसी दिग्गजों ने प्रदेश भर में चुनाव प्रचार से कन्नी काट ली। पीएम मोदी की लगातार चुनावी सभाओं में अपार जन समर्थन से कांग्रेस के होश उड़े तो लाल डायरी के पन्नो ने कांग्रेसियों का मुंह काला कर दिया। अब विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी ही कई कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने खुलकर ताल ठोंक रहे हैं। बागियों को चुनावी समर से हटाने की जिम्मेदारी को गहलोत और उनकी सलाहकार मंडली पूरा नहीं कर पाई है। इसके चलते धारीवाल और खाचरियावास समेत कई मंत्रियों को भी चुनाव में कड़ी चुनौती मिल रही है, जो कांग्रेस के लिए नुकसान का बड़ा सौदा साबित हो सकती है।‘कौन आलाकमान’ कहने वाले शांति को टिकट, जोशी के लिए नहीं मना पाए सीएम
मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा चुनाव में 156 सीटें लाने के दावे कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की जीत की राह में कई विधानसभाओं में रोड़े खुद कांग्रेसी ही बन रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने बागी कांग्रेस नेताओं को बैठाने का काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपा था। । बागियों को मनाने के लिए दस दिन पहले केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी, लेकिन न तो कांगेसी दिग्गजों की तिकड़ी और न ही इस कमेटी को कोई खास सफलता नहीं मिली। मुख्यमंत्री अपने खास सिपहसालार मंत्री महेश जोशी को टिकट नहीं दिला पाए, लेकिन ‘कौन आलाकमान’ कहने और खुली बगावत करने वाले मंत्री शांति धारीवाल टिकट ले आए। उनकी मर्दों वाली टिप्पणी से भी प्रियंका समेत आलाकमान ने आंखें मूंदकर उनकी झोली मे कोटा से फिर टिकट डाल दी।
गहलोत के एकला चलो की रणनीति से पायलट ने खुद को टोंक तक किया सीमित
दरअसल, राजस्थान में पांच साल तक चली गहलोत वर्सेज पायलट की लड़ाई अब शीत युद्ध में तब्दील हो चुकी है। इस लड़ाई में गहलोत ने पायलट को नाकारा-निकम्मा तक कर दिया था और पायलट को राजस्थान की राजनीति से किनारे करने की चालें चलीं थीं। गहलोत की एकला चलो नीति के चलते राज्य में अग्रिम पंक्ति के नेता पायलट समेत आलाकमान भी कांग्रेस के पोस्टरों से गायब है और गहलोत के साथ उनके कठपुतली अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के पोस्टर-होर्डिंग्स लग रहे हैं। यही वजह है पिछले विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में ढाणी-ढाणी तक एक्टिव रहे सचिन पायलट ने इस चुनाव में खुद को अपने विधानसभा क्षेत्र टोंक तक ही सीमित कर लिया है। जब दिल्ली से कोई नेता आता है तो दिखावे के लिए वे पोस्टर में आ जाते हैं और पायलट भी मुंह दिखाई की रस्म अदा करके आ जाते हैं। हालांकि अजमेर के प्रभारी होने के बावजूद सचिन पायलट कांग्रेस की यात्रा में यहां नजर नहीं आए थे।
पीएम मोदी लगातार खोल रहे कांग्रेस के करप्शन और कुशासन की पोल
कांग्रेस को एक बड़ा खतरा पीएम मोदी समेत बीजेपी के स्टार प्रचारकों के तूफानी प्रचार अभियान से भी लग रहा है। पीएम मोदी की सभाओं में जिस तरह का जन सैलाब उमड़ रहा है और प्रधानमंत्री कांग्रेस के करप्शन और कुशासन की जिस तरह से निरंतर पोल खोल रहे हैं, उससे कांग्रेस थिंक टैंक सकते में आ गया है। इसके चलते गहलोत को अब एकला चलो की नीति से हटकर कांग्रेस के बड़े नेताओं की सभाएं करानी पड़ रही हैं। इस बीच पार्टी में बगावत न थमने के कारण कांग्रेस ने एक साथ 49 बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। पार्टी से निष्कासित किए गए इन 49 नेताओं में से 44 अलग-अलग विधानसभा सीटों पर पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी के सामने चुनावी मैदान में उतरे हैं। पार्टी से निष्कासित किए गए नेताओं में विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, विक्रम सिंह गुर्जर, वाजिद खान जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
बगावत करने वाले नेताओं में ज्यादातर हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी
राजस्थान में मुफ्त की गारंटियों और लोक लुभावन योजनाओं के जरिए कांग्रेस सत्ता में लौटना चाहती है, लेकिन पार्टी के करीब 25 से ज्यादा बागियों ने आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनावी समर में खम ठोंक दिया है। उनके नामांकन दाखिल करने के बाद से कांग्रेस का और सिरदर्द बढ़ गया। खास बात यह है कि ऐसा माना जा रहा है कि इनमें से ज्यादातर गहलोत के करीबी हैं। इसीलिए आलाकमान ने गहलोत समेत अन्य नेताओं को बागियों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी। मान मनौव्वल के लंबे दौर के बाद भी दो दर्जन से ज्यादा बागी चुनाव मैदान में हैं, जो सीधे तौर पर कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। मसूदा में पूर्व संसदीय सचिव ब्रहमदेव कुमावत, हिंडौन में बृजेश जाटव, मनोहर थाना में पूर्व विधायक कैलाश मीणा, अजमेर दक्षिण में हेमंत भाटी, नगर में गोविंद शर्मा, शाहपुरा में विधायक आलोक बेनीवाल, नागौर में पूर्व मंत्री हबीर्बुर रहमान एवं राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ में विधायक जौहरी लाल मीणा ने कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनावी समीकरण बिगाड़ रखे हैं। जौहरीलाल ने तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र सिंह पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया है। अजमेर दक्षिण से कांग्रेस के बागी हेमंत भाटी ने जरूर नाम वापस ले लिया।कांग्रेस के 25 बागी नेताओं ने सीधे पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ मोर्चा खोला
राजस्थान में पार्टी से बगावत करने वालों में सबसे ज्यादा नाम गहलोत के करीबियों का है। इसीलिए आलाकमान ने संगठन के महारथी माने जाने वाले राजस्थान से ही राज्यसभा सांसद और लंबे अरसे तक प्रभारी रहे मुकुल वासनिक को राजस्थान से कनेक्ट किया है। पार्टी अब इसके लिए भी तैयार है कि अगर कोई बागी नहीं मानता है तो उसे 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित भी किया जा सकता है। कांग्रेस की बात करें तो यहां 25 बागी नेताओं ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इनमें सरदारपुर से नगर परिषद के मौजूदा सभापति राजकरण चौधरी, फलोदी से वरिष्ठ नेता व सरपंच कुंभ सिंह पालावत, सागवाड़ा से सरपंच संघ जिला संरक्षक पन्नालाल डोडियार, सिवाना से पूर्व अध्यक्ष राजसिको, सूरसागर से पूर्व मेयर जोधपुर रामेश्वर दाधीच बागी होकर पर्चा भर चुके हैं।
कांग्रेस प्रत्याशियों को अपनी ही पार्टी के बागियों से मिल रही कड़ी चुनौती
राजस्थान में कांग्रेस प्रत्याशियों को अपनी ही पार्टी के बागियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। ये बागी नेता कई सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इनमें शाहपुरा से पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल, नगर से तीन बार जिला अध्यक्ष रहे डॉक्टर गोविंद शर्मा, गंगापुर सिटी से रेलवे अधिकारी रघुवीर सिंह, केकड़ी से पूर्व विधायक बाबूलाल सिंघानिया, पुष्कर से पूर्व विधायक गोपाल माहिती, अजमेर दक्षिण से पीपीसी सदस्य हेमंत भाटी, खीमसर से पूर्व प्रत्याशी दुर्ग सिंह चौहान, चौरासी से पीसीसी महासचिव महेंद्र बरजोड़, नागौर से पूर्व मंत्री हबीबुल्लरह्मान, लूणकरणसर से पूर्व गृह राज्य मंत्री रविंद्र बेनीवाल, डूंगरपुर से मौजूदा प्रधान देवराज रोत, कामा से वरिष्ठ कांग्रेस नेता खुर्शीद अहमद, छबड़ा से आरयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नरेश मीणा, पीपल्दा से देहात जिला अध्यक्ष सरोज मीणा, बड़ी सादड़ी से प्रकाश चौधरी, मनोहरनाथ से पूर्व विधायक कैलाश मीणा, बांदीकुई से पूर्व जिला प्रमुख विनोद शर्मा बागी हो चुके हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
जानिए, राजस्थान में किस सीट पर है कांग्रेस का कौन बागी नेता
1. बसेड़ी-खिलाड़ीलाल बैरवा
2. राजगढ़-लक्ष्मणगढ़- जौहरीलाल मीणा
3. जालौर- रामलाल मेघवाल
4. छबड़ा-नरेश मीणा
5. शिव-फ़तेह खान
6. पुष्कर-श्रीगोपाल बाहेती
7. सादुलशहर-ओम बिश्नोई
8. खींवसर-दुर्ग सिंह चौहान
9. डूंगरपुर-देवाराम रोत
10. नागौर-हबीबुर्रहमान
11. गंगानगर-करुणा चांडक
12. ब्यावर-मनोज चौहान
13. शाहपुरा-आलोक बेनीवाल
14. सिवाना-सुनील परिहार
15. मनोहरथाना से कैलाश मीणा
16. सरदारशहर-राजकरण चौधरी
17. सवाईमाधोपुर-अजीजुद्दीन आज़ाद
18. लूणकरसर-वीरेंद्र बेनीवाल
19. केशोरायपाटन-राकेश बोयत
20. महवा-रामनिवास गोयल
21. चौरासी-महेंद्र बारजोड़
22. मालपुरा-गोपाल गुर्जर