कांग्रेस में अंदरूनी कलह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर खुलकर सामने आई गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जिस जातिगत जनगणना की पुरजोर वकालत कर रहे हैं, उसपर उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता ही उनके साथ नहीं है और इसकी खुलेआम मुखालफत कर दी है। राहुल गांधी की इस मांग के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री आनंद शर्मा ने मोर्चा खोला है। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को लिखी चिट्ठी में कहा है कि ‘जाति गनगणना कोई रामबाण नहीं है।’ उन्होंने इसे ‘इंदिरा और राजीव गांधी की विरासत का अपमान’ बताया है। इससे पूरे देश में जाति जनगणना (कास्ट सेंसस) कराने का वादा कर रहे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को अपनी ही पार्टी के एक बड़े नेता से विरोध का सामना करना पड़ा है। दरअसल जाति जनगणना की मांग के साथ राहुल गांधी लोगों से वादा कर रहे हैं कि अगर सत्ता में आए तो वे खुद इसे कराएंगे।इंदिरा के चुनावी नारे और राजीव गांधी के पुराने बयान का दिया हवाला
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लिखे पत्र में कहा है कि मेरे विचार से जाति जनगणना न तो रामबाण हो सकती है और न ही बेरोजगारी और प्रचलित असमानताओं का समाधान हो सकती है। पूर्व कैबिनेट मंत्री के इस पत्र से अपनी प्रमुख जाति जनगणना की मांग को लेकर कांग्रेस के भीतर ही ताजा दरारें सामने आई हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने दावा किया है कि पार्टी ने कभी भी पहचान की राजनीति का समर्थन नहीं किया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे खत में कहा है कि आनंद शर्मा ने अपनी राय पेश करने के लिए इंदिरा गांधी के 1980 के बयान ‘ना जात पर ना पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर’ का हवाला दिया है। इसके साथ ही उन्होंने राजीव गांधी के ‘…अगर जातिवाद को संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में एक फेक्टर बनाया जाएगा तो हमें दिक्कत है।’ वाली बात का जिक्र किया। शर्मा ने कहा है कि उनकी राय में इसे इंदिरा और राजीव गांधी की विरासत का अनादर करने के रूप में देखा जाना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी जातीय जनगणना को बना रहे हैं बड़ा मुद्दा
उन्होंने कहा कि एक जन आंदोलन के रूप में कांग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आंतरिक चर्चा और बहस और सामाजिक मुद्दों पर नीतियों के निर्माण को प्रोत्साहित किया है। सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन हमेशा सकारात्मक कार्रवाई के लिए एकमात्र मार्गदर्शक मानदंड रहा है। कांग्रेस के भीतर के लिए दरार ऐसे समय में आई है जब देश लोकसभा चुनाव के दहलीज पर खड़ा है। साथ ही साथ कांग्रेस लगातार जातीय जनगणना कराने की बात कह रही है। कांग्रेस अपने वादों में लगातार जातीय जनगणना करने की बात कह रही है। राहुल गांधी जातीय जनगणना को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। वह जातीय जनगणना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साथ रहे हैं। इधर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ही राहुल गांधी की जाति जनगणना की मांग को राजीव और इंदिरा गांधी के विचारों के खिलाफ और विभाजनकारी बताया है।
IANS Exclusive: Congress leader Anand Sharma’s big attack on Rahul Gandhi, says ”the caste census issue is disrespect for Indira Gandhi and Rajiv Gandhi’s legacy”. pic.twitter.com/MSE4PqNilh
— IANS (@ians_india) March 21, 2024
जातिगत गणना समृद्ध विविधता वाले समाज में लोकतंत्र के लिए हानिकारक
उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय आंदोलन के नेता उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध थे, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भेदभाव का सामना किया था। जैसा कि संविधान में निहित है, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान है। यह भारतीय संविधान निर्माताओं के सामूहिक ज्ञान को दर्शाता है। दशकों बाद ओबीसी को एक विशेष श्रेणी के रूप में शामिल किया गया और तदनुसार आरक्षण का लाभ दिया गया। इसे अब 34 वर्षों से पूरे देश में स्वीकृति मिल गई है। जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और न ही इसका समर्थन करती है। यह क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता की समृद्ध विविधता वाले समाज में लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।
आखिरी जाति गणना 1931 में हुई, इसके बाद इसे जरूरी नहीं समझा गया
उन्होंने कहा है कि इस ऐतिहासिक स्थिति से हटना देशभर के कांग्रेस जनों के लिए चिंता का विषय है। मेरी राय में तो जातिगत जनगणना की यह विचारधारा इंदिरा और राजीव गांधी की विरासत का अपमान माना जाएगा। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि जातिगत भेदभाव की गणना करने वाली आखिरी जनगणना 1931 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हुई थी। स्वतंत्रता के बाद, सरकार द्वारा एक सचेत नीतिगत निर्णय लिया गया कि जनगणना में एससी और एसटी को छोड़कर, जो राज्यों द्वारा एकत्र किया जाता है, जाति संबंधी प्रश्नों को शामिल नहीं किया जाए। आजादी के बाद सभी जनगणना आयुक्तों ने ओवरलैप, दोहराव, डेटा में सटीकता की कमी और संदिग्ध प्रामाणिकता का हवाला देते हुए राष्ट्रीय जाति जनगणना के अपने कारणों और अस्वीकृति को दर्ज किया है।
Shri Anand Sharma is known as one of the most loyal Congressmen ever. It seems some loyal Congress members have decided to stop Shri Rahul Gandhi from further insulting Late Indira Gandhi ji as well as Late Rajiv Gandhi. pic.twitter.com/4p5JrzxVCx
— Kiren Rijiju (मोदी का परिवार) (@KirenRijiju) March 21, 2024
जाति जनगणना को चुनावी बहस में एक महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों बनाया गया?
पार्टी अध्यक्ष को लिखी चिठ्ठी में आनंद शर्मा ने कहा है कि मैं राष्ट्रीय चुनावों के दौरान राजनीतिक नैरेटिव्स के निर्माण और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा नीतियों की अभिव्यक्ति और नीतिगत प्राथमिकताओं पर अपने विचार और चिंताओं को साझा करने की स्वतंत्रता ले रहा हूं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जाति जनगणना, चुनावी बहस में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभारा गया है। यह सर्वथा गलत है और कांग्रेस के सिरमौर रहे पुराने नेताओं की विचारधारा के खिलाफ है। राहुल गांधी के चलते कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया एलायंस ने इसका समर्थन किया है। गठबंधन में वे दल भी शामिल हैं, जिन्होंने लंबे समय से जाति आधारित राजनीति की है। हालांकि, सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व समझ पर आधारित है।बंगाल में ISF से गठबंधन को गांधी-नेहरू की विचाराधारा के खिलाफ बताया
पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा पहले भी नीतिगत मुद्दों पर पार्टी लाइन से अलग जाकर अपनी बात पब्लिक प्लेटफार्म पर रख चुके हैं। उन्होंने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान भी पश्चिम बंगाल में आईएफएस से गठबंधन पर कांग्रेस को घेरा था। तब उन्होंने कहा कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। गठबंधन से पहले इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी। उन्होंने बंगाल चुनाव में इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) के साथ कांग्रेस के गठबंधन पर सवाल उठाते हुए पार्टी हाईकमान को धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर घेरा। असंतुष्ट नेताओं में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आइएसएफ के साथ गठबंधन को गांधी-नेहरू की विचाराधारा के खिलाफ बताया है। उन्होंने यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि चुनिंदा रुख अपनाकर कांग्रेस सांप्रदायिकता का मुकाबला नहीं कर सकती।
जम्मू में खुले मंच से पार्टी की हालत को लेकर नेतृत्व पर साधा था निशाना
गुलाम नबी आजाद के बाद राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के उप नेता रहे आनंद शर्मा असंतुष्ट खेमे के दूसरे सबसे अहम नेता रहे हैं। खास बात यह है कि अपने राजनीतिक करियर के दौरान शर्मा की गिनती गांधी परिवार के करीबी नेताओं में होती रही थी। लेकिन अब वे गांधी परिवार पर निशाना साधते रहे हैं। कांग्रेस की कमजोर होती राजनीतिक जमीन का सवाल उठाते हुए जब 23 असंतुष्ट नेताओं के समूह ने जम्मू में पहली बार खुले मंच से पार्टी की हालत को लेकर नेतृत्व पर सीधे निशाना साधा था। तब भी उसमें आनंद शर्मा ने आलोचना की थी। इसके बाद असंतुष्ट खेमे की ओर से कई बार कांग्रेस संगठन की मौजूदा रीति-नीति के संचालन को लेकर सवाल उठाए जाते रहेहैं।
राहुल गांधी अपने ‘उत्तर-दक्षिण’ बयान को लेकर चौतरफा घिर गए थे
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने ‘उत्तर-दक्षिण’ बयान को लेकर चौतरफा घिर गए थे। कुछ साल पहले केरल में अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड के दौरे पर गए राहुल गांधी के बयान को लेकर बीजेपी तो हमलावर थी ही, कांग्रेस के कुछ नेता भी बयान पर दो धड़ों में बंट गए थे। कांग्रेस के नेता विशेष रूप से जी-23 के सदस्य, जिन्होंने पार्टी में सुधारों के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, उन्होंने कहा कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को उत्तर बनाम दक्षिण के अपने बयान को स्पष्ट करना चाहिए। कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि राहुल गांधी ही इसे स्पष्ट कर सकते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तो देश को एक ही समझा है, हमने कभी क्षेत्र, भाषा और धर्म के आधार पर लकीर नहीं खींची है।’ आनंद शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस के पास उत्तर के महान नेताओं की लंबी कतार रही है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने राहुल गांधी की जाति जनगणना की मांग को राजीव और इंदिरा गांधी के विचारों के खिलाफ और विभाजनकारी बताया है।
— जोगी जी ( Modi’s Family ) (@ji0024Ji) March 21, 2024