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कांग्रेस में घमासान: शशि थरूर के खिलाफ पूर्व आईएएस ने मोर्चा खोला, जयपुर के बाद राजसमंद के प्रत्याशी ने टिकट लौटाया, कई और सीटों पर भी कांग्रेस में कलह

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लोकसभा चुनाव में किसी भी नेता के लिए राष्ट्रीय पार्टी का टिकट पाना बड़ी बात होती है। लेकिन इस बार कांग्रेस नेताओं में हार का डर कुछ इस मनोवैज्ञानिक तरीके घर कर रहा है कि टिकट मिलने के बाद भी वे उसे किसी न किसी बहाने से वापस कर रहे हैं। जयपुर से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए सुनील शर्मा की टिकट वापसी के बाद कुछ ऐसी ही कहानी राजसमंद से कांग्रेस प्रत्याशी बनाए गए सुदर्शन सिंह रावत की है। कांग्रेस नेता सुदर्शन सिंह रावत ने लोकसभा चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया है। राजसमंद लोकसभा सीट के कांग्रेस उम्मीदवार सुदर्शन सिंह रावत ने पार्टी को अपना टिकट तीसरे ही दिन ही लौटा दिया। दो दिन ‘नॉट रिचेबल’ रहे उम्मीदवार सुदर्शन ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा को पत्र लिखकर अपना निर्णय बताया है। दिलचस्प है कि इसमें रावत ने अगले दो महीने विदेश में रहने के कारण चुनाव न लड़ने में असमर्थता जताई है। उन्होंने मेवाड़ के एक दिग्गज कांग्रेस नेता के इशारे पर टिकट ‘थोपने’ का भी आरोप लगाया है।विधानसभा चुनाव हारने के बाद फिर चुनाव लड़ने का नैतिक अधिकार नहीं
राजस्थान कांग्रेस को कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव के लिए यह दूसरा झटका लगा है। जयपुर से सुनील शर्मा के बाद अब राजसमंद से सुदर्शन सिंह रावत ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को चिट्ठी लिखकर बिना सहमति उम्मीदवार बनाने पर नाराजगी जताई है। रावत ने लिखा है कि पिछले एक महीने में लोकसभा चुनाव की रायशुमारी और चर्चा के दौरान मैंने कई बार प्रदेश के सभी शीर्ष नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई थी। पिछले विधानसभा चुनाव की हार के चार महीने बाद ही मेरा लोकसभा लड़ने का नैतिक अधिकार नहीं है और यह तर्कसंगत भी नहीं कि मैं लोकसभा चुनाव लड़ूं। न मेरी इसको लेकर कोई रणनीतिक तैयारी थी। फिर भी मेरी बिना राय लिए ही मुझे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की घोषणा कर दी गई।

कांग्रेस में गुटबाजी: मेवाड़ के एक बड़े नेता ने पार्टी नेतृत्व को अंधेरे में रखा
इतना ही नहीं, रावत ने तो यह भी लिखा कि मेवाड़ के पार्टी के ही एक शीर्ष नेता ने पार्टी नेतृत्व को अंधेरे में रखा। मेरे अगले दो माह विदेश दौरे पर होने और बार-बार असहमति जताने के बावजूद मेरा नाम प्रस्तावित किया गया, जो कि उचित नहीं है। मेरे व्यापार के सिलसिले में अगले दो महीने तक विदेश दौरे पर रहने का कार्यक्रम था। मैंने किसी युवा को उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि मुझे तो सोशल मीडिया से उम्मीदवार घोषित होने की खबर मिली, जो कि मेरे लिए आश्चर्य का विषय थी। शायद यही वजह रही कि राजसमंद से टिकट घोषित होने के बाद रावत ने सोशल मीडिया पर हाईकमान को धन्यवाद देने तक की औपचारिकता पूरी नहीं की थी। रावत ने कहा है कि पार्टी को उनकी जगह किसी योग्य और इच्छुक उम्मीदवार को मौका देना चाहिए।

कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते भीलवाड़ा, दौसा में भी  विवाद की स्थिति
राजसमंद सीट पर अब कांग्रेस को नया उम्मीदवार तलाशना होगा। यहां से अब दूसरे दावेदारों पर विचार किया जा सकता है। इस सीट पर कार्तिक चौधरी और पूर्व विधायक रामचंद्र जारोड़ा दावेदारी कर रहे थे, दोनों अब भी दावेदार हैं। कार्तिक चौधरी ने टिकट नहीं मिलने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके नाराजगी भी जाहिर की थी। कांग्रेस के रणनीतिकार पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मनाने के लिए जुटे हैं, लेकिन वे चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते कई जगह विवाद की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस भीलवाड़ा में भी प्रत्याशी बदल सकती है। पार्टी के अंदरूनी हलकों में इसकी चर्चा है। नाराजगी दूर करने के लिए यहां ब्राह्मण चेहरा उतारा जा सकता है। उधर, नरेश मीणा ने दौसा में कांग्रेस को चुनौती देते हुए नामांकन दाखिल कर दिया है। अलवर में पूर्व सांसद डॉ. करणसिंह यादव व. जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर आदि नेता कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव का विरोध कर भाजपा में चले गए हैं।

शशि थुरूर की आपत्ति के बाद कांग्रेस उम्मीदवार सुनील ने टिकट लौटाया
राजस्थान के राजधानी जयपुर शहरी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। दरअसल, कांग्रेस ने राजस्थान के लोकसभा प्रत्याशी की सूची में सुदर्शन सिंह रावत से पहले जयपुर से सुनील शर्मा चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया था। लेकिन कांग्रेस के ही दो नेताओं शशि थरूर और सुनील शर्मा के बीच विवाद के बाद कांग्रेस को थूक कर चाटना पड़ा। पार्टी आलाकमान ने आनन-फानन में टिकट के बंटवारे के फैसले को बदलते हुए सुनील शर्मा के स्थान पर पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस पार्टी ने पिछले सप्ताह जयपुर शहर से सुनील शर्मा को टिकट दिया था। इस ऐलान के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने ही सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया था। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पार्टी के फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए आरोप लगाया कि सुनील शर्मा ‘द जयपुर डॉयलाग’ से जुड़े हुए हैं। थुरूर के मुताबिक जयपुर डॉयलाग को हिंदुवादी विचारों को आगे बढ़ाने वाला मंच मन जाता है।

शशि थरूर के खिलाफ रिटायर्ड आईएएस संजय दीक्षित ने मोर्चा खोला
जयपुर डायलॉग्स से कनेक्शन मामले में शशि थरूर के सवाल उठाने के बाद जयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शर्मा का टिकट बदल दिया गया। इसके बाद से विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सुनील शर्मा के बाद अब जयपुर डायलॉग्स के संस्थापक और रिटायर्ड आईएएस संजय दीक्षित ने भी कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संजय दीक्षित ने सोशल मीडिया पोस्ट करके सुनील शर्मा मामले में शशि थरूर को गलत बताया है। सुनील शर्मा ने कहा था कि शशि थरूर जयपुर डायलॉग्स में आने को तैयार थे और वो फाइव स्टार होटल व बिजनेस क्लास एयर टिकट मांग रहे थे।

थरूर के दोहरे चेहरे को बेनकाब करने के लिए मेरे पास कई सबूत – दीक्षित
संजय दीक्षित ने सुनील शर्मा की बात को आगे बढ़ाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा- यही नहीं, शशि थरूर ने कुख्यात कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी केस को रफा-दफा करने के लिए मेरे बीसीसीआई के संपर्कों के जरिए मुझसे मदद मांगी थी। जयपुर डायलॉग्स को अवांछनीय तरीके से विवादों में पेश करने का प्रयास करके वो साफ झूठ बोल रहे हैं। मेरे पास थरूर के दोहरे चेहरे को बेनकाब करने के लिए कई सारे सबूत हैं। संजय दीक्षित ने सुनील शर्मा का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। दीक्षित ने लिखा- सुनील शर्मा ने बताया है कि कांग्रेस और लेफ्ट लिबरल क्लास किस तरह गलत दिशा में जा रहे हैं, क्या गलत हो रहा है? तथाकथित दक्षिणपंथी बुद्धिजीवियों को वामपंथी झुकाव वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जाने में शायद ही कभी दिक्कत होती है। लेफ्ट लिबरल क्लास उनकी आलोचना करने वाले हर व्यक्ति को दक्षिणपंथी ठहरा देते हैं और उनका बहिष्कार करने का प्रयास करते हैं। हद से ज्यादा असहिष्णुता और अक्षमता आज कांग्रेस का चरित्र बन गया है।

कोच्चि फ्रेंचाइजी विवाद में थरूर को विदेश मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था
यूपीए राज के दौरान साल 2010 में जब शशि थरूर विदेश राज्य मंत्री थे तो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की कोच्चि टस्कर्स केरल फ्रेंचाइजी टीम में हिस्सेदारी खरीदने पर विवाद हुआ था। थरूर पर विदेश राज्य मंत्री रहते हुए उनकी दोस्त सुनंदा पुष्कर को टीम की फ्रेंचाइजी खरीदने में पद का दुरुपयोग करने के आरोप लगे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। विवाद के बाद शशि थरूर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। संजय दीक्षित आईएएस रहते हुए मार्च 2009 में ललित मोदी को हराकर आरसीए के अध्यक्ष बने थे। उस वक्त राजस्थान में गहलोत सरकार थी। बाद में सीपी जोशी आरसीए अध्यक्ष बने, दीक्षित आरसीए के सचिव रहे। आईपीएल कोच्चि फ्रेंचाइजी विवाद पर शशि थरूर के संजय दीक्षित से मदद मांगने के खुलासे के बाद विवाद और बढ़ेगा। संजय दीक्षित के दावे से थरूर पर सियासी हमले बढ़ेंगे।

अयोध्या में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा का बहिष्कार करके अपनी देशभर में किरकिरी कराने के बावजूद कांग्रेस अपनी हिंदू विरोधी मानसिकता से बाज नहीं आ रही है। वह मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कभी दिल्ली के ‘घूसखोर’ सीएम से हाथ मिला लेती है तो कभी प्राचीन मंदिरों को ढहा देती है। जिस जयपुर में राहुल गांधी ने हिंदू और हिंदुत्व की बेकार की बहस छेड़ी थी, वहीं अब हिंदूवादी से जुड़े होने के कारण अपने ही घोषित लोकसभा प्रत्याशी सुनील शर्मा की टिकट काट दी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थुरूर ने ‘द जयपुर डॉयलाग’ को हिंदूवादी बताते हुए उससे शर्मा के जुड़े होने का आरोप जड़ा था। सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी आने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने शर्मा की टिकट काट दी और उन पूर्व मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावस को दे दी, जो हाल ही में विधानसभा चुनाव बुरी तरह हार चुके हैं।यू-ट्यूब चैनल द जयपुर डॉयलाग से जुड़े होने को लेकर हुआ विवाद
यू-ट्यूब चैनल द जयपुर डॉयलाग के फाउंडर पूर्व आईएएस संजय दीक्षित हैं। शुरू से ही तेज-तर्रार अधिकारी के रूप में उनकी पहचान रही है। दीक्षित के चैनल पर कई एनाटिकल वीडियो हैं और उनका शानदार फोलोअर बेस है। उनके चैनल पर 1.42 मिलियम फोलोअर्स हैं। कांग्रेस के सुनील शर्मा को जयपुर लोकसभा सीट के प्रत्याशी बनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता शशि थरूर ने ही आपत्ति जड़ दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुनील शर्मा का संबंध द जयपुर डॉयलाग से रहा है, जो कि हिंदुवादी विचारों को आगे बढ़ाने वाला एक मंच है। थरूर के सोशल प्लेटफार्म एक्स पर टिप्पणी करने के बाद कांग्रेस और सोशल मीडिया पर हंगामा शुरू हो गया। आखिरकार कांग्रेस ने सुनील शर्मा को टिकट लौटाने के लिए कहा और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को आनन-फानन में टिकट दे दिया। इससे यह भी साबित हो गया कि कांग्रेस को हिंदूवादी विचारों को कितनी नफरत है।शर्मा का हिंदुत्व विरोध के नाम पर टिकट काटकर कांग्रेस ने अपने पैरों पर दोहरी कुल्हाड़ी मारी
राजस्थान में कांग्रेस ने प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। वहीं पार्टी ने नागौर और सीकर सीट को गठबंधन के तहत छोड़ा है। जयपुर शहर से लोकसभा चुनाव के रण में सुनील शर्मा को उतारा था। सुनील शर्मा को टिकट देने को लेकर पार्टी के एक बड़े नेता ने नाराजगी जताई है। कहा जा रहा है कि वे इस चैनल के निदेशक हैं। यही वजह है सुनील शर्मा को कांग्रेस के जयपुर शहर से प्रत्याशी बनाए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से उम्मीदवार शशि थरूर ने जयपुर डायलॉग्स हैंडल को लेकर सुनील शर्मा पर निशाना साधते हुए उनको टिकट देने पर नाराजगी जताई है। कांग्रेस ने सुनील शर्मा का हिंदुत्व विरोध के नाम पर टिकट काटकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। एक तो इससे कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता एक बार फिर एक्सपोज हो गई है, दूसरे सुनील शर्मा के स्थान पर जिन प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट दिया गया है, वे भी अक्सर विवादों में रहते आए हैं। इन्हीं विवादों के चलते वे पिछला विधानसभा चुनाव भी हार गए थे। उन्हें बीजेपी उम्मीदवार गोपाल शर्मा ने हराया था। वहीं खाचरियावास ने कहा कि अचानक पार्टी नेतृत्व ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कह दिया, जबकि उन्होंने टिकट नहीं ही मांगा था, लेकिन वे पार्टी के आदेश का पालन करेंगे। खाचरियावास ने कहा कि न‌ उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा-ढेला नहीं है।

विवादों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहे हैं प्रताप सिंह खाचरियावास

कांग्रेस ने सुनील शर्मा की जगह जिन खाचरियावास को टिकट थमाया वे गहलोत सरकार में भी काफी विवादों में रहे हैं। अपनी टिप्पणियों के चलते उन्होंने जनता को नाराज किया और पिछले विधानसभा चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। अब एक बार फिर लोकसभा में किस्मत आजमाने का मौका मिला है। जहां तक पिछली कांग्रेस सरकार की बात है तो  राजस्थान के विधानसभा चुनाव सिर पर आने के बाद भी कांग्रेस विधायक और मंत्री तक आपस में तू-तड़ाक पर उतर आए थे।  तब मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास ने तत्कालीन यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल से लेकर सीएम गहलोत तक पर निशाना साथा था। कांग्रेस नेताओं के साथ उनकी तनातनी के किस्से अक्सर अखबारों की सुर्खियां बनते रहे हैं। कभी सीएम के खास रहे खाचरियावास बाद में पायलट के खेमे में जा बैठे थे। ऐसे में अब टिकट मिलने से बाद उनके लिए सभी पार्टीजनों के अपने पक्ष में एकजुट करना खासा मशक्कत भरा काम होगा।सीएम के ‘यशोगान’ के कारण राजस्थान सरकार के दो मंत्री आमने-सामने
राजस्थान की पिछली सरकार में दो कैबिनेट मंत्री आमने-सामने हो गए थे। खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल का कड़ा विरोध किया। वे धारीवाल के बयान से इतने नाराज हुए कि उन्होंने मंत्री की शिकायत प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा तक से कर दी। सीएम गहलोत का ‘यशोगान’ करते हुए धारीवाल इतने मुग्ध हो गए कि उन्होंने कह डाला कि अशोक गहलोत ने बड़े-बड़े नेताओं को पानी पिलाया है। इस बयान का विरोध करते हुए खाचरियावास ने कहा कि यह समय पानी पिलाने का नहीं, बल्कि सबको गले लगाने का है। सबको साथ लेकर पार्टी को मजबूत करने का समय है। खाचरियावास ने कहा कि वरिष्ठ मंत्री को इस तरह की बयानबाजी कतई शोभा नहीं देती। ऐसे बयानों को तत्काल बंद होना चाहिए। इससे पार्टी कमजोर हो रही है।

सीएम पर साधा निशाना, घमंड में न रहें, सोनिया-राहुल गांधी ने बचाई थी सरकार
खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को बड़े-बड़े पदों पर रहने के बाद घमंड हो जाता है कि वो जो कर रहे हैं, वही सही है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। राजनीति में जैसा बोलोगे तो सामने से वैसा भी जवाब मिलेगा। प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश में किसी नेता को यह घमंड नहीं होना चाहिए कि सरकार उनकी वजह से बची है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने बचाया है। जब प्रदेश में सियासी संकट आया था, तब राजस्थान के 102 विधायकों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के चेहरे पर बाड़ेबंदी की थी। तब जाकर राजस्थान सरकार बची थी।सीएम विरोध के बावजूद खाद्य मंत्री खाचरियावास ने किया पायलट की यात्रा का समर्थन
प्रताप सिंह खाचरियावास ने तब सीएम के विरोध में सचिन पायलट की ओर से निकाली जा रही जन संघर्ष यात्रा को भी सही ठहराया था। उन्होंने कहा कि इसमें गलत क्या है। भ्रष्टाचार के खिलाफ राहुल गांधी ने भी यात्रा निकाली है। सचिन पायलट भी करप्शन और जनता के मुद्दों पर यात्रा निकाल रहे हैं। उनके साथ जनसमर्थन जुट रहा है। लोकतंत्र में हर प्रतिनिधि को अपनी बात रखने का हक है। जनहित के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना बिल्कुल गलत नहीं है। खाचरियावास ने मीडिया से बातचीत में भी दोहराया कि यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पार्टी के सीनियर नेता हैं। उन्हें संयम में रहते हुए बयान देना चाहिए।

 

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