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मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा पर SitaRaman का दो-टूक जवाब- ऐसा होता तो क्या अल्पसंख्यक आबादी बढ़ती, पाक में तो हर दिन घट रहे हैं अल्पसंख्यक, ऐसे लोगों की राय-रिपोर्ट बेमानी जो कभी भारत आए ही नहीं

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पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करें…दुनिया से पचास के अधिक मुस्लिम देशों में से भारत में मुस्लिम आबादी दूसरे नंबर है। जिस तेजी से यहां मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, उससे पाकिस्तान भी मुस्लिम आबादी में भारत से पिछड़कर तीसरे नंबर पर चला गया है। क्योंकि आजादी के बाद 1951 में भारत में मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना में ही बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो चुकी है। दूसरी ओर हिंदुओं की तब 84.10 प्रतिशत आबादी थी, जो जनगणना में घटकर 79.80 प्रतिशत ही रह गई है। पिछले एक दशक में मुस्लिम और बढ़ें हैं और हिंदूओं की संख्या कम हुई है। अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पूछे गए तीखे सवाल के दो-टूक और सटीक जवाब पर आते हैं। दरअसल, सीतारमण अमेरिका के दौरे पर हैं। वहां पर उनसे भारत में मुसलमानों पर हो रही कथित हिंसा को लेकर तल्ख सवाल पूछा गया। इसके जवाब में सीतारमण शानदार प्रति-प्रश्न करते हुए कहा कि अगर भारत में मुस्लिमों का जीवन मुश्किल बना दिया गया है, तो आजादी के बाद से मुस्लिम आबादी क्यों बढ़ रही है? पड़ौसी पाकिस्तान में तो अल्पसंख्यक आबादी घट रही है।अल्पसंख्यकों पर हिंसा होती तो क्या उनकी आबादी में इतनी वृद्धि हो पाती
केंद्रीय वित्त मंत्री अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की मीटिंग में शामिल होने वॉशिंगटन गई। इस दौरान वो पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनमिक्स (PIIE) के एक कार्यक्रम में भी गईं। यहां पर इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एडम एस पोसेन के साथ उनकी बातचीत भी हुई। तभी उनसे भारत को लेकर कई सवाल पूछे गए। पोसेन ने पूछा कि पश्चिमी मीडिया में भारत के विपक्षी दल के सांसदों की स्थिति और मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हिंसा के बारे में रिपोर्टिंग हो रही है। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने साफ कहा कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है। ये आबादी और बढ़ रही है। यह धारणा गलत है कि भारत में मुसलमानों का जीवन मुश्किल बना दिया गया है। उन्होंने प्रति-प्रश्न किया कि अगर ऐसा होता तो क्या 1947 से अब तक मुस्लिम आबादी में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी हो पाती?

पाक ने कहा था अल्पसंख्यकों की रक्षा करेगा, लेकिन वहां पर वो मारे जा रहे हैं
इसके बाद वित्त मंत्री ने पाकिस्तान का जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत मुसलमानों की स्थिति बेहतर है। सीतारमण ने कहा कि भारत-पाक बंटवारे के वक्त ही पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश घोषित किया था। तब उसने कहा था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की भी सुरक्षा की जाएगी। लेकिन आज हालात बिल्कुल विपरीत हैं, वहां हर अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या घट रही है। यहां तक कि हिंदुओं के अलावा कुछ मुस्लिम संप्रदायों में से भी कुछ का सफाया कर दिया गया है। मुजाहिरों और शिया समेत हर अगले समूह के खिलाफ हिंसा होती है। दूसरी ओर एक मुस्लिम राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद तक पहुंचा है। भारत में आप देखेंगे कि मुसलमानों का हर वर्ग अपना बिजनेस कर रहा है, उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें सरकार द्वारा फेलोशिप दी जा रही है।ऐसे लोगों की राय-रिपोर्ट के क्या मायने होंगे जो कभी भारत आए ही नहीं
वित्त मंत्री से एडम एस पोसेन ने पूछा कि भारत को लेकर बनी कुछ राय निवेश को प्रभावित कर रही है। इस पर सीतारमण ने कहा, “इसका जवाब उन निवेशकों से मिल सकता है, जो भारत आ रहे हैं और आते जा रहे हैं। अगर कोई इन्वेस्टमेंट चाहता है तो मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी कि आएं और देखें कि भारत में क्या हो रहा है। ऐसे लोगों की राय या रिपोर्ट पर कतई विश्वास न करें, जो कभी भारत की धरती पर आए ही नहीं और ऐसे ही रिपोर्ट बनाने लगे। भारत में निवेश को लेकर इंवेस्टर्स के अनुकूल माहौल के चलते ही भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी है। भारत आज न सिर्फ हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि कई चीजों के निर्यात में भी पिछले 8-9 सालों में काफी तेजी आई है।

सही आंकड़ों के बगैर रिपोर्ट बनाने वाले भारत आएं और अपनी बात साबित करें
वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा, “पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत लगातार बदतर हो रही है। वो हर दिन घटते जा रहे हैं। उन पर छोटे-छोटे आरोप लगाए जाते हैं और इनमें मौत की सजा तक दे दी जाती है। ज्यादातर केस में ईशनिंदा कानूनी निजी दुश्मनी निकालने का जरिया बन गया है। पीड़ितों को तुरंत अपराधी ठहरा दिया जाता है। न सही तरह से जांच होती है और ना ही कोर्ट में केस चलाया जाता है।” दूसरी ओर वित्त मंत्री ने भारत में मुस्लिमों की स्थिति पर बात करते हुए कहा, “अगर पूरे भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा हो रही होती तो वो प्रभावित होते। इससे साफ हो जाता है कि यह पूरी तरह झूठा बयान है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट बनाने वालों को आंकड़े उठाकर देखने चाहिए कि 2014 से आज के बीच क्या आबादी घटी है? क्या किसी एक समुदाय में मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा बढ़ गया है? ऐसी रिपोर्ट लिखने वालों को मैं भारत बुलाना चाहूंगी कि आएं और अपनी बात को साबित करें।”

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