शास्त्रों में कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं…..प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी विजन के साथ देशभर की महिलाओं को सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने में निरंतर जुटे हुए हैं। यही वजह है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में शहर से लेकर गांव तक और बिजनेस से लेकर शेयर बाजार तक महिलाओं का सशक्तिकरण खूब नजर आने लगा है। पीएम मोदी नारीशक्ति को देश के प्रमुख चार स्तंभों में से एक मानते हैं और उनके लिए ऐसी कई योजनाएं लगातार ला रहे हैं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें और उनका सशक्तिकरण भी हो सके। प्रधानमंत्री के यही भरोसा देने के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में नारी शक्ति का योगदान बढ़ रहा है। कभी महिलाओं के बिल्कुल अछूते रहे शेयर बाजार में भी अब महिलाओं की संख्या और दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। आज हालात यह हैं कि शेयर बाजार में निवेश करने वाले हर चार नए निवेशकों में अब एक महिला है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की हाल ही में जारी रिपोर्ट बताता है कि कुछ वर्षों में डीमैट खाते खुलवाने में महिलाएं कितनी ज्यादा रुचि दिखा रही हैं। देश में 2021 से हर साल कम से कम तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुल रहे हैं, इनमें एक तिहाई महिलाएं हैं।
आधी आबादी को आगे ले जाने के मोदी सरकार के कई प्रयास
लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलने से आज महिलाएं उच्च पद और बढ़ते कद के साथ पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी हैं। इसके साथ ही वे शिक्षा, सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य जैसी हर सुविधाएं पा रही हैं। मोदी सरकार ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया, वर्क प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए। हाल ही में हुए कुछ ताजा सर्वे और रिपोर्ट्स में सामने आया है कि मोदी सरकार की नीतियों के चलते 72 प्रतिशत महिलाएं निवेश के निर्णय खुद ले रही हैं। इतना ही नहीं पिछले एक दशक में देश की 54 प्रतिशत कंपनियों, टॉप मैनेजमेंट और बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। पीएम मोदी की पहल पर ही पहली बार देश को महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिली है। सैनिक स्कूलों से लेकर सरहद तक बेटियों का परचम बुलंद होने लगा है।
नए डीमैट खातों में से एक तिहाई तो महिलाएं के हैं
देश की वित्त मंत्री भी निर्मला सीतारमण यानी एक महिला ही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में नारीशक्ति का योगदान लगातार बढ़ रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि कुछ वर्षों में डीमैट खाते खुलवाने में आम लोग कितनी ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है। यह बचत के निवेश के रूप में पूंजी बाजार के उपयोग के बढ़ते प्रचलन को दर्शाता है। देश में 2021 से हर साल कम से कम तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुल रहे हैं, इनमें एक तिहाई महिलाएं हैं।महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी
एसबीआइ की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में देश में कुल डीमैट खाते 15 करोड़ (जिनमें से 9.2 करोड़ एनएसई पर यूनिक इन्वेस्टर्स हैं) को पार कर गए, जबकि वित्त वर्ष 2014 में यह संख्या मात्र 2.2 करोड़ थी। एसबीआइ के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा, ‘इस साल नए डीमैट खातों की संख्या चार करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है।’ उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को छोड़कर, वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है।
भारत की बचत दर वैश्विक औसत से आगे
एसबीआइ रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बचत दर वैश्विक औसत से आगे निकल गई है। देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) में उछाल आया है और अब 80% से अधिक वयस्कों के पास फॉर्मल फाइनेंशियल अकाउंट हैं, जबकि 2011 में यह लगभग 50 प्रतिशत था। भारत की बचत दर 30.2 प्रतिशत है, जो वैश्विक औसत 28.2 प्रतिशत से अधिक है। बचत के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है।
खास बातें: बढ़ रहे हैं युवा निवेशक और महिलाएं
■ रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में 30 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों की भागीदार बढ़ी है। तकनीकी प्रगति, कम ट्रेडिंग लागत और सूचना तक बढ़ती पहुंच के कारण ऐसा हो रहा है।
■ वित्त वर्ष 2018 से अब तक पंजीकृत नए एसआइपी में चार गुना वृद्धि हुई है और यह 4.8 करोड़ हो गया है।
■ 2021 से हर साल कम से कम तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुल रहे हैं, इनमें एक तिहाई महिलाएं हैं।
■ दस वर्ष में पूंजी बाजारों से भारतीय कंपनियों द्वारा जुटाए गए फंड में 10 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। यह 2014 में 12,068 करोड़ रुपए से बढ़कर 2025 में अक्टूबर तक 1.21 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
■ शेयरों और डिबेंचर में परिवारों की बचत वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के एक फीसदी तक बढ़ गई है, जो 2014 में 0.2% थी। घरेलू वित्तीय बचत में हिस्सेदारी एक फीसदी से बढ़कर पांच फीसदी हो गई है।
■ बाजार पूंजीकरण में एक प्रतिशत की वृद्धि से जीडीपी विकास दर में 0.06 प्रतिशत की वृद्धि होती है। वित्त वर्ष 2025 में अक्टूबर तक 302 इश्यू से इक्विटी बाजारों से कुल 1.21 लाख करोड़ रुपए की पूंजी जुटाई गई।
■ एनएसई पर 2025 में वित्त वर्ष 14 की तुलना में छह गुना से अधिक बढ़कर 441 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इक्विटी कैश सेगमेंट में औसत ट्रेड साइज 19,460 रुपए से बढ़कर 2025 में 30,742 रुपए हो गया है।
शेयर बाजार ही नहीं, पिछले एक दशक में देश के हर सेक्टर में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। आइए, देखते हैं कैसे समृद्ध हो रही है नारीशक्ति….
बिग चेंज: 72 प्रतिशत शहरी महिलाएं खुद कर रहीं निवेश
कुछ समय पहले आई एक्सिस बैंक की ‘विमेन इंवेस्टमेंट बिहेवियर रिपोर्ट 2024’ के अनुसार देश के शीर्ष 30 शहरों में रहने वाली महिलाओं की निवेश प्राथमिकताओं में सुखद बदलाव आया है। फिनटेक उपयोग करने वाली निवेशकों का अनुपात 5 वर्षों में 14% से बढ़कर 55% हुआ। लंबी अवधि के निवेश में अब महिलाएं 37% अधिक औसत निवेश कोष रख रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र की लगभग 72% महिलाएं अब निवेश को लेकर स्वतंत्र निर्णय लेती हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक निवेश कर रही हैं और उनका जमा फंड भी पुरुषों से अधिक है। 22 लाख महिला निवेशकों ने औसतन 80,000 रुपए से अधिक का लाभ कमाया है। यह दिखाता है कि पीएम मोदी के कार्यकाल में सुरक्षा की भावना बढ़ी है और महिलाएं लॉन्ग टर्म सोच रही हैं। 5 साल के अंतराल में म्यूचुअल फंड में उनकी नियमितता अब पहले की तुलना में 22% से अधिक है।सशक्तिकरण: वैश्विक औसत से ज्यादा देश की कंपनियों में महिला भागीदारी
मैनपावर ग्रुप इंडिया द्वारा किए गए ताजा सर्वे के अनुसार भारत में 54% कंपनियां विभिन्न स्तरों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही हैं। इस मामले में वैश्विक औसत 46% है। पीएम मोदी की महिला सशक्तिकरण की नीतियों के चलते देश में नियोक्ताओं का बड़ा वर्ग प्रगतिशील नीतियों, कौशल बढ़ाने और लचीलेपन के जरिए विविधता तथा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है। जिससे महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। वहीं, वेतन समानता पर 32% कंपनियों ने माना कि अभी इसमें सुधार की गुंजाइश है। विविधता अनुपात को लेकर देश में आईटी क्षेत्र सबसे आगे है। 70% नियोक्ताओं ने कहा कि प्रौद्योगिकी से लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है। इसके बाद हेल्थकेयर सेक्टर, फाइनेंस व रियल एस्टेट सेक्टर का स्थान है।टॉप मैनेजमेंट: महिलाओं की हिस्सेदारी कंपनी बोर्ड में 11% बढ़ी
‘नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) का एक ताजा अध्ययन बताता है कि शीर्ष प्रबंधन में महिलाओं की हिस्सेदारी करीब एक दशक के दौरान 14% से बढ़कर 22% हो गई है। कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013-14 के 5% की तुलना में 2023-24 में करीब 16% हो गई है। यानी इसमें 11% वृद्धि हुई है। मझोले स्तर के प्रबंधन स्तर पर देश पीछे है। इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी महज 20% है, जबकि वैश्विक स्तर पर हिस्सेदारी 33% है। ऐसा माना जाता है कि टॉप मैनेजमेंट या बोर्ड में कम से कम एक महिला रहने से आर्थिक प्रदर्शन सुधरने और कम जोखिम की संभावना होती है। देश की प्रमुख कंपनियां की बात करें तो इंफोसिस के बोर्ड में 17.9 प्रतिशत, एचडीएफसी में 12.9 प्रतिशत और एसबीआई बोर्ड में आठ प्रतिशत महिलाएं हैं। प्रशासनिक, फ्रंट लाइन मैनेजमेंट जैसी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर 57% तक हो गई है। हालांकि मध्यस्तरीय प्रबंधन में 53% के साथ प्रतिनिधित्व फिलहाल कुछ कम है।ड्रोन दीदी: 1261 करोड़ की योजना से गांवों में महिलाएं बनेंगी ड्रोन पायलट
पीएम मोदी शहरों के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त और समृद्ध बनाने में लगे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी उनकी ‘ड्रोन दीदी योजना’ सुदूर गांवों में महिलाओं को ड्रोन पायलट बना रही है। 28 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ड्रोन दीदी योजना’ की शुरुआत की। इस योजना के तहत 15,000 स्वयं सहायता समूहों को कृषि क्षेत्र में ड्रोन प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह ड्रोन किराए पर दिया जाएगा और उर्वरकों का छिड़काव करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। 2023-24 और 2025-26 के दौरान, इस योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, महिला ड्रोन पायलट को मानदेय भी प्रदान किया जाएगा और महिला ड्रोन सखियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह योजना महिलाओं को कृषि सेक्टर में सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार इस परियोजना पर आगामी चार वर्षों में लगभग 1,261 करोड़ रुपए खर्च करेगी। यह योजना कृषि क्षेत्र में महिलाओं की सामर्थ्य और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।लखपति दीदी: देश की तीन करोड़ महिलाओं हासिल करेंगी यह गौरव
मोदी सरकार देश की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लखपति दीदी योजना भी चला रही है। यह महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाली केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था कि नारीशक्ति को आगे बढ़ाना हमारा हमेशा मिशन रहा है। हमारा लक्ष्य 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का है। हालांकि, मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में लखपति दीदी योजना का लक्ष्य 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने का फैसला किया। इस योजना का लाभ उठाने के लिए महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जुड़ा होना जरूरी है। देश में इस समय करीब 83 लाख स्वयं सहायता समूह यानी सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हॆ। इनसे 9 करोड़ से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। लखपति दीदी योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को सरकार की ओर से फाइनेंशियल और स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जाती है। जिससे वह ना सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होती हैं, बल्कि इसके जरिये उन्हें अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।नारीशक्ति: मोदी सरकार महिलाओं के लिए चला रही कई क्रांतिकारी योजनाएं
इतना ही नहीं मोदी सरकार ने जन धन योजना से लेकर उज्जवला योजना तक, मुद्रा योजना से लेकर वोकल फॉर लोकल तक कई ऐसी योजनाएं चलाई हैं, जिनसे आज महिलाओं का जीवन तो आसान हुआ है। यह पीएम मोदी ही हैं, जिन्होंने तीन तलाक खत्म कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया। आज महिलाएं शिक्षा, सुरक्षा, बेहतर स्वास्थ्य समेत हर सुविधा पा रहीं हैं। आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को पूरा कर रहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी वित्तीय सहायता देकर महिलाओं का अपने पक्के घर का सपना भी पूरा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना या स्वामित्व योजना से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। इन योजनाओं के तहत महिलाएं होम लोन लेने में पहली बार बड़ी तादाद में आगे आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि 16 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है। यहीं नहीं देश के कुछ जिलों में तो होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 80 प्रतिशत को पार कर गई है। इसी तरह पीएम मोदी ने उज्जवला योजना, नल जल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, मातृत्व वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना आदि योजनाएं शुरू की जिससे महिलाएं लाभान्वित हुई।