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मोदी सरकार के पिछले छह वर्षों में शहरी विकास पर कुल खर्च में आठ गुना वृद्धि, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 50 लाख लाभार्थियों को मिला आवास

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार शहरों के बुनियादी ढांचे के विकास पर पूरा ध्यान दे रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले छह वर्षों (2015-2021) में शहरी विकास पर कुल खर्च में आठ गुना वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा लगभग 11.83 लाख करोड़ रुपये है, जबकि 2004 से 2014 तक यह आंकड़ा 1.57 लाख करोड़ रुपये था। आवास और शहरी मामले के मंत्री हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक सरकार ने न केवल महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफलतापूर्वक संचालित किया है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और विरासत संरक्षण जैसे मुख्यधारा के पहलुओं को भी शामिल किया है। 

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) को अभूतपूर्व सफलता मिली है, क्योंकि सरकार ने लगभग 1.13 करोड़ घरों को मंजूरी दी थी। इनमें 50 लाख से अधिक आवासीय इकाइयों को लाभार्थियों को सौंपा जा चुका है। सरकार 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। मंत्री ने कहा कि भूमि उपयोग योजना की उन्नत प्रथाओं को शामिल करते हुए, टिकाऊ और ऊर्जा-दक्ष तरीकों का उपयोग करके काफी संख्‍या में आवास को विकसित किया गया है।

हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि मोदी सरकार के तहत भारत के गतिशीलता एजेंडे को फिर से तैयार करने में एक आदर्श बदलाव आया है। शहरी परिवहन योजना के तहत 20,000 से अधिक बसों के लिए वित्तपोषण हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी लागू करके सार्वजनिक बस परिवहन सेवाओं का विस्‍तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम देश भर में सार्वजनिक परिवहन और गैर-मोटर चालित परिवहन (एनएमटी) विकल्पों का समर्थन कर रहे हैं। वर्तमान में, 18 शहरों में 721 किलोमीटर की मेट्रो लाइन चालू है और 27 शहरों में 1,058 किलोमीटर मेट्रो का एक नेटवर्क निर्माणाधीन है, जिससे यातायात की भीड़ और संबंधित वायु गुणवत्ता और उत्सर्जन संबंधी चिंताओं को कम किया जा सकता है।

मोदी सरकार भारत के सभी 4,378 शहरी स्थानीय निकायों में व्‍यापक तौर पर जल आपूर्ति सुनिश्चित करने और अमृत योजना के तहत 500 शहरों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन को सक्षम करने के लिए 2.8 लाख करोड़ रुपये की लागत से जल जीवन मिशन (शहरी) की शुरूआत करेगी। इसके अलावा सरकार 1.41 लाख करोड़ रुपये की लागत से स्वच्छ भारत मिशन 2.0 भी शुरू कर रही है, जिसके तहत कीचड़ प्रबंधन, अपशिष्ट जल उपचार, कचरे के स्रोत को अलग करने, एकल उपयोग प्लास्टिक में कमी लाने तथा निर्माण कार्य एवं ढहाने में अपशिष्ट प्रबंधन द्वारा वायु प्रदूषण के नियंत्रण और जैव-उपचार डंप साइटों पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा।

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